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PAK से बढ़ते टेंशन के बीच PM मोदी ने टाला रूस दौरा, विक्ट्री डे परेड में होनी थी मौजूदगी — क्या इशारा है साफ?

विक्ट्री डे परेड में PM मोदी की भागीदारी रद्द, क्या पहलगाम हमला और पाकिस्तान से तनाव ने भारत-रूस रिश्तों में खींच दी नई रेखा?
04:52 PM Apr 30, 2025 IST | Rohit Agrawal

दिल्ली से मॉस्को तक एक ऐसा राजनीतिक भूचाल आया है जिसने भारत-रूस के रणनीतिक समीकरणों को हिलाकर रख दिया है। दअरसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस दौरा अचानक रद्द हो गया है। वह भी तब, जब उन्हें 9 मई को होने वाली विक्ट्री डे परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होना था। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि भारत का प्रतिनिधित्व अब एक राजनयिक करेगा। लेकिन सवाल यह है कि पाकिस्तान से बढ़ते तनाव के बीच यह फैसला क्यों लिया गया? क्या यह सिर्फ एक कूटनीतिक व्यस्तता है या फिर दिल्ली और मॉस्को के बीच कुछ और ही चल रहा है?

क्या है विक्ट्री डे परेड का महत्व?

बता दें कि विक्ट्री डे परेड सिर्फ एक सैन्य आयोजन नहीं, बल्कि रूस की सैन्य शक्ति का प्रतीक है जहां पुतिन खुद मुख्य भाषण देते हैं। इस बार यह परेड खास थी क्योंकि यह द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर रूस की जीत की 80वीं वर्षगांठ थी। पीएम मोदी की इस कार्यक्रम में मौजूदगी को भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी के लिए अहम माना जा रहा था।

लेकिन अचानक यह दौरा रद्द हो गया। क्या कारण है कि भारत ने इतने महत्वपूर्ण कूटनीतिक आयोजन से खुद को अलग कर लिया? क्या यह पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव की वजह से है या फिर रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थता पर कोई दबाव?

क्यों हुआ मोदी का रूस दौरा रद्द?

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत की सुरक्षा नीतियों को हिला दिया है। 26 निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए - सिंधु जल समझौता स्थगित किया, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द किए और राजनयिक संबंधों में कटौती की। ऐसे में पीएम मोदी का विदेश दौरा रद्द करना साफ संकेत है कि दिल्ली की पहली प्राथमिकता अब घरेलू सुरक्षा है। सूत्रों के मुताबिक, सीमा पर सैन्य तैयारियों और संभावित प्रतिक्रिया की योजना बनाने के लिए पीएम मोदी का देश में रहना जरूरी समझा गया।

क्या रूस हो जाएगा नाराज़?

रूस ने पीएम मोदी को विशेष रूप से आमंत्रित किया था, लेकिन दौरा रद्द होने के बावजूद क्रेमलिन ने संयमित प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि भारत-रूस संबंध इतने मजबूत हैं कि एक दौरा रद्द होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस भारत से और स्पष्ट समर्थन चाहता था। क्या यह दौरा रद्द होना रूस को भारत की तटस्थता का संकेत है? या फिर भारत अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को ध्यान में रखते हुए रूस से थोड़ी दूरी बना रहा है?

भारत की अगली चाल पर रहेगी सबकी नजर

पीएम मोदी के रूस दौरे के रद्द होने ने कूटनीतिक और सैन्य गलियारों में हलचल बढ़ा दी है। अब सवाल यह है कि भारत की अगली चाल क्या होगी? क्या पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक या साइबर वॉर की तैयारी है? क्या रूस के साथ रक्षा सौदों पर कोई असर पड़ेगा? एक बात साफ है - पहलगाम हमले के बाद भारत ने जिस तरह से पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति अपनाई है, उसमें अब कोई समझौता नहीं दिख रहा। जबकि रूस दौरा रद्द होना एक कूटनीतिक झटका लगता है, पर भारत ने यह साबित कर दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। अब देखना यह है कि क्या मॉस्को इस फैसले को समझने की कोशिश करेगा या फिर भारत-रूस संबंधों में एक अदृश्य दरार पैदा होगी?

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