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अबू आजमी को कोर्ट की फटकार: औरंगजेब वाले बयान पर कहा- "गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी भड़का सकती है दंगा"

अबू आजमी को कोर्ट की फटकार, औरंगजेब पर बयान को लेकर कहा- 'गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी भड़का सकती है दंगा'। पूरा मामला जानें।
11:16 PM Mar 13, 2025 IST | Girijansh Gopalan

मुंबई की एक अदालत ने समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आजमी को उनके विवादास्पद बयानों पर फटकार लगाई है। आजमी ने मुगल शासक औरंगजेब की प्रशंसा करते हुए कुछ ऐसे बयान दिए थे, जिन्हें लेकर सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में तूफान खड़ा हो गया। अदालत ने आजमी को सलाह दी कि वह साक्षात्कार देते समय संयम बरतें, क्योंकि उनके जैसे वरिष्ठ राजनेता का कोई भी गैर-जिम्मेदाराना बयान दंगे भड़का सकता है।

क्या है पूरा मामला?

अबू आजमी, जो समाजवादी पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हैं, ने हाल ही में एक साक्षात्कार में मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ करते हुए कहा था कि उनके शासनकाल में भारत की सीमाएं अफगानिस्तान और बर्मा तक फैली हुई थीं। आजमी ने यह भी दावा किया कि उस समय भारत की जीडीपी 24 प्रतिशत थी और देश को "सोने की चिड़िया" कहा जाता था। इसके अलावा, जब उनसे औरंगजेब और मराठा योद्धा छत्रपति संभाजी महाराज के बीच हुई लड़ाई के बारे में पूछा गया, तो आजमी ने इसे "राजनीतिक लड़ाई" बताया। यह टिप्पणी छत्रपति संभाजी महाराज की जीवनी पर आधारित फिल्म 'छावा' के रिलीज होने के बाद की गई थी। महाराष्ट्र में छत्रपति संभाजी महाराज और उनके पिता छत्रपति शिवाजी महाराज को बहुत सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।

अदालत ने क्या कहा?

मुंबई की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी जी रघुवंशी ने आजमी के खिलाफ दर्ज मामले में उन्हें अग्रिम जमानत देते हुए फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि यह मामला एक साक्षात्कार के दौरान दिए गए बयानों से जुड़ा है, और इसमें पुलिस को किसी भी वस्तु को जब्त करने या पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की आवश्यकता नहीं है।
अदालत ने आगे कहा, "आदेश जारी करने से पहले मैं आवेदक (अबू आजमी) को सावधान करना चाहूंगा कि वह मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए साक्षात्कार देते समय संयम बरतें। कोई भी गैर-जिम्मेदाराना बयान दंगे भड़का सकता है और कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा कर सकता है।" अदालत ने यह भी कहा कि एक वरिष्ठ राजनेता होने के नाते आजमी को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।

आजमी का पक्ष क्या है?

अबू आजमी ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनके बयान किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से नहीं दिए गए थे। उनके वकील मुबीन सोलकर ने तर्क दिया कि एफआईआर में आजमी के खिलाफ किसी भी अपराध का खुलासा नहीं किया गया है। सोलकर ने कहा, "आरोपों से यह नहीं पता चलता है कि उन्होंने जानबूझकर और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से बयान दिए थे।"

अभियोजन पक्ष ने क्या कहा?

अभियोजन पक्ष ने आजमी की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि फिल्म 'छावा' के रिलीज होने के बाद लोगों की धार्मिक भावनाएं भड़क गई हैं। ऐसे में आजमी का विवादास्पद बयान और भी ज्यादा विवाद पैदा कर सकता है।

कोर्ट ने जांच अधिकारी पर भी उठाए सवाल

अदालत ने जांच अधिकारी पर भी सवाल उठाए। न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि जांच अधिकारी के पास आज तक कथित साक्षात्कार की वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं थी। अदालत ने कहा, "जांच अधिकारी ने वीडियो देखे बिना ही अपराध दर्ज कर लिया, जो चिंताजनक है।"

क्या हो सकता है आगे?

अबू आजमी को अदालत से अग्रिम जमानत मिल गई है, लेकिन यह मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। जांच अभी प्राथमिक चरण में है, और पुलिस आगे की कार्रवाई कर सकती है। इसके अलावा, यह मामला राजनीतिक और सामाजिक बहस का विषय बना हुआ है।

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