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Jahan-e-Khusrau: सूफियाना रंग में रंगे PM मोदी, एक्स पर शेयर किया Video

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहान-ए-खुसरो समारोह की झलकियां साझा कर इसे भारतीय संस्कृति की आत्मा बताया। जानिए इस सूफी उत्सव की खास बातें।
01:11 PM Mar 01, 2025 IST | Rohit Agrawal

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूफी संगीत समारोह जहान-ए-खुसरो (Jahan-e-Khusrau) की झलकियों को एक्स पर साझा करते हुए इसे भारतीय संस्कृति का अमूल्य हिस्सा बताया। 28 फरवरी को दिल्ली के सुंदर नर्सरी में आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में प्रेम और भक्ति रस का अनूठा संगम देखने को मिला। PM मोदी ने इस आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसमें हिंदुस्तान की मिट्टी की वो खुशबू है, जिसकी तुलना हजरत अमीर खुसरो ने जन्नत से की थी।

सूफी संगीत का उत्सव: प्रेम और भक्ति की सरिता

PM मोदी ने कहा कि संगीत और कला किसी भी देश की संस्कृति और सभ्यता को समृद्ध करते हैं, और सूफी परंपरा ने भारत में अपनी अलग ही पहचान बनाई है। जहान-ए-खुसरो के मंच से उन्होंने कहा कि भारतीय सूफी संतों ने खुद को केवल मस्जिदों या खानकाहों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उन्होंने कुरान के हर्फ़ पढ़े तो वेदों की ऋचाओं को भी सुना। उन्होंने अज़ान की सदा में भक्ति गीतों की मिठास भी जोड़ी। यही वह मेलजोल है, जिसने हिंदुस्तान को अपनी अनूठी तहज़ीब और संस्कृति से समृद्ध किया।

Jahan-e-Khusrau का 25 वर्षों का सफर

बता दें कि यह प्रतिष्ठित सूफी संगीत समारोह (Jahan-e-Khusrau) इस वर्ष अपने 25 साल पूरे कर रहा है। PM मोदी ने इस परंपरा की स्थिरता और लोकप्रियता को इसकी सबसे बड़ी सफलता बताया। उन्होंने कहा कि इन वर्षों में यह आयोजन सिर्फ एक समारोह नहीं रहा, बल्कि लोगों की भावनाओं में जगह बना चुका है। यह प्रेम, एकता और आध्यात्मिकता का प्रतीक बन चुका है।

भारतीय संस्कृति की आत्मा: सूफी परंपरा का योगदान

PM ने अपने संबोधन में यह भी कहा था कि सूफी परंपरा ने केवल इंसान की रुहानी दूरियों को ही नहीं मिटाया, बल्कि दुनियाभर के फासलों को भी कम किया। उन्होंने मशहूर सूफी संत रूमी का जिक्र करते हुए कहा, "शब्दों को ऊंचाई दें, आवाज़ों को नहीं, क्योंकि फूल बारिश में खिलते हैं, तूफान में नहीं।" भारत में सूफी परंपरा का यही संदेश सदियों से प्रेरणा देता रहा है, और जहान-ए-खुसरो उसी आध्यात्मिकता और प्रेम का आधुनिक प्रतीक बन गया है।

सूफी संगीत से सजेगी नई पीढ़ी की शामें

PM मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि जहान-ए-खुसरो (Jahan-e-Khusrau)  जैसे आयोजनों से भारत की युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का अवसर मिलता है। उन्होंने इस महोत्सव को भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की अमूल्य धरोहर बताते हुए कहा कि यह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध विरासत और विविधता का जश्न है।

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