Masan Holi: आज होगी काशी के मणिकर्णिका घाट पर मसान होली, शिव-पार्वती से है इसका संबंध
Masan Holi Varanasi: वाराणसी के सबसे पवित्र शमशान घाट मणिकर्णिका पर आज मसान होली अथवा भस्म होली खेली जाएगी। मुख्य आयोजन आज 11 मार्च को मणिकर्णिका घाट (Masan Holi Varanasi) पर होगा, जो सुबह 10 बजे महाश्मशान नाथ मंदिर से शुरू होगा। मणिकर्णिका घाट पर मसान होली, रंगभरी एकादशी के दिन बाद खेला जाता है।
यह पवित्र होली श्मशान घाट की राख से मनाई जाती है। यह भगवान शिव से जुड़ी है। मसान होली उत्सव (Masan Holi Varanasi) में अघोरी साधु अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। यह पारंपरिक होली समारोहों से काफी अलग है। मसान होली जीवन, मृत्यु और त्याग का एक स्पष्ट पहलू प्रस्तुत करती है। इस वर्ष मसान होली में नागा साधु भी भाग लेंगे।
🕉 Aghori Sadhus of Kashi celebrate Masan #Holi with Chita Bhasma at Manikarnika Ghat ! Skand Purana says Since Lord Shiva’s ethereal Ganas-ghosts dont get to play colours on #RangbhariEkadashi Bhagwan himself comes to cremation ground to play Holi with them 🚩#HarHarMahadev pic.twitter.com/ffIfavSZlZ
— 🇮🇳 TempleTrails 🚩 (@TempleTrails) March 28, 2021
मसान होली के महत्वपूर्ण अनुष्ठान
मसान होली 10 मार्च हरिश्चंद्र घाट पर शुरू होती है और इसका मुख्य अनुष्ठान आज 11 मार्च को मणिकर्णिका घाट (Masan Holi Varanasi Manikarnika Ghat) पर होगा। भक्त मणिकर्णिका घाट पर श्मशान की चिताओं की राख का उपयोग जीवन और मृत्यु और वैराग्य के चक्र को उजागर करने के लिए करते हैं। अघोरी साधु राख लगाकर और आध्यात्मिक नृत्य करके मसान होली में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
वाराणसी के घाटों पर भगवान शिव की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें भक्ति संगीत और मंत्रोच्चार होता है। जुलुस में शामिल लोग एक-दूसरे को राख लगाते हैं, ऐसा माना जाता है कि राख से मानव आत्मा और जीवन के कर्म शुद्ध होते हैं। घाट शिव भजनों, मंत्रों और मंत्रों से गूंजते हैं। भगवान शिव के ध्यान, गायन और प्रार्थना के साथ उत्सव पूरी रात चलता रहता है।
Masan Holi, Kashi ♥️🌸🔱 pic.twitter.com/3HJtyYOTbC
— Vertigo_Warrior (@VertigoWarrior) March 25, 2024
मसान होली का इतिहास
मसान होली, जिसे चिता भस्म होली (Masan Holi History) के नाम से भी जाना जाता है, वाराणसी में मनाया जाने वाला एक आध्यात्मिक उत्सव है। यह प्राचीन परंपरा शहर के भगवान शिव से धार्मिक संबंध में निहित है। उन्हें विनाश और उत्थान के देवता के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव अपने अनुयायियों (अघोरियों सहित) के साथ श्मशान घाट पर इस अनोखे होली उत्सव में भाग लेते हैं।
मसान होली मूल रूप से अघोरियों और नागा साधुओं से जुड़ी है, जो श्मशान घाटों की राख से होली खेलते हैं। यह उत्सव रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद मनाया जाता है, जो भगवान शिव और पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है।
मसान होली का महत्व
मसान होली का महत्व (Masan Holi Significance) इसके आध्यात्मिक विषयों में निहित है, जो होली के पारंपरिक उत्सवों से बिल्कुल अलग हैं। यह त्योहार मृत्यु पर विजय का प्रतीक है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने मृत्यु के देवता यमराज को हराने के बाद अंतिम संस्कार की राख से होली खेली थी।
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