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EVM की पूरी जानकारी: वोटिंग कैसे होती है, बैटरी कितनी देर चलती है, और कितने वोट डाले जा सकते हैं

EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) से वोटिंग कैसे होती है, इसकी बैटरी कितने घंटे चलती है, और EVM में कितने वोट डाले जा सकते हैं? जानें पूरी जानकारी
02:08 PM Feb 06, 2025 IST | Vibhav Shukla

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे 8 फरवरी को आएंगे और इस चुनाव में EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल किया गया है। यह वोटिंग का एक आधुनिक तरीका है, जिससे गिनती भी बहुत तेज होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये EVM कैसे काम करती है? इसकी बैटरी कितने घंटे चलती है? और एक EVM में कितने वोट डाले जा सकते हैं? चलिए, सब कुछ विस्तार से समझते हैं।

EVM काम कैसे करता है?

EVM का इस्तेमाल मतदान के दौरान किया जाता है। जब कोई व्यक्ति वोट डालने के लिए बूथ पर जाता है, तो सबसे पहले चुनाव अधिकारी उसकी पहचान वेरिफाई करता है। पहचान की पुष्टि होने के बाद, चुनाव अधिकारी उसकी उंगली पर स्याही लगाते हैं और फिर उसे वोट डालने की अनुमति देते हैं।

अब, वोट डालने के लिए EVM में दो यूनिट्स होती हैं:

कंट्रोल यूनिट – यह चुनाव अधिकारी के पास होती है।

बैलट यूनिट – यह वह यूनिट है, जहां पर मतदाता वोट डालता है।

जब मतदाता बैलट यूनिट में अपनी पसंदीदा पार्टी या उम्मीदवार के नाम के सामने बटन दबाता है, तो एक बीप की आवाज आती है, जिसका मतलब है कि वोट सफलतापूर्वक डाला गया है।

EVM में क्या है VVPAT और क्यों है यह जरूरी?

क्या आपने कभी सुना है VVPAT के बारे में? EVM में एक और सिस्टम जुड़ा होता है जिसे कहते हैं VVPAT (Voter Verifiable Paper Audit Trail)। जब आप वोट डालते हैं, तो EVM से एक छोटी सी पर्ची निकलती है। उस पर्ची पर वह उम्मीदवार और उसका चुनाव चिन्ह दिखता है, जिसे आपने वोट किया है। यह पर्ची कुछ सेकंड के लिए दिखाई देती है और फिर यह मशीन के अंदर चली जाती है। इससे आपको यह भरोसा मिलता है कि आपका वोट सही तरीके से और सही उम्मीदवार को डाला गया है।

EVM की बैटरी कितनी देर तक चलती है?

EVM बैटरी से चलने वाली मशीन है, यानी इसे चार्ज करने के बाद बिजली की जरूरत नहीं पड़ती। खासकर यह बात उन इलाकों में बहुत फायदेमंद है जहां बिजली की समस्या हो। EVM की बैटरी 12 से 16 घंटे तक चल सकती है। इसका मतलब है कि एक बार पूरी तरह से चार्ज होने के बाद यह बैटरी पूरी मतदान प्रक्रिया के दौरान आसानी से काम करती रहती है।

EVM का कौन-सा मॉडल इस्तेमाल किया जाता है?

आजकल M3 मॉडल की EVM का इस्तेमाल होता है, जो कि काफी एडवांस्ड और सिक्योर है। इस मशीन में कई नए सुरक्षा फीचर्स जोड़े गए हैं, जैसे कि इसे कोई छेड़छाड़ (tampering) करने पर तुरंत पता चल जाता है। इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति एक से ज्यादा बार बटन दबाता है, तो उसका वोट रिकॉर्ड नहीं होगा।

इससे यह सुनिश्चित होता है कि वोटिंग प्रक्रिया में किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो और सब कुछ निष्पक्ष तरीके से हो।

EVM में कितने वोट डाले जा सकते हैं?

एक EVM में कुल 3840 वोट डाले जा सकते हैं। इसकी बैलट यूनिट में एक बार में 16 उम्मीदवारों के नाम डाले जाते हैं। अगर किसी चुनाव में उम्मीदवार ज्यादा होते हैं, तो एक से ज्यादा बैलट यूनिट जोड़ दी जाती है। इससे EVM में अधिकतम 384 उम्मीदवारों तक के नाम डाले जा सकते हैं।

वोटिंग के बाद EVM का क्या होता है?

जब मतदान प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो चुनाव अधिकारी EVM को सील कर देते हैं और इसे एक सुरक्षित स्ट्रॉन्ग रूम में रख दिया जाता है। स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा इतनी कड़ी होती है कि न तो कोई बाहरी व्यक्ति इसे छू सकता है और न ही इसमें किसी तरह की छेड़छाड़ की जा सकती है। गिनती के दिन तक यह मशीनें पूरी तरह से सुरक्षित रहती हैं।

EVM से क्या फायदे होते हैं?

तेजी से वोटिंग – EVM से वोटिंग का वक्त बहुत कम हो जाता है। मतदान प्रक्रिया बहुत सरल और तेज़ होती है।

सटीक गिनती – EVM से गिनती भी बहुत सटीक होती है। मशीन गिनती का समय भी कम कर देती है।

पारदर्शिता – VVPAT से यह सुनिश्चित होता है कि आपका वोट सही उम्मीदवार को गया है, जिससे पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रहती है।

बिजली की जरूरत नहीं – EVM बैटरी से चलती है, तो इसमें बिजली की कोई भी परेशानी नहीं आती, और यह दूर-दराज के इलाकों में भी काम करती है।

बता दें इनमें से EVM का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे चुनावों की प्रक्रिया पारदर्शी और सुरक्षित रहती है। जहां पहले पारंपरिक बैलट पेपर से गिनती करने में समय लगता था और गलतियां होने की संभावना रहती थी, वहीं EVM ने इन समस्याओं को खत्म किया। यह वोटिंग को तेज, सटीक और बिना किसी गड़बड़ी के बनाता है।

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