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Valsad में माँ विश्वंभरी का विश्व का एक मात्र मंदिर, जानिए विशेषता और महत्व

<p>Valsad : चैत्र नवरात्र के दौरान देश और दुनिया में सनातन धर्म को मानने वाले माता के भक्तो के द्वारा विशेष पूजा &#8211; अर्चना की जाती है. ऐसा ही एक विश्व का एकमात्र विश्वंभरी माँ का मंदिर गुजरात के वलसाड के राबड़ा गाँव में आया हुआ है. विश्वंभरी माँ का मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है और इसी वजह से हर साल वलसाड में नवरात्र के दौरान विशेष और भव्य पूजा अर्चना की जाती है. इस साल भी चैत्र नवरात्र के दौरान विश्à¤</p>
05:56 PM Apr 03, 2023 IST | mediology

Valsad : चैत्र नवरात्र के दौरान देश और दुनिया में सनातन धर्म को मानने वाले माता के भक्तो के द्वारा विशेष पूजा – अर्चना की जाती है. ऐसा ही एक विश्व का एकमात्र विश्वंभरी माँ का मंदिर गुजरात के वलसाड के राबड़ा गाँव में आया हुआ है. विश्वंभरी माँ का मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है और इसी वजह से हर साल वलसाड में नवरात्र के दौरान विशेष और भव्य पूजा अर्चना की जाती है. इस साल भी चैत्र नवरात्र के दौरान विश्वंभरी माँ की विशेष पूजा – अर्चना का लाभ लाखो माता के भक्तो ने लिया था. 

वलसाड में नवरात्र के दौरान विश्वंभरी माँ के दर्शन का नजारा बहुत ही अद्भुत और आपके स्मरण में हमेशा के लिए घर कर जाएगा, आपको आज तस्वीरों के माध्यम से दिखाएंगे की इस चैत्र के नवरात्र में किस तरह का भव्य नजारा था और माता के भक्तो का जनसैलाब वलसाड में उमड़ पड़ा था.

विश्वंभरी माँ के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओ के सारे दुःख और कष्ट समाप्त हो जाते है. चैत्र नवरात्र के दौरान विश्वंभरी माँ प्रांगण में विशेष और महाआरती का आयोजन किया गया था, इस महाआरती का लाभ भी बड़ी संख्या में लेने के लिए देश और दुनिया से माता के भक्त आए थे. 

माँ का मनमोहक चेहरा हर एक भक्त की जन्मो से माँ से मिलने अधूरी चाहत को पूरा करता है. माँ के चतुर्भुज स्वरूप की बात करे तो एक हाथ में चक्र, दूसरे हाथ में त्रिशूल, तीसरे हाथ में चारो वेद आपको नजर आएँगे. माँ का चेहरा देखते ही लगता है कि, माँ अभी आपसे बात करेगी. लेकिन वास्तविकता में माँ अपने हर श्रद्धालु की हर इच्छा पूरी करती है. जगत जननी माँ विश्वंभरी का दर्शन अपने आप में अलौकिक आनंद और अनुभूति देता है. 


हर साल की तरह इस बार भी माँ विश्वंभरी के प्रांगड़ में विशेष हवन का आयोजन भी किया गया था. माँ विश्वंभरी के प्रांगड़ में आयोजित महायज्ञ में बड़ी संख्या में विद्वान पंडितो द्वारा मंत्रोच्चार के साथ आहुति का आयोजन हुआ था. चैत्र नवरात्र के दौरान माँ के महायज्ञ में आहुति देना शास्त्रों अनुसार बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता है. माँ विश्वंभरीधाम में बड़ी संख्या में महायज्ञ देने माता के भक्तो ने भाग लिया. जिस दौरान महायज्ञ में आहुति दी जा रही उस समय का नजारा और भक्तिमय हो उठा था. 


विश्वंभरीधाम में सिर्फ माता ही नहीं पर देवाधिदेव महादेव का भी धाम आया हुआ है. हिमालय की पर्वतमाला को देखकर लगता है की आप स्वयं हिमालय में आ गए हो, जैसे ही आप अंदर की तरफ जाते है आपको अलग अनुभूति मिलती है. २०० फीट की गहरी गुफा भगवान महादेव के अलौकिक शिवलिंग का दर्शन होता है. ब्रह्माण्ड चेतना केंद्र में रंग-बिरंगी लाइट, शेषनाग का फन सीधे आपको महादेव से रूबरू करवाता है. 

पाठशाला के निकट ही आया हुआ गोकुलधाम… गोकुलधाम गोवर्धन पर्वत का विशाल दृश्य माता यशोदा, नन्द बाबा और गोकुलवासी नजर आते है. यह मनोरम्य जगह पर पहुंचते है लगता है मानो द्वापर युग में पहुंच गए हो… और साक्षात गोर्वधन पर्वत के दृश्य को जीवंत स्वरूप में देख रहे हो ऐसा अनुभव प्राप्त होता है. 


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दिनांक – 09-05-2016 के शुभ दिन माँ विश्वंभरीधाम की शुभ शुरुआत हुई थी. इस मंदिर का निर्माण महज तीन महीने के कम समय में किया गया है। मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य के बीच 10 बीघा जमीन पर बना है। साथ ही एक गौशाला भी बनाई गई है।


विश्वंभरी धाम की खासियत भी जान लीजिए 

  • वलसाड के पास रबाडा गांव में महज 90 दिन में विश्वंभरीधाम पाठशाला, गोवर्धन पर्वत, गौशाला और रामकुटीर का निर्माण किया गया है।
  • विद्यालय में प्रवेश करते समय 17 सीढ़ियों पर मन के 17 वैदिक गुण देखे जाते हैं। प्रवेश द्वार के पास श्रीराम और श्रीकृष्ण के दर्शन होते हैं।
  • श्रीराम परिवार व्यवस्था और मर्यादा बताते हैं, वहीं श्रीकृष्ण सामाजिक व्यवस्था सिखाते हैं।
  • पाठशाला में जिस स्वरूप में मां विश्वंभरी ने साक्षात रूप में महापात्र को दर्शन दिए थे उसी रूप में मूर्ति और रथ बनाया गया है।
  • स्कूल की ऊपरी मंजिल पर हिमालय बनाया गया है। जिसमें हम शिवलिंग के दर्शन कर सकते हैं।
  • पाठशाला में आकाश, पाताल और पृथ्वी तीनों लोकों में भी मां का चैतन्य स्वरूप दिखाया गया है।
  • स्कूल के विशाल प्रांगण में गोवर्धन पर्वत नजर आता है। द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगों को अधर्म की वर्षा से बचाया था।
  • पूरे मंदिर परिसर में शेर, विशालकाय गजराज, जिराफ, बंदर जैसे कई जानवरों की विशाल मूर्तियां भी बनी हुई हैं।

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