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धान के हाइब्रिड बीज पर पंजाब सरकार सख्त! किसान परेशान, जानें क्यों हुआ ये फैसला!

पंजाब सरकार ने हाइब्रिड धान के बीजों की बिक्री पर रोक इसलिए लगाई है क्योंकि इन्हें राज्य में अत्यधिक दामों पर बेचा जा रहा था। साथ ही, सरकार का कहना है कि इन बीजों...
11:22 AM Apr 13, 2025 IST | Rajesh Singhal

Punjab Hybrid Rice Ban: पंजाब सरकार ने हाइब्रिड धान के बीजों की बिक्री पर रोक इसलिए लगाई है क्योंकि इन्हें राज्य में अत्यधिक दामों पर बेचा जा रहा था। साथ ही, सरकार का कहना है कि इन बीजों से तैयार धान की मिलिंग के दौरान चावल अधिक टूटता है, जो भारतीय खाद्य निगम (FCI) के निर्धारित मानकों से अधिक है।(Punjab Hybrid Rice Ban) इन दोनों कारणों से किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा। हालांकि, कुछ किसान और विशेषज्ञ इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।

हाइब्रिड धान का इस्तेमाल क्यों करते हैं किसान?

पंजाब में अधिकारिक तौर पर खेती के लिए तकरीबन 8 तरह की हाइब्रिड धान की किस्में हैं। बेयर, सवाना, कार्टेवा और VNR जैसी प्राइवेट बीज कंपनियां इन स्वीकृत हाइब्रिड किस्मों की पेशकश करती हैं। वहीं किसानों का कहना है कि हाइब्रिड किस्में पारंपरिक किस्मों के मुकाबले ज्यादा लाभ पहुंचाती हैं, जिसमें कम विकास अवधि और ज्यादा उपज शामिल है। किसानों के मुताबिक ये किस्में जल्दी पकती हैं और यह पानी भी काफी बचाती हैं। ये किस्में दूसरों के मुकाबले प्रति एकड़ 5-6 क्विंटल ज्यादा उपज देती हैं। वहीं इससे पराली भी कम पैदा होती है।

143 दिन में पकती है फसल

पंजाब सरकार का मानना है कि पूसा-44 धान की किस्‍म पानी की बहुत खपत करने वाली वैरायटी है। इसको प्रतिबंधित किया गया है कि ताकि राज्य में भूजल के बहुत ज्‍यादा दोहन को रोका जा सके। माना जाने लगा है कि धान की खेती की वजह से पंजाब आने वाले दो दशकों में रेगिस्तान बनने की कगार पर है। एक अखबार की रिपोर्ट के अनुसार पूसा-44 एक लंबी अवधि वाली धान की किस्म है जो पकने में 143 दिन लेती है। इसके लिए खेतों को अतिरिक्त 50 दिनों तक जोतना पड़ता है।

क्या होता है आउट-टर्न रेशियो (OTR) 

धान में आउट-टर्न रेशियो चावल की पैदावार का वह प्रतिशत है जो मिलिंग के बाद धान से निकाला जाता है। भारतीय खाद्य निगम (FCI) 67 फीसदी का OTR अनिवार्य करता है। उदाहरण के तौर पर हर 100 किलो धान से मिलिंग के बाद 67 किलो चावल का उत्पादन होना चाहिए। जितना अधिक OTR होगा उतना अधिक धान में से चावल का उत्पादन होगा।

 

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