Tuesday, April 8, 2025
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शादी का झांसा देकर यौन संबंध? सुप्रीम कोर्ट ने कहा...इतनी भोली होती तो हमारे सामने नहीं आती!

भारतीय समाज में रिश्तों को लेकर संवेदनशीलता और कानून की पेचिदगियां अक्सर आपस में उलझ जाती हैं। खासकर शादी के झूठे वादे को लेकर दर्ज...
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Supreme Court on False Rape Cases: भारतीय समाज में रिश्तों को लेकर संवेदनशीलता और कानून की पेचिदगियां अक्सर आपस में उलझ जाती हैं। खासकर शादी के झूठे वादे को लेकर दर्ज होने वाले बलात्कार के मामलों में एक गंभीर बहस को जन्म दिया है। ऐसे मामलों में बढ़ती प्रवृत्ति ने न्यायपालिका को भी चिंतित कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एम.एम.सुंदरेश और राजेश बिंदल की पीठ ने इस पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि रोमांस और ब्रेकअप के बाद महिलाओं को (Supreme Court on False Rape Cases) बलात्कार का मामला दर्ज करने से बचना चाहिए। न्यायाधीशों ने इसे रूढ़िवादी मानसिकता का परिणाम बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों में पुरुष स्वत: दोषी ठहरा दिया जाता है, जबकि न्याय प्रणाली में भी खामियां  मौजूद है।

इतनी भोली होती तो हमारे सामने...

पीठ एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसने उस महिला  की ओर से लगाए गए बलात्कार के आरोपों को खारिज करने की मांग की है, जिसकी उससे सगाई हो चुकी थी। महिला ने कहा कि शादी का झांसा देकर उसके साथ यौन संबंध बनाए गए। पीठ ने कहा, अगर तुम इतनी भोली होती तो हमारे सामने नहीं आती। तुम बालिग हो। ऐसा नहीं हो सकता कि तुम्हें विश्वास दिला दिया गया कि शादी हो जाएगी। आज युवाओं के बीच नैतिकता, सद्गुणों की अवधारणा अलग है।

अगर हम आपकी बात से सहमत हों तो कॉलेज आदि में लड़के और लड़की के बीच कोई भी संबंध दंडनीय हो जाएगा। मान लीजिए कि वे एक-दूसरे से प्यार करते हैं। लड़का कहता है कि मैं अगले हफ्ते तुमसे शादी करूंगा और फिर मना कर देता है… तो क्या यह अपराध है? जस्टिस सुंदरेश ने यह भी कहा कि वैवाहिक अधिकारों की बहाली के प्रावधानों की भी फिर से जांच होनी चाहिए, जिसके तहत महिला को पति के साथ रहने के लिए मजबूर किया जाता है।

कल वैवाहिक बलात्कार का आरोप...

पीड़िता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दीवान ने कहा कि यह प्रेम संबंध में खटास का नहीं, बल्कि तय विवाह का मामला है। पीठ ने कहा, इससे क्या फर्क पड़ता है? कल वैवाहिक बलात्कार का आरोप लगाया जा सकता है। एकमात्र तथ्य यह है कि शादी नहीं हुई। पीठ ने कहा कि महिला ने दीवान के स्तर का वकील नियुक्त किया। यह अपने आप में सबूत है कि उसे भोली-भाली नहीं माना जा सकता।

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