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पहलगाम अटैक की टाइमिंग के पीछे क्या ये साजिश? जानें आतंकी हमलों में कब-कब मारे गए पर्यटक-तीर्थयात्री

कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया। कई की मौत, 20 घायल। अमरनाथ यात्रा से पहले साजिश? गृह मंत्री शाह श्रीनगर रवाना। पूरी खबर पढ़ें।
08:13 PM Apr 22, 2025 IST | Vibhav Shukla

कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार (22 अप्रैल 2025) को आतंकियों ने खौफनाक हरकत की। अनंतनाग जिले के बैसरन गांव में पर्यटकों के एक ग्रुप पर अंधाधुंध फायरिंग की गई। खबर है कि इस हमले में कई लोग मारे गए और करीब 20 लोग घायल हुए हैं, हालांकि अभी आधिकारिक पुष्टि बाकी है। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है। इस बीच, गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर रवाना हो गए हैं। सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ ने मिलकर इलाके को घेर लिया है और आतंकियों को ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है।

आतंकियों की बौखलाहट, अमरनाथ यात्रा पर निशाना?

कश्मीर में आतंकवाद की कमर टूट चुकी है। हाल ही में हंदवाड़ा में पाकिस्तानी आतंकी सैफुल्ला को मार गिराया गया था। इससे बौखलाए आतंकी और उनके सीमा पार के आका अब नई साजिश रच रहे हैं। पहलगाम में ये हमला जुलाई में शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा से ठीक पहले हुआ है। जानकार मान रहे हैं कि आतंकी इस हमले से घाटी में दहशत फैलाना चाहते हैं, ताकि पर्यटक और तीर्थयात्री कश्मीर आने से डरें।

पहले भी निशाना बने हैं पर्यटक-तीर्थयात्री

आतंकियों ने इससे पहले भी कई बार पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को निशाना बनाया है। आइए, एक नजर डालते हैं ऐसे कुछ बड़े हमलों पर:

18 मई 2024: श्रीनगर में कपल पर हमला

पिछले साल जयपुर से आए एक कपल पर श्रीनगर में आतंकियों ने गोलीबारी की थी। ये हमला जम्मू-कश्मीर में चुनावों से ठीक पहले हुआ था। आतंकियों की ये हरकत लोकतंत्र के खिलाफ उनकी बौखलाहट को दिखाती है।

9 जून 2024: रियासी में बस पर फायरिंग

जम्मू रीजन के रियासी जिले में आतंकियों ने तीर्थयात्रियों से भरी बस पर ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। इस हमले में 9 लोग मारे गए और 33 घायल हुए। अनुच्छेद-370 खत्म होने के बाद से आतंकी संगठनों के बड़े नाम जैसे जाकिर मूसा, रियाज नाइकू और बासित अहमद डार ढेर किए जा चुके हैं, जिसके बाद आतंकी जम्मू रीजन को निशाना बना रहे हैं।

14 नवंबर 2005: श्रीनगर में फिदायीन हमला

श्रीनगर के लाल चौक में ‘पल्लाडियम सिनेमा’ के पास आतंकियों ने फिदायीन हमला किया था। इसमें दो सीआरपीएफ जवान शहीद हुए, दो नागरिक मारे गए और एक जापानी पर्यटक समेत 17 लोग घायल हुए थे।

4 जुलाई 1995: पहलगाम में विदेशी पर्यटकों का अपहरण

पहलगाम के लिद्दरवाट में हरकत-उल-अंसार के आतंकियों ने छह विदेशी पर्यटकों और दो गाइड को अगवा कर लिया था। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, नॉर्वे और जर्मनी के पर्यटक शामिल थे। एक पर्यटक क्रिश्चियन ऑस्ट्रो की हत्या कर दी गई थी। आतंकियों ने मसूद अजहर जैसे आतंकियों की रिहाई की मांग रखी थी।

साल 2000: अनंतनाग और डोडा में हमले

साल 2000 में आतंकियों ने अनंतनाग और डोडा में अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाया था। 1 और 2 अगस्त को हुए इन हमलों में करीब 100 लोग मारे गए थे। 2 अगस्त को पहलगाम के नुनवान बेस कैंप पर हुए हमले में 21 तीर्थयात्री, 7 स्थानीय दुकानदार और 3 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे।

20 जुलाई 2001: तीर्थयात्री कैंप पर हमला

अमरनाथ गुफा के पास तीर्थयात्रियों के कैंप पर आतंकियों ने हमला किया था। इसमें 8 तीर्थयात्री, 3 स्थानीय नागरिक और 2 सुरक्षाकर्मी समेत 13 लोग मारे गए थे।

आतंकी पर्यटकों को क्यों बनाते हैं निशाना?

आतंकी पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को निशाना बनाकर कई मकसद साधते हैं। आइए, समझते हैं इसके पीछे की साजिश

पर्यटन को ठप करना

कश्मीर की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बड़ा रोल है। जब आतंकी पर्यटकों पर हमला करते हैं, तो बाहर से आने वाले लोग डर जाते हैं और घाटी में पर्यटकों की संख्या घट जाती है। इससे होटल, टैक्सी, गाइड जैसे रोजगार से जुड़े हजारों लोगों की कमाई पर असर पड़ता है।

अशांति फैलाने की कोशिश

पाकिस्तान आजादी के बाद से कश्मीर को अशांत रखने की साजिश रचता रहा है। आतंकी संगठन चाहते हैं कि कश्मीर में शांति न हो। अगर पर्यटक बेखौफ घाटी आएंगे, तो ये संदेश जाएगा कि कश्मीर में हालात सामान्य हैं, जो आतंकियों और उनके आकाओं को मंजूर नहीं।

सरकार और सुरक्षाबलों को ललकारना

पर्यटकों पर हमले करके आतंकी ये दिखाना चाहते हैं कि कश्मीर अभी भी असुरक्षित है। इससे पाकिस्तान को भारत की छवि खराब करने का मौका मिलता है। हालांकि, दुनिया में उसका चरित्र पहले ही बेनकाब हो चुका है।

स्थानीय लोगों में अविश्वास पैदा करना

कश्मीर के स्थानीय लोग पर्यटन से अच्छी कमाई करते हैं। आतंकी नहीं चाहते कि स्थानीय लोग भारत सरकार के साथ जुड़ाव महसूस करें। पर्यटकों पर हमले से वो स्थानीय लोगों और सरकार के बीच अविश्वास की खाई पैदा करने की कोशिश करते हैं।

 

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