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कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण बिल अटका, राज्यपाल ने असहमति जताई, अब राष्ट्रपति मुर्मू के फैसले का इंतजार!

कर्नाटक में सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को आरक्षण देने वाला बिल अब राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास भेज दिया है...
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Karnataka Muslim Reservation Bill: कर्नाटक में सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को आरक्षण देने वाला बिल अब राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास भेज दिया है, क्योंकि उन्होंने अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करते हुए इस बिल को रोक दिया। यह बिल मार्च में विधानसभा से पारित हुआ था।

गहलोत ने कहा कि संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता। इससे पहले, विपक्षी दल बीजेपी और जेडीएस ने इस बिल को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा था, और आरोप लगाया था कि यह समाज को विभाजित करेगा। अब इस पर अंतिम फैसला राष्ट्रपति के हाथों में है।(Karnataka Muslim Reservation Bill) पिछले महीने विधानसभा ने ‘कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (संशोधन) विधेयक, 2025’ पारित किया था। इसके तहत दो करोड़ रुपये तक के (सिविल) कार्यों और एक करोड़ रुपये तक के माल/सेवा खरीद ठेकों में मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है।

भारत का संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण...

सूत्रों ने बताया कि गहलोत ने विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए सुरक्षित कर दिया और इसे कर्नाटक के विधि एवं संसदीय कार्य विभाग के पास भेज दिया। उन्होंने बताया कि अब राज्य सरकार इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए उनके पास भेजेगी। गहलोत ने राज्य सरकार को भेजे एक पत्र में कहा- “भारत का संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है, क्योंकि यह समानता (अनुच्छेद 14), भेदभाव विरोधी (अनुच्छेद 15) और सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर (अनुच्छेद 16) के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। उच्चतम न्यायालय ने अपने विभिन्न फैसलों में लगातार कहा है कि कि सकारात्मक कार्रवाई हमेशा सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन पर आधारित होनी चाहिए, न कि धार्मिक पहचान पर।

पीएम मोदी ने धर्म के आधार पर आरक्षण...

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपनी सरकार के इस कदम का पुरजोर बचाव किया है। उन्होंने कहा कि आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर लोगों को ताकत देना कांग्रेस पार्टी का मिशन और प्रतिबद्धता है। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि उन पर उच्च वर्ग विरोधी होने का ठप्पा लगाया जा रहा है। वह उन लोगों के साथ खड़े हैं जिन्हें अवसरों से वंचित रखा गया है और जिन्हें न्याय नहीं मिला है। दिलचस्प यह कि सिद्धारमैया का बयान उसी दिन आया, जब हरियाणा के हिसार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर हमला बोला था। पीएम मोदी ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारों को छीनने तथा निविदाओं के संबंध में धर्म के आधार पर आरक्षण देने का आरोप लगाया था। पीएम ने कहा कि संविधान में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति...

कर्नाटक विधानमंडल के दोनों सदनों ने मार्च में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विरोध के बीच इस विधेयक को पारित कर दिया था। भाजपा का आरोप है कि यह विधेयक अवैध है, क्योंकि भारतीय संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं है। पार्टी का यह भी आरोप है कि इस विधेयक से सत्तारूढ़ कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति की बू आती है। भाजपा कर्नाटक में जारी अपनी ‘जन आक्रोश यात्रा’ के दौरान इस विधेयक के मुद्दे को प्रमुखता से उठा रही है।

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