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आज खेली जाएगी बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली, वृंदावन में होगी रंगभरी एकादशी

फूलों की होली मुख्य होली त्योहार से कुछ दिन पहले एकादशी को मनाई जाती है। यह राधा और कृष्ण की पौराणिक कथाओं से प्रेरित है।
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Phoolon ki Holi 2025

Phoolon Ki Holi 2025: फूलों की होली भगवान कृष्ण को समर्पित वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में आयोजित एक अनोखा और दिव्य उत्सव है। रंगों से खेली जाने वाली पारंपरिक होली के विपरीत, यह विशेष होली फूलों की पंखुड़ियों (Phoolon Ki Holi 2025) से खेली जाती है, जो भक्ति और उत्सव का एक मनमोहक नजारा पेश करती है।

Phulon ki Holi 2025: आज खेली जाएगी बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली, वृंदावन में होगी रंगभरी एकादशी

फूलों की होली का महत्व और उत्सव

फूलों की होली (Phoolon Ki Holi 2025) मुख्य होली त्योहार से कुछ दिन पहले एकादशी को मनाई जाती है। यह राधा और कृष्ण की पौराणिक कथाओं से प्रेरित है, जहां फूल प्रेम, पवित्रता और भक्ति का प्रतीक हैं। जैसे ही बांके बिहारी मंदिर के दरवाजे खुलते हैं, मंदिर के पुजारी भक्तों पर फूलों की (Phulon ki Holi Significance) पंखुड़ियां बरसाते हैं, जिससे हवा खुशबू और आनंद से भर जाती है। यह उत्सव केवल 15-20 मिनट तक चलता है, जो इसे आगंतुकों के लिए एक विशेष अनुभव बनाता है।

Phulon ki Holi 2025: आज खेली जाएगी बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली, वृंदावन में होगी रंगभरी एकादशी

क्यों देखें फूलों की होली

मंदिर में भक्ति गीत, "राधे राधे" के मंत्र और पारंपरिक होली भजन गूंजते हैं, जो आध्यात्मिक रूप से उत्थान करने वाला माहौल बनाते हैं। दुनिया भर से भक्त और पर्यटक इस दिव्य उत्सव को देखने के लिए इकट्ठा होते हैं। यह आयोजन वृंदावन, बरसाना और नंदगांव में भव्य होली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है, जो आध्यात्मिकता और उत्सव के मिश्रण की चाह रखने वालों के लिए एक दर्शनीय स्थल है।

Phoolon ki Holi 2025: आज खेली जाएगी बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली, वृंदावन में होगी रंगभरी एकादशी

आज ही होगी वृन्दावन में रंगभरी एकादशी

रंगभरी एकादशी, जिसे आंवला एकादशी (Rangbhari Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है, होली से पहले वृंदावन में मनाया जाने वाला एक जीवंत और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण त्योहार है। फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि (एकादशी) को पड़ने वाला यह त्योहार भगवान कृष्ण और राधा के भक्तों के लिए विशेष रूप से भव्य होली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है।

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रंगभरी एकादशी का महत्व और उत्सव

माना जाता है कि रंगभरी एकादशी वह दिन है जब भगवान कृष्ण और राधा रानी रंगों से होली खेलना शुरू करते हैं, जो दिव्य प्रेम और आनंद का प्रतीक है। मंदिर, विशेष रूप से बांके बिहारी मंदिर, उत्सव का केंद्र बन जाता है। जैसे ही दरवाजे खुलते हैं, पुजारी और भक्त गुलाल फेंकते हैं और होली के भजन गाते हुए "राधे राधे" का जाप करते हैं। बांके बिहारी जी की मूर्ति को चमकीले रंगों से सजाया जाता है और पूरा मंदिर संगीत, ढोल और कीर्तन से गूंज उठता है।

Phoolon ki Holi 2025: आज खेली जाएगी बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली, वृंदावन में होगी रंगभरी एकादशी

पर्यटकों के आकर्षण का होता है यह केंद्र बिंदु

वृंदावन रंगों के एक दिव्य खेल के मैदान में बदल जाता है, जो हज़ारों भक्तों और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। विशेष भजन, कीर्तन और जुलूस निकाले जाते हैं, जिससे भक्ति और उत्सव का माहौल बनता है। रंगभरी एकादशी में भाग लेने से कृष्ण और राधा की पौराणिक होली की झलक मिलती है, जो बरसाना  और नंदगांव में भव्य होली समारोह से पहले इसे अवश्य देखने लायक अनुभव बनाती है।

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