Dolo-650 से भारतीयों की बेपनाह मोहब्बत...पर कैसे जानलेवा है खुमारी, यहां समझिए
Dolo 650 addiction risks: 2020 में आई कोरोना महामारी ने मानव जीवन को पूरी तरह से बदल दिया, हमारे खाने-पीने की आदतों से लेकर हर उम्र वर्ग के इंसान की जिंदगी में भारी बदलाव आए। कुछ ने रिश्तों के कमजोर होते धागे देखे तो अकेलेपन से किसी का चिड़चिड़ापन बढ़ा। वहीं कुछ अपने स्वास्थ्य को लेकर रातों-रात जागरूक हो गए। कोरोना महामारी के इस लंबे कालखंड के दौरान मानव सभ्यता कई नई चीजों और घटनाओं से रूबरू हुई जहां जनता कर्फ्यू, लॉकडाउन, क्वारंटाइन, आइसोलेशन वगैरह-वगैरह।
वहीं इस बीच एक टैबलेट का नाम भी हर किसी की जुबां पर छाया रहता था। जी हां, हम बात कर रहे हैं Dolo 650 की जो एक बार फिर से चर्चा में है। दरअसल हास में अमेरिका में रहने वाले डॉ. पलानियप्पन ने पैरासिटामॉल को लेकर एक टिप्पणी की जिसके बाद भारत में डोलो की फिर से चर्चा होने लगी।
डॉ. ने कहा कि बुखार हो या बदन दर्द, जुकाम हो या हरारत…भारतीयों में Dolo 650 खाने की आदत पड़ गई है और वे Dolo-650 को ऐसे खाते हैं जैसे Cadbury Gems हो। अब इस टिप्पणी के बाद डोलो को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है कि क्या भारतीयों की ये आदत जानलेवा है और क्या पैरासिटामॉल खाना सेफ है या नहीं? आइए सारे सवालों के जवाब नीचे जानने की कोशिश करते हैं।
डोलो-650 टैबलेट क्या है और कहां बनती है?
मालूम हो कि पैरासिटामॉल एक जेनरिक सॉल्ट है जिसका इस्तेमाल दर्द-बुखार में करते हैं और डोलो-650 टैबलेट पैरासिटामॉल का एक ब्रांड है। डोलो-650 को बेंगलुरु की दवा कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड बनाती है जहां इसमें पैरासिटामॉल की 650 mg का डोज आता है। वहीं माइक्रो लैब्स डोलो को 'Fever of Unknown Origin' नाम से मार्केट में बेचती है जिसका मतलब होता है कि अगर बुखार का कारण पता नहीं है तो इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
दरअसल कोरोना महामारी के भयावह समय में लोग महामारी के कारणों और इलाज से ज्यादा इसको लेकर पैनिक थे। काफी दिनों तक लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करना चाहिए। ऐसे में अचानक डोलो-650 खरीदने की होड़ लोगों में लगी और थोड़ा बुखार और कोरोना के लक्षण दिखते ही लोग डोलो लेने लगे। इधर बाजारों में देखते ही देखते महज 20 महीने में डोलो ने बिक्री के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।
पैरासिटामॉल क्यों और कब खाते हैं?
हमारा नर्वस सिस्टम संकेतों पर काम करता है जैसे कोई चोट लगना, कहीं दर्द होना किसी भी गड़बड़ के लिए एक पूरा सूचना तंत्र काम करता है जो बताता है कि शरीर में कहां क्या गड़बड़ है। नसों के जरिए दिमाग को संदेश पहुंचाया जाता है कि शरीर के इस हिस्से में सब कुछ सही नहीं है। इसके बाद जैसे हमें बुखार हो गया है तो दिमाग को सिग्नल मिलने के बाद हमारे शरीर का तापमान बढ़ाया जाता है जिससे हमें बुखार का एहसास होता है।
अब बुखार को दूर करने के लिए तापमान को फिर से नीचे लाना होता है जिसके लिए हम टैबलेट का सेवन करते हैं। जैसे एक वयस्क व्यक्ति 24 घंटे में अधिकतम 4,000 mg पैरासिटामॉल ले सकता है मतलब कि आप 650mg की एक दिन में 6 डोलो-650 ले सकते हैं।
पैरासिटामॉल का ओवरडोज क्या खतरनाक है?
जी हां, पैरासिटामॉल के ओवरडोज से स्वास्थ्य संबंधित कई समस्याएं आ सकती है जैसे पेट दर्द, उल्टी, पीलिया, लिवर डैमेज, किडनी फेल्योर या मौत भी हो सकती है। वहीं डॉक्टर बताते हैं कि ओवरडोज इंटरनल ऑर्गन को बुरी तरह डैमेज करता है।
इसके अलावा पैरासिटामॉल के ओवरडोज से गैस की शिकायत, डाइजेस्टिव सिस्टम बिगड़ना, कमजोरी, उल्टी और बेचैनी भी होने लगती है। वहीं सबसे ज्यादा ओवरडोज का असर लिवर पर होता है। दरअसल लिवर पैरासिटामॉल को तोड़कर उसे शरीर से बाहर निकालने का काम करता है जिससे NAPQI नाम का एक जहरीला पदार्थ शरीर के अंदर बनता है और लीवर उसे खत्म करने का काम करता है लेकिन ओवरडोज होने से लीवर सही तरीके से काम नहीं कर पाता है।
पैरासिटामॉल कब खाएं?
जानकारों के मुताबिक पैरासिटामॉल को सही जरूरत होने पर ही खाना चाहिए जैसे अगर बुखार या दर्द की शिकायत हो तब पैरासिटामॉल लेनी चाहिए लेकिन कोई भी बीमारी होने पर पैरासिटामॉल नहीं खानी चाहिए। मालूम हो कि यह लम्बे समय तक खाई जाने वाली दवा नहीं है। वहीं इससे आराम ना मिले तो फिर डॉक्टर के पास जाकर पूरा इलाज लेना चाहिए।
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