Meta-Apple की बड़ी हार! क्यों लगे करोड़ों डॉलर के जुर्माने? जानें कार्रवाई की पूरी इनसाइड स्टोरी
Apple and Meta:तकनीकी दिग्गज कंपनियों एप्पल और मेटा को यूरोपीय आयोग ने एक बार फिर कठघरे में खड़ा कर दिया है। डिजिटल प्रतिस्पर्धा नियमों के उल्लंघन के मामले में आयोग ने एप्पल पर 50 करोड़ यूरो और मेटा पर 20 करोड़ यूरो का जुर्माना ठोका है। (Apple and Meta) यह कार्रवाई यूरोपीय संघ के कड़े डिजिटल बाजार अधिनियम (DMA) के तहत की गई है, जिसका उद्देश्य बड़े टेक प्लेटफॉर्म्स की बाजार में एकाधिकार प्रवृत्ति पर लगाम लगाना है।
यूरोपीय आयोग ने एप्पल पर लगाए कई आरोप
एप्पल पर यह आरोप है कि उसने ऐप डेवलपर्स को अपने ऐप स्टोर के बाहर ग्राहकों को सस्ते विकल्पों की जानकारी देने से रोका। यह नीति उपभोक्ताओं के विकल्पों को सीमित करती है और प्रतिस्पर्धा के मूल सिद्धांतों के खिलाफ जाती है। आयोग ने इसे डिजिटल बाजार में अनुचित नियंत्रण के तौर पर देखा।
वहीं, मेटा प्लेटफॉर्म्स – जो फेसबुक और इंस्टाग्राम का संचालन करती है – पर यह आरोप है कि उसने अपने उपयोगकर्ताओं को विज्ञापन देखने या उनसे बचने के लिए भुगतान करने का विकल्प देकर उन्हें सीमित किया। आयोग के अनुसार, यह रणनीति उपयोगकर्ताओं की पसंद की आज़ादी को प्रभावित करती है और निष्पक्ष डिजिटल अनुभव के विरुद्ध है।
गौरतलब है कि ये निर्णय पहले मार्च में आने वाले थे, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच व्यापारिक तनाव और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विरोध के चलते इसमें विलंब हुआ। ट्रंप ने बार-बार यूरोपीय संघ की नीतियों को अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ बताते हुए उनकी आलोचना की थी।
यूरोपीय आयोग ने दी चेतावनी
यूरोपीय आयोग के इस निर्णय से यह स्पष्ट संकेत मिला है कि डिजिटल बाजार में पारदर्शिता और उपभोक्ताओं के अधिकारों को लेकर अब कोई समझौता नहीं किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम बड़ी तकनीकी कंपनियों के लिए एक चेतावनी है कि वे यूरोप में संचालन के लिए नियमों का पूरी तरह से पालन करें। यह जुर्माना भले ही पहले के मुकाबले कम हो, लेकिन इसका प्रभाव तकनीकी जगत में दूरगामी हो सकता है। खासकर तब, जब डिजिटल क्षेत्र में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा की मांग तेजी से बढ़ रही है।
जुर्माने को चुनौती देगा ऐप्पल
आईफोन बनाने वाली कंपनी ऐप्पल ने इस जुर्माने को चुनौती देने की बात कही है। जबकि मेटा ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है, यूरोपियन कमीशन सफल अमेरिकी व्यवसायों को बाधित करने का प्रयास कर रहा है, जबकि चीनी और यूरोपीय कंपनियों को अलग-अलग मानकों के तहत काम करने की अनुमति दे रहा है। मेटा ने आगे कहा, बात सिर्फ जुर्माने की नहीं है, बल्कि कमीशन हमें अपना बिजनेस मॉडल बदलने के लिए मजबूर कर रही है।
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