"मैंने पिता को खोया, लेकिन कश्मीर में मेरे दो भाई हैं..." पहलगाम हमले की पीड़िता का दिल छूने वाला बयान
Pahalgam Terror Attack: जम्मू कश्मीर के पहलगाम को इसकी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है, लेकिन 22 अप्रैल की दोपहर यहां हुए आतंकी हमले ने पीड़ितों को ऐसा दर्द दिया है, जो जीवन भर उन्हें परेशान करेगा। केरल के कोच्चि की रहने वाली आरती आर मेनन भी उन पीड़ितों में शामिल हैं, (Pahalgam Terror Attack)जिन्होंने पहलगाम आतंकी हमले में अपने प्रियजनों को खोया। आतंकी हमले के तीन दिन बाद आरती कोच्चि स्थित अपने घर पहुंचीं, लेकिन अभी तक वे उस सदमे से उबर नहीं पाई हैं, जिसने उनके पिता का साया छीन लिया।
हमला 10 मिनट के भीतर हुआ…
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए 26 लोगों में से एक रामचंद्रन भी थे। रामचंद्रन के साथ आरती और उनके दो बेटे और पत्नी शीला भी थे। रामचंद्रन के पार्थिव शरीर को कोच्चि लाने के कुछ घंटों बाद गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए आरती ने कहा कि यह एक आतंकवादी हमला था, यह महसूस करने के बाद हम सभी भागने की कोशिश करने लगे। हम लगभग 2.10 बजे वहां पहुंचे। हमला 10 मिनट के भीतर हुआ।
तो उसने मेरे पिता को गोली मार दी…
आरती ने बताया जब एक आतंकवादी ने गोली चलानी शुरू की तो सभी लोग स्तब्ध रह गए। उसने सभी को लेट जाने को कहा। वह हमारे पास आया और एक शब्द बोला, जो ‘कलमा’ जैसा लग रहा था, दो बार...जब हमने कहा कि हमें समझ नहीं आया, तो उसने मेरे पिता को गोली मार दी। जब मैंने उन्हें गले लगाया, तो आतंकवादी ने मेरे सिर पर बंदूक तान दी। मुझे नहीं पता कि उसने गोली चलाने के लिए ऐसा किया था या मुझे डराने के लिए। कोच्चि निवासी एन. रामचंद्रन की बेटी आरती आर. मेनन ने बताया कि जब मेरे जुड़वां बेटे चिल्लाने लगे तो वह भाग गए।
‘कश्मीर से दो भाई मिल गए’
आरती ने बताया कि दो कश्मीरी टैक्सी ड्राइवर ‘मुसाफिर और समीर’ ने त्रासदी के दौरान उसके भाइयों की तरह उसकी देखभाल की। आरती ने मीडिया से कहा, मुझे सुबह 3 बजे तक शवगृह के सामने इंतजार करना पड़ा और फिर सुबह 6 बजे वापस लौटना पड़ा। इस दौरान वे बहन की तरह मेरे साथ रहे। एयरपोर्ट पर मैंने उन्हें बताया कि मुझे कश्मीर से दो भाई मिल गए हैं।
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