Hindu Board: वक्फ बोर्ड की तरह क्या हिंदू बोर्ड भी है? हिंदू धार्मिक न्यास कितने अलग?
Hindu Religious Trusts: वक्फ कानून 2025 को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। (Hindu Religious Trusts) सुप्रीम कोर्ट में नए वक्फ कानून के तहत वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम को शामिल करने के प्रावधान को भी चुनौती दी गई है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या हिंदू धार्मिक न्यास में भी गैर हिंदुओं को सदस्य बनाने की अनुमति होगी। इसके बाद इस बात की चर्चा हो रही है कि हिंदू धार्मिक न्यास क्या है? क्या यह वक्फ बोर्ड की तरह हिंदू बोर्ड है? इसका जवाब पढ़िए...
हिंदू धार्मिक न्यास अधिनियम क्या है?
वक्फ कानून 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान हिंदू धार्मिक न्यास का जिक्र आया। जिसके बाद यह बात उठ रही है कि हिंदू धार्मिक न्यास क्या है? इसका जवाब है कि देश में कई प्रमुख मंदिरों की देखरेख के लिए न्यास बने हुए हैं। मंदिरों के लिए बने इन न्यासों के लिए धार्मिक न्यास अधिनियम भी बना हुआ है। जिसका मकसद न्यासों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। धार्मिक न्यास अधिनियम के तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि धार्मिक संपत्तियों का उपयोग केवल धार्मिक उद्देश्य या धर्मार्थ के लिए हो।
देश में कहां-कहां हैं हिंदू धार्मिक न्यास?
उत्तर प्रदेश में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, आंध्रप्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर और जम्मू कटरा के वैष्णो माता मंदिर सहित कई प्रमुख मंदिरों के लिए धार्मिक न्यास बने हुए हैं। यह धार्मिक न्यास इन मंदिरों की देखरेख के साथ इनकी संपत्तियों का तय उद्देश्यों के लिए उपयोग सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा कई राज्यों में भी धार्मिक न्यास बने हुए हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल और आंध्र प्रदेश शामिल हैं। जो इन राज्यों के प्रमुख मंदिरों का प्रबंधन करते हैं, मगर यह सभी धार्मिक न्यास सरकारी नियंत्रण में हैं। वक्फ बोर्ड की तरह स्वतंत्र नहीं।
देश में नहीं है कोई भी हिंदू बोर्ड
देश में साल 2011 की जनगणना के मुताबिक करीब 30 लाख पूजा स्थल हैं, इनमें ज्यादा संख्या हिंदू मंदिरों की है। मगर देश में अभी तक हिंदू बोर्ड जैसी कोई संस्था नहीं है। हाल ही प्रयागराज में महाकुम्भ के दौरान साधु-संतों ने सनातन बोर्ड के गठन कर इसे स्वतंत्र निकाय के तौर पर स्थापित करने की मांग की थी। यह मांग इसलिए उठी कि अभी तक देश में मुस्लिम और ईसाई धर्म स्थलों के लिए ही स्वतंत्र व्यवस्था है। जबकि हिंदू सहित अन्य धर्म स्थलों पर धार्मिक न्यास अधिनियम के तहत सरकारी नियंत्रण है।
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