'चूक' ने खोला रास्ता, बैसरन घाटी से शुरू हुआ आतंक, पहलगाम हमले ने हिला दी देश की रूह!
Pahalgam Attack: जम्मू कश्मीर के पहलगाम स्थित ‘बैसरन-घाटी’ में बीते मंगलवार यानी, 22 अप्रैल 2025 को हुए ‘अमंगल’ वाले दिन मौके पर एक भी सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं था। मतलब साफ है कि ओवर कॉन्फीडेंस के फेर में फंसी हमारी एजेंसियों ने, बैसारन घाटी को भगवान भरोसे समझिए या फिर ‘लावारिस’ छोड़ दिया था। इसी का नतीजा है उस खूबसूरत जगह को मनहूस बना देने वाले, 28 निहत्थे-निर्दोष लोगों की रूह कंपा देने वाली मौत। (Pahalgam Attack)वह तो खैर मनाइए भगवान का शुक्रिया अदा कीजिए कि, हिंदुस्तानियों के खून से रंग डाली गई बैसारन घाटी के एकदम मुहाने पर ही मौजूद है अमरनाथ यात्रा का बेस-कैंप। अब उसे ही सुरक्षित रख लीजिए तब भी शायद हमारी थोड़ी-बहुत इज्जत बची रह सके।
पीड़ितों ने खुद प्रशासन को फोन पर..
इस बार जिला प्रशासन को यह पता ही नहीं चला कि वहां पर पर्यटक पहुंच गए हैं। 20 अप्रैल से 'बैसरन' घाटी में पर्यटकों के समूह पहुंचने शुरु हो गए थे। यह बात, जिला प्रशासन को मालूम नहीं चली। अब यह पता लगाया जा रहा है कि वे कौन लोग थे, जो पर्यटकों को वहां पर ले गए, लेकिन उन्होंने जिला प्रशासन को सूचना देना आवश्यक नहीं समझा। सूत्रों ने बताया, पूरे जेएंडके में सालभर सुरक्षा बलों की भारी मौजूदगी रहती है। इस स्पॉट पर सीआरपीएफ भी तैनात रही थी। सीआरपीएफ की 116 वीं बटालियन अब भी पहलगाम सिटी में तैनात है। बल की तैनाती का निर्णय लोकल प्रशासन द्वारा लिया जाता है। जेएंडके में थ्रेट इनपुट आते रहते हैं। हैरानी की बात तो ये है कि हमले के दौरान इस स्पॉट पर एक भी सुरक्षा कर्मी नहीं था। पीड़ितों ने खुद प्रशासन को फोन पर हमले की जानकारी दी।
बैसरन घाटी में सुरक्षा में भारी चूक
2019 में आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बन गया। इसके बाद पिछले साल (2024) अक्टूबर में पहली बार विधानसभा चुनावों के बाद वहां निर्वाचित सरकार का गठन हुआ। मौजूदा व्यवस्था में लॉ एंड ऑर्डर, पुलिस और सिक्योरिटी का जिम्मा लेफ्टिनेंट गवर्नर के माध्यम से गृह मंत्रालय (MHA) के पास है।
लेकिन, साथ ही साथ पर्यटन की जिम्मेदारी जम्मू और कश्मीर की चुनी हुई सरकार के पास है। गृह मंत्री अमित शाह ने सांसदों को बताया कि 20 से 22 अप्रैल के बीच लगभग एक हजार पर्यटक बैसरन घाटी पहुंचे थे। उन्होंने यह भी कहा कि पहलगाम के होटल और रिसॉर्ट मालिकों को सैलानियों को बैसरन घाटी, जिसे मिनी स्विट्जरलैंड भी कहते हैं, भेजने से पहले सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए था।
हिंदुस्तानी एजेंसियां कैसे चूक गईं?
पहलगाम में तो मगर हमारी सभी एजेंसियां चूक गईं. यह तो मुझे ही क्या दुनिया को हैरान करने वाली बात है. फिर चाहे वो रॉ, आईबी, जम्मू कश्मीर पुलिस, भारतीय मिलिट्री इंटेलीजेंस या एनआईए (RAW, IB, Jammu Kashmir Police, Military Intelligence, NIA)हो। इतनी भारतीय एजेंसियों की इस कदर की भरी पड़ी भीड़ में से किसी की भी नजर, पाकिस्तानी आतंकवादियों और राज्य में छिपे, उनके ‘स्लीपर सेल’ पर नहीं पड़ी।
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