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World Human Rights Day 2022: समाज का यह वर्ग आज भी वंचित है

<p>ह्यूमन राइट्स दिवस हर साल 10 दिसंबर को मनाया जाता है, जिस दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1948 में  ह्यूमन राइट्स की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) को अपनाया था। यूडीएचआर में 30 लेख हैं जो मौलिक  ह्यूमन राइट्स और स्वतंत्रता के व्यापक स्पेक्ट्रम को निर्धारित करते हैं।हालांकि  ह्यूमन राइट्स सभी के प्राकृतिक अधिकार हैं, लेकिन ये सभी को नहीं मिलते हैं। यह कानून तानाशाही को मिटाने के लिए बनाया</p>
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ह्यूमन राइट्स दिवस हर साल 10 दिसंबर को मनाया जाता है, जिस दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1948 में  ह्यूमन राइट्स की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) को अपनाया था। यूडीएचआर में 30 लेख हैं जो मौलिक  ह्यूमन राइट्स और स्वतंत्रता के व्यापक स्पेक्ट्रम को निर्धारित करते हैं।
हालांकि  ह्यूमन राइट्स सभी के प्राकृतिक अधिकार हैं, लेकिन ये सभी को नहीं मिलते हैं। यह कानून तानाशाही को मिटाने के लिए बनाया गया था लेकिन हर कोई इसका आनंद नहीं ले सकता। आज भी समाज में सेक्स वर्कर एक ऐसा तत्व है जिसे आम आदमी भी नहीं मानता।
रेड लाइट एरिया में रहने वाली महिलाओं को अभी भी समाज द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि इसकी शुरुआत गोमांतक समाज की नायिकाओं से हुई थी। आज कई महिलाएं ऐसी हैं जो न चाहते हुए भी अपनी जीविका के लिए यह काम करती हैं तो कुछ को यहां बरगलाकर बेच दिया जाता है।
वास्तव में, भारत सहित कुछ अन्य देशों में सेक्स कार्य अवैध नहीं है, लेकिन फिर भी इसे हेय दृष्टि से देखा जाता है। यहां महिलाओं की कोई कीमत नहीं है, हमने यह खबर सुनी है कि अक्सर कोई उनके साथ छेड़खानी करता है तो जब वह पुलिस के पास जाती हैं तो पुलिस भी उनकी धुनाई कर देती है। घर में इस पर चर्चा नहीं होती।
यहां पैदा हुए बच्चे  ह्यूमन राइट्स के अनुसार शिक्षा के हकदार हैं, लेकिन इसके लिए भी उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है। इस तत्व को अच्छी शिक्षा, पानी, समाज में तनिक भी सम्मान नहीं मिलता है।

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