मौलाना महमूद मदनी ने वक्फ एक्ट पर जताई नाराजगी, मुसलमानों के लिए हो सकता है खतरनाक, जानें क्या बोले
Waqf Bill : वक्फ संशोधन बिल के संसद से पारित होने के बाद देशभर में इसका विरोध तेज हो गया है। कई मुस्लिम संगठनों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मुर्शिदाबाद में इस विरोध ने हिंसक रूप भी ले लिया। इसी क्रम में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने इस मुद्दे पर तीखा बयान दिया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मौलाना मदनी ने वक्फ संशोधन बिल पर गहरी आपत्ति जताई और तीन अहम बिंदुओं को सामने रखा। उन्होंने पहला आरोप सत्ताधारी बीजेपी और उसके सहयोगियों पर लगाते हुए कहा कि वे यह धारणा बना रहे हैं ( Waqf Bill ) कि पुराने वक्फ कानून में अराजकता थी। मौलाना मदनी ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि पहले भी वक्फ बोर्ड एक तयशुदा प्रक्रिया के तहत ही गठित होते थे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उस समय भी सरकारें अपने पसंदीदा मुसलमानों की नियुक्ति करती थीं, लेकिन यह कहना पूरी तरह गलत है कि कोई व्यवस्था ही नहीं थी।
बिल मुसलमानों के लिए नहीं है सही, लड़ाई जारी रहेगी
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने वक्फ संशोधन बिल पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि यह कानून न तो देश, न भारतीयों और न ही मुसलमानों के हित में है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह संशोधन बिल बिल्डरों और कॉर्पोरेट हितों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से लाया गया है। मदनी ने कहा कि उन्होंने पहले भी उन शक्तियों से टक्कर ली है, जिनके साथ आज सरकार खड़ी दिखाई देती है। उनका आरोप है कि बहुसंख्यकवाद के ज़रिए देश की लोकतांत्रिक नींव को कमजोर किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि वे समाज के सबसे वंचित, गरीब और हाशिए पर खड़े लोगों की आवाज उठाते रहेंगे, चाहे इसके लिए कितनी भी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े। उन्होंने दो टूक कहा—"यह लड़ाई थमेगी नहीं। चाहे संघर्ष करना पड़े या धैर्य रखना पड़े, हम हर हालात के लिए तैयार हैं।"
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