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वसाबी खाने की चाहत कैसे बनी सुनीता के लिए मुसीबत, जानिए इस मसालेदार दुर्घटना का पूरा किस्सा

सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में 9 महीने बिताने के बाद धरती पर लौटने वाली हैं। उनके एक मिशन के दौरान वसाबी खाने की छोटी-सी गलती ने उन्हें मुसीबत में डाल दिया।
12:47 PM Mar 18, 2025 IST | Vyom Tiwari

सुनीता विलियम्स, जो भारतीय मूल की जानी-मानी अंतरिक्ष यात्री हैं, करीब 9 महीने अंतरिक्ष में बिताने के बाद अब वापस धरती पर लौटने वाली हैं। उनके साथियों को लेकर स्पेसएक्स का ड्रैगन अंतरिक्ष यान कल (बुधवार) सुबह समुद्र में लैंड करेगा। यह विज्ञान और इंसानी जिज्ञासा का एक रोमांचक पल होगा।

सुनीता के लिए अंतरिक्ष की दुनिया और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन कोई नई बात नहीं है। वह तीन बार अंतरिक्ष की यात्रा कर चुकी हैं और कुल मिलाकर 600 से ज्यादा दिन वहां बिता चुकी हैं।

लेकिन उनका पहला मिशन (2006-2007) बेहद खास था। पहली बार अंतरिक्ष में जाने के दौरान उन्हें माइक्रो ग्रेविटी (सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण) और भारहीनता जैसी परिस्थितियों का अनुभव हुआ। इसी बीच, एक मजेदार घटना भी हो गई—उन्होंने एक छोटी सी गलती कर दी, जिससे एक ‘मसालेदार’ हादसा हो गया था!

अंतरिक्ष में जाने वाले यात्रियों को कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। उनके स्वास्थ्य, सफाई और खानपान का खास ध्यान रखा जाता है। लेकिन कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिनकी ट्रेनिंग नहीं दी जा सकती—जैसे अंतरिक्ष में तीखी चटनी बनाना!

वैज्ञानिक प्रयोगों के बीच स्वाद की बात करना अजीब लग सकता है, लेकिन स्वाद पर किसी का बस नहीं चलता। खासकर जब कोई भारतीय हो, जहां मसालों के बिना खाना अधूरा माना जाता है!

वसाबी चखने की तलब और फिर...

अंतरिक्ष में रहने के दौरान, इंसान को धरती के खाने की याद आना लाज़मी है। ऐसा ही कुछ हुआ अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स के साथ, जब उन्हें वसाबी खाने की तलब हुई। वसाबी एक तीखा, हरा मसाला होता है, जो आमतौर पर जापानी व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है। इसका स्वाद इतना तेज़ होता है कि नाक तक झनझना जाती है!

सुनीता खाने-पीने की शौकीन हैं, और उनके पिता भारत में जन्मे थे, जहां तीखे खाने का अपना ही मज़ा है। उनकी इस तीखी पसंद को ध्यान में रखते हुए, रि-सप्लाई मिशन के ज़रिए उन्हें वसाबी की एक ट्यूब भेजी गई।

जब सुनीता ने अंतरिक्ष में पैक्ड सैल्मन मछली के साथ सुशी बनाने की कोशिश की, तो उन्होंने वसाबी की ट्यूब को हल्के से दबाया। लेकिन जीरो ग्रैविटी में कुछ भी सामान्य नहीं होता! ज़रा सा दबाने पर ही पूरी की पूरी ट्यूब खाली हो गई और तीखा वसाबी हवा में तैरने लगा। आगे जो हुआ, वह और भी दिलचस्प था...

कैसे हुई ये 'मसालेदार' दुर्घटना?

अंतरिक्ष में माइक्रो ग्रेविटी (कम गुरुत्वाकर्षण) और दबाव के कारण वसाबी ने अजीब ढंग से प्रतिक्रिया दी। जब इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में वसाबी की ट्यूब खोली गई, तो वह चारों ओर फैल गई।

पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण के कारण कोई भी चीज नीचे गिरती है, लेकिन अंतरिक्ष में ऐसा नहीं होता। वहां गुरुत्वाकर्षण बहुत कम होता है, इसलिए तरल पदार्थ या पेस्ट (जैसे वसाबी) ज़मीन पर गिरने की बजाय छोटे-छोटे कणों या गोलों के रूप में तैरने लगता है।

ट्यूब के अंदर हल्का दबाव (एयर प्रेशर) भी हो सकता है। जब इसे खोला जाता है, तो हवा के दबाव से वसाबी तेजी से बाहर निकलती है। अगर ट्यूब को गलत तरीके से खोला जाए, तो वसाबी छोटे फव्वारे की तरह उछल सकती है और हवा में तैरने लगती है।

अंतरिक्ष में तैरते छोटे-छोटे कण कभी-कभी मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। ये कण अंतरिक्ष यात्रियों की आंखों, नाक या उपकरणों में चले जाते हैं, जिससे जलन या तकनीकी दिक्कतें हो सकती हैं।

कुछ ऐसा ही अनुभव सुनीता विलियम्स ने किया था। एनबीसी न्यूज के मुताबिक, उन्होंने इस बारे में अपनी मां से अंतरिक्ष से बात की थी। बॉस्टन के रेडियो स्टेशन WBZ ने इस बातचीत की व्यवस्था की थी।

सुनीता ने अपनी मां से कहा था, "हमने बड़ी मुश्किल से वसाबी की गंध हटाई। यह हर जगह फैल गई थी, और हम बहुत परेशान थे।"  इसके बाद उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि हम अब इसका इस्तेमाल करेंगे। यह बहुत खतरनाक है।"

सुनीता अपने लंच बॉक्स में ले गई थी भारतीय खाना

जब लोग अंतरिक्ष की यात्रा पर जाते हैं, तो उन्हें अपने साथ कुछ पसंदीदा खाने की चीजें ले जाने की अनुमति होती है। इसका मकसद यह होता है कि वे वहां अकेलेपन के दौरान अपने मनपसंद खाने का आनंद ले सकें। एनबीसी न्यूज के मुताबिक, अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स के लंच बॉक्स में पकौड़े, पंजाबी कढ़ी (जिसमें दही और करी के साथ सब्जी के पकौड़े होते हैं) और मटर पनीर शामिल होते हैं। इन व्यंजनों को इस तरह पैक किया जाता है कि वे लंबे समय तक सुरक्षित रह सकें।

अंतरिक्ष में ताजे फल और सब्जियां मिलना बहुत मुश्किल होता है। वहीं, ब्रेड जैसे खाद्य पदार्थ भी वहां उपयुक्त नहीं होते, क्योंकि उनके छोटे-छोटे टुकड़े इधर-उधर उड़ सकते हैं, जिन्हें साफ करना बेहद कठिन हो जाता है।

 

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