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Sambhal Controversy: संभल जामा मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ? खारिज हो गई मौलाना की याचिका

संभल जामा मस्जिद के बाहर रंग-रोगन से जुड़े इलाहाबाद HC के आदेश पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया।
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Sambhal Controversy: उत्तर प्रदेश की संभल जामा मस्जिद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। (Sambhal Controversy) मौलाना की ओर से मस्जिद के बाहरी हिस्से में रंगाई-पुताई के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसमें हाईकोर्ट के आदेश को भ्रमित करने वाला बताया गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आदेश भ्रमित करने वाला है, तो हाईकोर्ट के पास जाएं और कन्फ्यूजन दूर करें।

संभल जामा मस्जिद पर SC ने क्या कहा?

देश की सर्वोच्च अदालत ने उत्तर प्रदेश की संभल की जामा मस्जिद को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका मौलाना की ओर से दायर की गई थी। जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के मस्जिद के बाहरी हिस्से पर रंगाई-पुताई के आदेश को चुनौती दी गई थी। मौलाना की ओर से बताया गया कि हाईकोर्ट का आदेश भ्रमित करने वाला है। इस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्‍ना की बेंच ने उनका पक्ष सुना। इसके बाद CJI ने कहा कि अगर यह आदेश भ्रमित करने वाला है तो कंफ्यूजन दूर करने के लिए हाईकोर्ट के पास जाएं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

Sambhal Controversy

कानूनी गलती वाली याचिका भी ठुकराई

सुप्रीम कोर्ट ने संभल जामा मस्जिद के बाहरी हिस्से पर रंग रोगन से जुड़े इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाकर कन्फ्यूजन दूर करने को कहा। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ASI को मस्जिद समिति से खर्च वसूलने की अनुमति को कानूनी गलती बताने वाली याचिका भी ठुकरा दी। इस याचिका में कहा गया था कि क्या ASI को हरिहर मंदिर संभल जैसे स्मारकों के रखरखाव के लिए फंड नहीं दिया जाता।

क्या था इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 मार्च को संभल की शाही जामा मस्जिद के बाहरी हिस्से पर रंग-रोगन का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने ASI को कहा था कि संभल में शाही जामा मस्जिद के बाहरी हिस्से पर सफेदी कराएं। मस्जिद समिति इस काण पर होने वाले खर्च की पूर्ति करे। इस पर याचिकाकर्ता के वकील कहा कि हाईकोर्ट का आदेश भ्रमित करने वाला है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद कहा कि आप पहले हाईकोर्ट जाकर भ्रम दूर करें।

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