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Mahamandaleshwar: कैसे बनता है कोई किसी अखाड़े का महामंडलेश्वर? बहुत कठिन होती है यह प्रक्रिया, जानें सभी नियम

महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया बहुत ही विस्तृत होती है और कई सख्त नियमों का पालन करना होता है।
12:35 PM Jan 25, 2025 IST | Preeti Mishra
Mahamandaleshwar

Mahamandaleshwar: पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी के किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनने के बाद इस बात की चर्चा जोरो पर है कि आखिर कोई महामंडलेश्वर बनता कैसे है। महामंडलेश्वर (Mahamandaleshwar) की उपाधि भारत के अखाड़ों के धार्मिक पदानुक्रम में एक अत्यधिक सम्मानित पद है। महामंडलेश्वर को किसी भी अखाड़े का आध्यात्मिक प्रमुख माना जाता है, जिसका काम धर्म को कायम रखना, आध्यात्मिक शिक्षाओं का प्रसार करना और धार्मिक और प्रशासनिक मामलों में अखाड़े का नेतृत्व करना है।

महामंडलेश्वर (Mahamandaleshwar) बनने की प्रक्रिया बहुत ही विस्तृत होती है और कई सख्त नियमों का पालन करना होता है। आज हम इस आर्टिकल में इस बात कर ही प्रकाश डालेंगे की कैसे कोई साधु-संत महामंडलेश्वर बनता है और इसकी पूरी प्रक्रिया क्या होती है?

अखाड़े और उनकी संरचना

अखाड़े (Akhadas in India) सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए सदियों पहले स्थापित हिंदू संन्यासियों की पारंपरिक संस्थाएं हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अंतर्गत 13 प्रमुख अखाड़े हैं। प्रत्येक अखाड़े की अपनी अनूठी परंपराएं होती हैं, लेकिन महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया सभी आदेशों में समान दिशानिर्देशों का पालन करती है।

अखाड़ों में नीचे से ऊपर तक पदानुक्रम इस तरह होता है:

साधु-सन्यासी (अखाड़ों में प्रवेश के समय का पद)
महात्मा (वरिष्ठ भिक्षु)
महंत (छोटे समूहों के नेता)
महामंडलेश्वर (आध्यात्मिक और प्रशासनिक प्रमुख)

ऊपर दिए पदों के अलावा काम के अनुसार भी पद दिए जाते हैं जेसे:

कोठारी
भंडारी
थानापति
कोतवाल
कारोबारी

महामंडलेश्वर बनने के लिए क्या होती है पात्रता?

महामंडलेश्वर बनने के लिए उम्मीदवार को कई शर्तों (how to become mahamandaleshwar) को पूरा करना होता है। सबसे होती है कि व्यक्ति ने संन्यास का व्रत लिया हो और अपना जीवन आध्यात्मिकता को समर्पित किया होगा। महामंडलेश्वर बनने के आकांक्षी सन्यासी को अखाड़े का एक मान्यता प्राप्त सदस्य होना चाहिए। कोई व्यक्ति अखाड़े में साधु से शुरू कर के महामंडलेश्वर तक बन सकता है। सन्यासी को वेद, उपनिषद और पुराण जैसे ग्रंथों का गहन ज्ञान आवश्यक है। महामंडलेश्वर बनने के उम्मीदवार के पास अनुशासित, सदाचारी जीवन और अखाड़े के आध्यात्मिक और नैतिक सिद्धांतों के पालन की प्रतिष्ठा होनी चाहिए।

कैसे किया जाता है महामंडलेश्वर का चयन?

महामंडलेश्वर का चयन (mahamandaleshwar selection process) करने की प्रक्रिया बहुत ही कठोर होती है और इसमें निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:

अखाड़े के वरिष्ठ सदस्यों द्वारा सिफ़ारिश- आकांक्षी की सिफारिश वरिष्ठ भिक्षुओं या महामंडलेश्वरों द्वारा उनके आध्यात्मिक ज्ञान, आचरण और अखाड़े के सिद्धांतों के प्रति समर्पण के आधार पर की जाती है।

अखाड़ा परिषद द्वारा अनुमोदन- उम्मीदवार को अखाड़े के वरिष्ठ साधुओं और महामंडलेश्वरों की परिषद के सामने पेश किया जाता है। वे आकांक्षी की साख, आध्यात्मिक परिपक्वता और प्रशासनिक क्षमताओं का गहन मूल्यांकन करते हैं।

नामांकन समारोह- एक बार मंजूरी मिलने के बाद, उम्मीदवार को एक पवित्र अनुष्ठान में औपचारिक रूप से नामांकित किया जाता है। यह घोषणा आमतौर पर कुंभ मेले जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक समारोहों के दौरान की जाती है।

दीक्षा अनुष्ठान (पट्टाभिषेक)- दीक्षा समारोह, जिसे पट्टाभिषेक के नाम से जाना जाता है, अन्य महामंडलेश्वरों, वरिष्ठ भिक्षुओं और अनुयायियों की उपस्थिति में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम है। इस समारोह के दौरान साधक का पवित्र जल से अभिषेक किया जाता है। पवित्र मंत्रों का जाप किया जाता है और उन्हें महामंडलेश्वर नियुक्त करने की घोषणा की जाती है। उन्हें भगवा वस्त्र, एक छड़ी और एक चांदी का सिंहासन जैसी प्रतीकात्मक वस्तुएं दी जाती हैं, जो उनकी नई जिम्मेदारियों का प्रतिनिधित्व करती हैं।

महामंडलेश्वर की भूमिकाएँ और जिम्मेदारियां

महामंडलेश्वर (mahamandaleshwar responsebilities) बनने के बाद व्यक्ति को कई जिम्मेदारियाँ सौंपी जाती हैं। उसे आध्यात्मिक प्रथाओं और शिक्षाओं में भक्तों और साधुओं का मार्गदर्शन करने के अलावा सार्वजनिक प्रवचनों, अनुष्ठानों और धार्मिक आयोजनों के माध्यम से सनातन धर्म को कायम रखना और बढ़ावा देना होता है। वित्तीय प्रबंधन, धार्मिक त्योहारों का आयोजन और सदस्यों के बीच अनुशासन बनाए रखने सहित अखाड़े की गतिविधियों की देखरेख करना भी उनका कार्य होता है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और अन्य अंतर-अखाड़ा मामलों में अखाड़े का प्रतिनिधित्व करना भी महामंडलेश्वर का कार्य होता है।

महामंडलेश्वर की चुनौतियां और अपेक्षाएँ

महामंडलेश्वर (Mahamandaleshwar) बनना सिर्फ एक सम्मान नहीं बल्कि जीवन भर की प्रतिबद्धता है। यह भूमिका अत्यधिक जिम्मेदारी के साथ आती है, जिसमें अखाड़े के भीतर विवादों को हल करना, कुंभ मेले जैसे बड़े पैमाने के आयोजनों का प्रबंधन करना और एक नैतिक और आध्यात्मिक प्रकाशस्तंभ के रूप में सेवा करना शामिल है।

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