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मैतेई-कुकी नेताओं की मुलाकात! क्या मणिपुर की जमीन पर फिर उग आएंगे अमन के फूल?

दिल्ली में केंद्र सरकार के अधिकारियों और मणिपुर के मैतई और कुकी-जो संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच एक अहम बैठक हुई। यह बैठक मणिपुर में लगभग दो साल पहले...
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Manipur Peace Agreement : दिल्ली में केंद्र सरकार के अधिकारियों और मणिपुर के मैतई और कुकी-जो संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच एक अहम बैठक हुई। यह बैठक मणिपुर में लगभग दो साल पहले भड़की जातीय हिंसा के बाद संभावित समाधान तलाशने के उद्देश्य से बुलाई गई थी। खास बात यह रही कि पहली बार दोनों सुमदायों के प्रतिनिधियों ने (Manipur Peace Agreement )औपचारिक रुप से आमने सामने बैठकर बातचीत की। हालांकि इस बैठक को शांति की दिशा मे एक अहम शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है लेकिन यह कहना अभी जल्दबाजी होगा कि कोई ठोस समाधान निकल आया है।

मणिपुर मुद्दे पर केंद्र की पहल, दोनों पक्ष एक टेबल पर

केंद्र की ओर से 5 अप्रेल को आयोजित इस बैठक का नेतृत्व उत्तर पूर्व मामलों पर गृह मंत्रालय के सलाहकार ए.के.मिश्रा ने किया। उनके साथ लगभग 7-8 अन्य अधिकारी भी शामिल रहे। इनमें मणिपुर के मुख्य सचिव पी.के.सिंह  एवं एक एडिशनल डीजीपीर भी शामिल थे।

वहीं, घाटी के दो नागरिक समाज संगठनों- ऑल मणिपुर यूनाइटेड क्लब्स ऑर्गनाइजेशन (AMUCO) और फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटी ऑर्गनाइजेशन (FOCS) के प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया। कुकी-जो संगठनों- कुकी-जो काउंसिल और जोमी काउंसिल के प्रतिनिधियों ने भी बैठक में शामिल हुए।

मणिपुर हिंसा पर केंद्र का रोडमैप तैयार..छह बिंदुओं में प्रस्ताव

बैठक में अधिकारियों ने दोनों पक्षों के सामने एक ड्राफ्ट एग्रीमेंट या संयुक्त प्रस्ताव रखा, जिसकी मुख्य बातें छह बिंदुओं में समझी जा सकती हैं।

  • 1. प्रत्येक पक्ष अपने लोगों से दूसरे समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हिंसा से दूर रहने की अपील करेगा। प्रशासन हिंसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा।
  • 2. दोनों पक्ष हथियारों की बरामदगी में सहयोग का आश्वासन दें।
  • 3. हाईवे पर लोगों की आसानी से आवाजाही हो सके, इसके लिए अपनी कोशिशों में इजाफा करें।
  • 4. दोनों पक्ष विस्थापितों की घर वापसी के लिए सरकार की किसी भी पहल का स्वागत करेंगे, बशर्ते सरकार द्वारा रसद और सुरक्षा व्यवस्था की जाए।
  • 5. दोनों पक्षों ने राज्यपाल से संघर्ष के दौरान उपेक्षित (ध्यान नहीं दिये गए) क्षेत्रों में विकास को प्राथमिकता देने की अपील की।
  • 6. दोनों पक्ष सभी दीर्घकालिक और विवादास्पद मुद्दों को बातचीत के ज़रिए समाधान के लिए केंद्र के सामने उठाए जाने पर सहमत हैं।

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