ओवैसी की बीजेपी को चुनौती
<p>Hyderabad : AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत नहीं किया है. उनकी नजरों में नोटबंदी के जो उदेश्य थे वो पूरे नहीं हुए. उन्होंने बीजेपी को चुनौती देते हुए यहां तक कहा कि अगर पार्टी को इस फैसले पर इतना ही भरोसा है तो उन्हें आगे आकर जश्न मनाना चाहिए.नोटबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने केंद्र सरकार को बड़ी राहत देने का काम किया है. 4.1 की बहुमत से नोटबंदी को स</p>
06:35 PM Jan 02, 2023 IST
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Hyderabad : AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत नहीं किया है. उनकी नजरों में नोटबंदी के जो उदेश्य थे वो पूरे नहीं हुए. उन्होंने बीजेपी को चुनौती देते हुए यहां तक कहा कि अगर पार्टी को इस फैसले पर इतना ही भरोसा है तो उन्हें आगे आकर जश्न मनाना चाहिए.
नोटबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने केंद्र सरकार को बड़ी राहत देने का काम किया है. 4.1 की बहुमत से नोटबंदी को सही बता दिया गया है. अब एक तरफ केंद्र कोर्ट के इस फैसले के जरिए विपक्ष पर हमलावर है तो दूसरी तरफ AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी की तरफ से सरकार से बड़ा सवाल पूछा गया है. जोर देकर कहा गया है कि अगर नोटबंदी इतनी बड़ी सफलता है तो बीजेपी इसे सिलेब्रेट क्यों नहीं करती है.
ओवैसी कहते हैं कि ये बहुत अजीब बात है. नोटबंदी का जो भ्रष्टाचार खत्म करने का उदेश्य था, वो सब एक मजाक रहा. लाइन में खड़े होकर ही कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी. प्रधानमंत्री को तो उल्टा इस मामले में राजनीतिक और सामाजिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए थी. कुछ तथ्य तो ऐसे सामने आए हैं, जिन्हें कोई नहीं नकार सकता है. क्या जीडीपी गिरी नहीं? अजीम प्रेम जी यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट कहती हैं कि नोटबंदी के बाद 50 लाख लोगों ने अपनी नौकरी गंवा दी. नोटबंदी के बाद तो और ज्यादा लोगों ने कर्ज लिया है. मैं तो बीजेपी को चुनौती देता हूं, ये लोग नोटबंदी को सेलिब्रेट क्यों नहीं करते हैं, इसे लेकर जश्न क्यों नहीं मनाते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी पर बहुमत वाला फैसला पढ़ते हुए जस्टिस गवई ने कहा, कालाबाजारी और टेरर फंडिंग जैसे अपराधों को रोकने के मकसद से नोटबंदी हुई थी और अब ये प्रासंगिक नहीं है कि वो मकसद हासिल हुए या नहीं. जस्टिस गवई ने कहा कि ये नहीं कहा जा सकता कि पुराने नोट बदलने के लिए मिले 52 दिन सही नहीं थे. उन्होंने कहा, किसी भी फैसले को इसलिए गलत नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि वो सरकार ने लिया था. रिकॉर्ड देखने से पता चलता है कि नोटबंदी से पहले आरबीआई और केंद्र सरकार के बीच 6 महीने तक बातचीत हुई थी. अकेले जस्टिस नागरत्ना ने नोटबंदी के फैसले को ‘गैरकानूनी’ बताया है.
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