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Pahalgam Attack: कौन है सैफुल्लाह खालिद? पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड, पाक सेना की मदद से चलाता है खेल!

सैफुल्लाह खालिद, पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड, लग्जरी गाड़ियों का दीवाना और पाक सेना की सरपरस्ती में पलता चेहरा
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Pahalgam Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में 21 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने देश को हिलाकर रख दिया। इस हमले में 30 लोगों की जान चली गई। जबकि 20 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं। अभी तक 16 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने ली है।(Pahalgam Attack) खुफिया सूत्रों के अनुसार इस हमले का मास्टरमाइंड सैफुल्लाह खालिद है जो जम्मू-कश्मीर में लश्कर और टीआरएफ की आतंकी गतिविधियों का मुख्य संचालक है।

सैफुल्लाह खालिद- आतंक का चेहरा

सैफुल्लाह खालिद जिसे सैफुल्लाह कसूरी के नाम से भी जाना जाता है। लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ और हाफिज सईद का करीबी है। वह लग्जरी कारों में सफर करता है और उसकी सुरक्षा में अत्याधुनिक हथियारों से लैस आतंकी तैनात रहते हैं। पाकिस्तान में उसका रसूख इतना है कि सेना के अधिकारी भी उसका स्वागत फूल बरसाकर करते हैं। दो महीने पहले वह पाकिस्तान के पंजाब के कंगनपुर में था। जहां पाक सेना के कर्नल जाहिद जरीन खटक ने उसे जिहादी भाषण के लिए आमंत्रित किया था। खालिद ने वहां भारतीय सैनिकों के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए।

कश्मीर पर कब्जे का खतरनाक मंसूबा

खैबर पख्तूनख्वा में आयोजित एक सभा में सैफुल्लाह ने जहरीले इरादे जाहिर किए. उसने कहा ‘मैं वादा करता हूं कि आज 2 फरवरी 2025 है। 2 फरवरी 2026 तक कश्मीर पर हम कब्जा करने की पूरी कोशिश करेंगे। आने वाले दिनों में हमारे मुजाहिदीन हमले तेज कर देंगे। हमें उम्मीद है कि 2 फरवरी 2026 तक कश्मीर आजाद हो जाएगा। इस सभा का आयोजन पाक सेना और आईएसआई ने किया था। जिसमें भारी संख्या में हथियारबंद आतंकी मौजूद थे।

एबटाबाद कैंप में भारत के खिलाफ...

खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, 2024 में एबटाबाद के जंगलों में आयोजित आतंकी प्रशिक्षण कैंप में सैफुल्लाह ने युवाओं को टारगेट किलिंग, आत्मघाती हमलों और घुसपैठ की रणनीति सिखाई। इस कैंप का आयोजन लश्कर के पॉलिटिकल विंग PMML और SML ने किया था। पाकिस्तान की सेना और ISI की मदद से इन आतंकियों को सीमा पार घुसपैठ कराने की योजना बनाई गई थी।

टीआरएफ: लश्कर का छद्म चेहरा

द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद ISI द्वारा खड़ा किया गया, ताकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर लश्कर-ए-तैयबा के नाम से बचते हुए आतंकवादी गतिविधियां जारी रखी जा सकें। भारत के गृह मंत्रालय ने भी TRF को लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन करार दिया है, जो लश्कर के फंडिंग चैनल्स, हथियारों और ट्रेनिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करता है।

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