Sheetala Saptami and Ashtami 2025: बसौड़ा या शीतला सप्तमी व अष्टमी कब है? जानें तिथि और पूजा मुहूर्त
Sheetala Saptami and Ashtami 2025: शीतला सप्तमी और अष्टमी, देवी शीतला को समर्पित महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे भक्तों को चेचक और खसरे जैसी संक्रामक बीमारियों से बचाती हैं। इस त्योहार को बसौड़ा पूजा (Sheetala Saptami and Ashtami 2025) के नाम से भी जाना जाता है और यह राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में विशेष महत्व रखता है।
भक्त इस दिन को बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं, प्रार्थना करते हैं और स्वास्थ्य और कल्याण के लिए दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सदियों (Sheetala Saptami and Ashtami 2025) पुराने अनुष्ठानों का पालन करते हैं।
शीतला सप्तमी और अष्टमी 2025 तिथि और समय
शीतला अष्टमी शनिवार, 22 मार्च, 2025
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त 06:24 AM से 06:34 PM
शीतला सप्तमी शुक्रवार, 21 मार्च, 2025
अष्टमी तिथि 22 मार्च, 2025 को सुबह 04:23 बजे से शुरू होगी
अष्टमी तिथि 23 मार्च, 2025 को सुबह 05:23 बजे समाप्त होगी
बसोड़ा पूजा मुहूर्त और पालन
बसोड़ा या शीतला अष्टमी, होली के बाद कृष्ण पक्ष अष्टमी को आती है। परंपरागत रूप से, अधिकांश लोग होली के आठ दिन बाद इस त्योहार को मनाते हैं, लेकिन कुछ लोग होली के बाद पहले सोमवार या शुक्रवार को पूजा करना पसंद करते हैं।
बसोड़ा पूजा (Basoda Puja) का एक अनूठा पहलू यह है कि इस दिन परिवार खाना पकाने के लिए आग नहीं जलाते हैं। इसके बजाय, वे एक दिन पहले भोजन तैयार करते हैं और इसे प्रसाद के रूप में खाते हैं। यह परंपरा देवी शीतला के प्रति सम्मान का प्रतीक है और माना जाता है कि इससे बीमारियां दूर रहती हैं।
शीतला सप्तमी और अष्टमी के अनुष्ठान
उपवास और सुबह जल्दी स्नान: भक्त सुबह जल्दी उठते हैं, पवित्र स्नान करते हैं और देवी शीतला को समर्पित मंदिरों में जाते हैं।
बसौड़ा पूजा: देवी शीतला को बासी भोजन, मीठी पूरियां, रबड़ी और दही से बने व्यंजन चढ़ाए जाते हैं।
ताजा खाना नहीं: परंपरा के अनुसार, इस दिन कोई ताजा भोजन नहीं बनाया जाता है और भक्त एक दिन पहले तैयार भोजन खाते हैं।
प्रार्थना का जाप: भक्त दिव्य आशीर्वाद पाने के लिए शीतला माता स्तोत्र और अन्य पवित्र भजनों का पाठ करते हैं।
सरसों के बीज और जल चढ़ाना: लोग सरसों के बीज, दूध और ठंडा पानी देवता को चढ़ाते हैं, जो गर्मी से संबंधित बीमारियों से राहत का प्रतीक है।
शीतला सप्तमी और अष्टमी 2025 को पारंपरिक रीति-रिवाजों और प्रार्थनाओं पर जोर देते हुए अपार आस्था और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। पहले से पका हुआ भोजन खाने और ताजा तैयार भोजन से परहेज करने की अनूठी प्रथा देवी के प्रति श्रद्धा और रोग मुक्त जीवन के लिए उनके आशीर्वाद का प्रतीक है। ईमानदारी से अनुष्ठानों का पालन करके, भक्त अच्छे स्वास्थ्य, खुशी और समग्र कल्याण के लिए दिव्य कृपा चाहते हैं।
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