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संसद बनाती है कानून, पर क्या ममता रोक सकती हैं लागू होना? जानिए संविधान क्या कहता है!

वक्फ संशोधन विधेयक पिछले गुरुवार को लोकसभा और शुक्रवार को राज्यसभा से पास हुआ था। शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधेयक को अपनी मंजूरी....
07:40 AM Apr 13, 2025 IST | Rajesh Singhal

Waqf Amendment Act West Bengal: वक्फ संशोधन विधेयक पिछले गुरुवार को लोकसभा और शुक्रवार को राज्यसभा से पास हुआ था। शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी। (Waqf Amendment Act West Bengal) केंद्र सरकार ने इसको लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी। जिसमें लिखा है कि वक्फ कानून को 8 अप्रैल से देश में प्रभावी रूप से लागू कर दिया गया। अभी वक्फ कानून लागू कुछ ही दिन गुजरे थे कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा ऐलान कर दिया।

क्या ममता रोक सकती हैं कानून?

ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र के वक्फ संशोधन कानून को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा। ममता बनर्जी ने बुधवार को कोलकाता में जैन समुदाय के एक कार्यक्रम में कहा कि मैं अल्पसंख्यक लोगों और उनकी संपत्ति की रक्षा करूंगी। उन्होंने कहा, “मैं जानती हूं कि वक्फ कानून बनने से आप निराश हैं. मगर भरोसा रखें बंगाल में ऐसा कुछ नहीं होगा जिससे कोई बांटकर राज कर सके। बांग्लादेश की स्थिति देखिए... वक्फ संशोधन विधेयक को अभी पास नहीं किया जाना चाहिए था। इससे ये सवाल उठता है कि क्या ममता बनर्जी इस कानून को लागू करने से मना कर सकती हैं? क्या कोई राज्य सरकार ऐसा कर सकती है कि वो केंद्र के किसी कानून को अपने यहां लागू करने से मना कर दे?

क्या ममता के पास विकल्प है?

आइए जानते हैं कि इस मामले में भारत का संविधान क्या कहता है? संविधान के अनुच्छेद 245 और 246 के तहत संसद को कानून बनाने का अधिकार है. अगर संसद द्वारा बनाया गया कानून संघ सूची (Union List) या समवर्ती सूची (Concurrent List) के विषयों से संबंधित है, तो राज्यों का इसे लागू न करने का अधिकार सीमित होता है

वक्फ समवर्ती सूची का विषय

भारत में कानून से जुड़े विषयों को तीन श्रेणी में बांटा गया है...केंद्रीय सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची। केंद्रीय सूची के विषयों पर संसद में ही कानून बन सकता है और वह पूरे देश में लागू होता है। राज्य सूची में जो विषय आते हैं, उनमें राज्य विधानसभा को कानून बनाने का विशेषाधिकार होता है। समवर्ती सूची के विषयों पर संसद और विधानसभा दोनों कानून बना सकते हैं। धर्मार्थ संस्थाओं और उन्हें दिए जाने वाले दान से जुड़े मामलों को समवर्ती सूची में 28वें नंबर पर जगह दी गई है। वक्फ भी धर्मार्थ ट्रस्ट ही होता है। ऐसे में उससे जुड़ा कानून बनाने का अधिकार संसद और विधानसभा दोनों के पास है।

 

संसद से बने कानून को प्रमुखता

समवर्ती सूची पर कानून बनाने का अधिकार भले ही राज्यों को भी दिया गया है, लेकिन उनके अधिकार बहुत सीमित हैं। अगर किसी विषय पर संसद ने कानून बनाया है तो संविधान में उसे ही प्रमुखता दी गई है। राज्य की विधानसभा की तरफ से बने कानून के जो भी प्रावधान संसद से पारित कानून से अलग होंगे, उन्हें लागू नहीं किया जा सकता।

कानून का पालन करना राज्यों का दायित्व

क्योंकि अनुच्छेद 254 के अनुसार केंद्रीय कानून राज्य कानूनों पर प्राथमिकता रखते हैं। अनुच्छेद 256 के मुताबिक राज्य सरकारें केंद्र के बनाए कानून और उनके निर्देशों का पालन करने से मना नहीं सकती हैं।  जानकारों का कहना है कि केंद्र के निर्देशों को पालन करना राज्यों का दायित्व है। केंद्र के किसी कानून को न मानना संविधान की असफलता मानी जाती है। ऐसा होने पर क्या कार्रवाही हो सकती है यह संविधान में स्पष्ट रूप से दिया गया है।

क्या हो सकती है राज्यों की भूमिका

राज्य सरकारें वक्फ बोर्डों के प्रशासनिक कार्यों में भूमिका निभा सकती हैं, लेकिन केंद्र के बनाए कानून को रद्द या अमान्य नहीं कर सकतीं। यदि राज्य का अपना कोई वक्फ कानून है, जो केंद्रीय कानून से टकराता है, तो केंद्रीय कानून प्रभावी होगा। जब तक कि राष्ट्रपति की अनुमति से राज्य कानून को प्राथमिकता न दी जाए। अगर कोई राज्य यह साबित कर सके कि केंद्रीय कानून संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है, तो वो अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। हालांकि ऐसा पहली बार देखने को नहीं मिल रहा है कि कोई राज्य सरकार संसद द्वारा पारित कानून को अपने यहां लागू करने से रोक रही हो। इसके पहले जब सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) लाया गया था उस समय भी पश्चिम बंगाल और केरल ने इसे अपने राज्य में इसे लागू करने पर विरोध जताया था।

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