नेशनलराजनीतिमनोरंजनखेलहेल्थ & लाइफ स्टाइलधर्म भक्तिटेक्नोलॉजीइंटरनेशनलबिजनेसआईपीएल 2025चुनाव

First Kumbh of Independent India: इस साल लगा था आजाद भारत का पहला कुंभ, जानें क्यों रहा है यह चर्चे में

भारत 1947 में आजाद हुआ था। लेकिन आजाद भारत के पहले कुंभ मेले का आयोजन आजादी के सात वर्षों बाद 1954 में प्रयागराज के संगम तट पर ही हुआ था।
07:50 PM Jan 13, 2025 IST | Preeti Mishra

First Kumbh of Independent India: आज से प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का शुभारंभ हो गया है। आज महाकुंभ के पहले अमृत स्नान के दिन लगभग 60 लाख लोगों ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। भारत ही नहीं विदेशों से भी तमाम हस्तियां कुंभ (Mahakumbh 2025) में डुबकी लगाने प्रयागराज आये हैं। बात जब कुंभ की चली है तो इसका इतिहास जानना भी बहुत जरुरी है।

कुंभ का इतिहास लगभग 6000 वर्ष पुराना है। लेकिन क्या आपको पता है कि आजाद भारत में पहले कुंभ मेले का आयोजन (First Kumbh of Independent India) कब और कहां आयोजित किया गया था? इस कुंभ मेले की ऐसी एक बात वो क्या थी जो आज भी लोगों को डराती हैं और इस कुंभ मेले में ऐसा क्या निर्णय लिया गया जो आज भी आयोजित होने वाले कुंभ मेलों पर लागू होता है। आइये डालते हैं भारत की आजादी के बाद होने वाले पहले कुंभ पर एक नजर:

1954 में हुआ था आजाद भारत के पहले कुंभ का आयोजन

भारत 1947 में आजाद हुआ था। लेकिन आजाद भारत के पहले कुंभ मेले का आयोजन (First Kumbh of Independent India) आजादी के सात वर्षों बाद 1954 में प्रयागराज के संगम तट पर ही हुआ था। इस कुंभ मेले ले लगभग 12 करोड़ लोगों ने भाग लिया था। इस कुंभ मेले में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्नान किया था। नेहरू ने तो कुंभ में मौनी अमावस्या के दिन संगम में पवित्र डुबकी लगायी थी।

1954 के कुंभ मेले में भगदड़ में हुई थी सैकड़ों की मौत

आजादी के बाद आयोजित पहले कुंभ (Kumbh 1954) में भगदड़ करीब 600 लोगों की दुखद मौत हो गयी थी। जानकारी के अनुसार, इस कुंभ मेले में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने आये थे। मौनी अमावस्या कुंभ में स्नान का एक प्रमुख पर्व है। इस दिन लाखों की भीड़ होती है। उस दिन भी हजारों की संख्या में लोग कुंभ मेले में आये थे। बताया जाता है कि पंडित नेहरू के स्नान के ही दौरान एक हाथी कण्ट्रोल से बहार हो गया था और उससे कुंभ मेले में भगदड़ मच गयी जिससे सैकड़ों को लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इसके बड़ा से ही कुंभ में हाथियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी।

1954 के कुंभ मेले के बाद से ही प्रमुख स्नानों के दिन VVIP के आने पर लग गयी रोक

1954 के कुंभ में हुए दुखद हादसे के बाद सभी प्रमुख स्नान पर्वों पर VVIP के मेला क्षेत्र में जाने पर रोक लगा दी गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) ने ही कुंभ के प्रमुख स्नान पर्वों पर VVIP और वीआईपी के जाने पर रोक लगाने का आदेश दिया था। तब से आज तक यह आदेश लागू होता है। आज भी कुंभ, महाकुंभ, और अर्द्धकुम्भ के प्रमुख स्नान दिनों पर कोई भी वीआईपी या VVIP मेले में भाग लेने या संगम में डुबकी लगाने नहीं जाता है। अब प्रमुख स्नान के दिनों पर नागा साधु, 13 अखाड़े और सामान्य जन ही संगम में डुबकी लगाते हैं।

तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने की थी कुंभ की व्यवस्था

उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने 1954 में आयोजित होने वाले आजाद भारत के पहले कुंभ के लिए पूरी मशीनरी झोंक दी थी। उस समय कम संसाधन होने के बाद भी कुंभ मेले को सफल और शानदार बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गयी थी। उस कुंभ की तैयारियों का जायजा गोविंद बल्लभ पंत ने नाव पर और पैदल चलकर लिया था। इस मेले में भी संगम तट पर कई अस्पताल बनवाये गए थे और स्ट्रीट लाइट लगवाए गए थे।

यह भी पढ़े: Kumbh: क्या होता है अर्ध कुंभ, कुंभ और महाकुंभ? जानें क्यों प्रयागराज महाकुंभ का है सबसे ज्यादा महत्व

Tags :
1954 का कुंभ मेलाDharambhaktiDharambhakti NewsFirst Kumbh of Independent IndiaKumbh 1954Kumbh Mela 2025kumbh mela historyLatest Dharambhakti NewsMahakumbhMahakumbh 2025Mahakumbh 2025 BeginsMahakumbh Mela Prayagrajwhat is kumbh melawhy kumbh mela is celebrated after 12 yearswhy kumbh mela is celebrated in hindiwhy mahakumbh is celebratedआजादी के बाद पहला महाकुंभमहाकुंभ का शुभारंभमहाकुंभ शुरू

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article