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Kumbh Mela: प्रयाग, हरिद्वार और नासिक में कुंभ तो उज्जैन में सिंहस्थ क्यों? जानिए इसका ज्योतिषीय कारण

तीर्थयात्री अपने पापों को धोने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं। मेले में साधुओं और अखाड़ों द्वारा आध्यात्मिक प्रवचन, अनुष्ठान और जुलूस शामिल होते हैं।
08:00 AM Jan 22, 2025 IST | Preeti Mishra

Kumbh Mela: इस समय प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के तट पर दिव्य और भव्य महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। कुंभ मेला दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। कुंभ (Kumbh Mela) भारत में चार पवित्र स्थलों - प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक - पर हर 12 साल में बारी-बारी से मनाया जाता है। यह स्थान उन जगहों को चिन्हित करते हैं जहां समुद्र मंथन के पश्चात अमृत की बूँदें गिरी थीं।

तीर्थयात्री अपने पापों को धोने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं। मेले (Mahakumbh 2025) में साधुओं और अखाड़ों द्वारा आध्यात्मिक प्रवचन, अनुष्ठान और जुलूस शामिल होते हैं। कुंभ आस्था, एकता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, जो लाखों भक्तों और वैश्विक मान्यता को आकर्षित करता है।

किन-किन नदियों के तट पर आयोजित होता है कुंभ?

हम सभी जानते हैं कि कुंभ (Kumbh) का आयोजन हर 12 साल पर देश के चार पवित्र स्थानों पर होता है। प्रयागराज (Mahakumbh 2025 in Prayagraj) में यह गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम स्थल पर आयोजित होता है। वहीं उत्तराखंड के हरिद्वार (Haridwar Kumbh) में गंगा नदी के तट पर कुंभ मेला लगता है। महाराष्ट्र के नासिक (Nasik Kumbh) में गोदावरी नदी तट पर कुंभ का आयोजन होता है। इसके बाद मध्य प्रदेश के उज्जैन (Ujjain Kumbh) में शिप्रा नदी के तट पर कुंभ का आयोजन होता है।

क्यों कहा जाता है उज्जैन के कुंभ को सिंहस्थ?

प्रयागराज, हरिद्वार और नासिक में लगने वाले मेले को कुंभ या महाकुंभ कहा जाता है। लेकिन उज्जैन में लगने वाले कुंभ को सिंहस्थ या सिंहस्थ कुंभ (simhastha kumbh) कहते हैं। ज्योतिष के अनुसार, उज्जैन में कुंभ का आयोजन तब होता है जब बृहस्पति सिंह राशि में और सूर्य मेष राशि में प्रवेश कर जाता है। उज्जैन में कुंभ मेले के दौरान बृहस्पति सिंह राशि में होता इसलिए इसे सिंहस्थ कुंभ कहते हैं।

वहीं प्रयागराज में कुंभ मेला तब लगता है जब सूर्य मकर राशि में होता है और बृहस्पति मेष राशि में होता है, जो गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम के साथ संरेखित होता है। नासिक में, यह तब आयोजित होता है जब बृहस्पति सिंह राशि में होता है और सूर्य और चंद्रमा कर्क राशि में होते हैं, जो गोदावरी नदी को पवित्र करते हैं। हरिद्वार में, यह आयोजन मेष राशि में सूर्य और कुंभ राशि में बृहस्पति के साथ संरेखित होता है, जो गंगा की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाता है।

2028 में लगेगा उज्जैन में कुंभ मेला

उज्जैन (Ujjain) में पिछला कुंभ 2016 में आयोजित हुआ था। इस तरह 12 वर्ष बाद अगला महाकुंभ 2028 (Mahakumbh 2028) में लगेगा। वर्ष 2028 में 27 मार्च से 27 मई तक उज्जैन में सिहस्थ कुंभ का आयोजन होगा। जानकारी के अनुसार, उज्जैन के सिहस्थ कुंभ में 9 अप्रैल से 8 मई के दौरान तीन शाही स्नान और कुल सात पर्व स्नान आयोजित होंगे। 2028 कुंभ के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने तैयारी शुरू भी कर दी है। एक अनुमान के अँसुअर, उज्जैन के सिहस्थ कुंभ (simhastha kumbh of Ujjain)में 14 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु एकत्रित होंगे।

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