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14 मार्च की रात चांद बदल लेगा रंग! ‘ब्लड मून’ का अनोखा नज़ारा देखने के लिए रहें तैयार

14 मार्च की रात पूर्ण चंद्रग्रहण लगेगा, जिसे ‘ब्लड मून’ कहा जाता है। चंद्रमा लाल नजर आएगा, साथ ही वर्म मून और मूनबो का भी नज़ारा दिख सकता है।
03:10 PM Mar 12, 2025 IST | Vyom Tiwari

होली रंगों और खुशियों का त्योहार है, लेकिन इस बार यह और भी खास होने वाला है। 14 मार्च की रात जब आप आसमान में चांद को देखेंगे, तो उसका नज़ारा थोड़ा अलग होगा—चांद लाल रंग में नजर आएगा!

दरअसल, इस दिन पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, जिसे "ब्लड मून" भी कहा जाता है। इस दौरान चांद धीरे-धीरे गहरे लाल या तांबे के रंग में बदल जाएगा। लेकिन ऐसा क्यों होता है? आइए, इसे समझते हैं!

चंद्रग्रहण के पीछे की क्या है साइंस?

चंद्रग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की गहरी छाया (उम्ब्रा) में चला जाता है, तो इसे पूर्ण चंद्रग्रहण कहा जाता है। इस समय चंद्रमा पर सीधी सूर्य की रोशनी नहीं पड़ती, जिससे वह कुछ देर के लिए अंधकारमय दिखता है। लेकिन यह पूरी तरह काला नहीं होता, बल्कि लालिमा लिए हुए नजर आता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सूर्य की किरणें जब पृथ्वी के वातावरण से गुजरती हैं, तो वे बिखर जाती हैं और लाल रंग की रोशनी चंद्रमा तक पहुंचती है।

क्या है ब्लड मून का कांसेप्ट?

जब चंद्र ग्रहण होता है, तो चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आ जाता है और उस पर सीधी सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती। लेकिन पृथ्वी का वातावरण सूर्य की रोशनी को मोड़कर (रिफ्रैक्ट करके) चंद्रमा तक पहुंचा देता है। इस प्रक्रिया में वातावरण नीले रंग की रोशनी को बिखेर देता है, जबकि लाल और नारंगी रोशनी चंद्रमा तक पहुंचती है। इसी कारण चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देता है, जिसे 'ब्लड मून' कहा जाता है।

अगर इस दौरान हवा में धूल, धुआं या ज्वालामुखी से निकले कण ज्यादा हों, तो चंद्रमा और भी गहरा लाल या तांबे जैसा नजर आ सकता है। नासा के अनुसार, यह वैसा ही होता है जैसे पूरी पृथ्वी के सूर्योदय और सूर्यास्त की रोशनी चंद्रमा पर पड़ रही हो।

कहां-कहां देख सकेंगे यह चंद्रग्रहण?

यह पूर्ण चंद्रग्रहण खासतौर पर अमेरिका, कनाडा, मेक्सिको और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में साफ दिखाई देगा। भारत में यह पूरी तरह नहीं दिखेगा, लेकिन अगर आसमान साफ हो, तो इसका हल्का असर देखा जा सकता है।

मार्च की पूर्णिमा का नाम वर्म मून क्यों?

मार्च की पूर्णिमा को वर्म मून (Worm Moon) कहा जाता है, और इसके पीछे एक दिलचस्प वजह है। इस समय मौसम थोड़ा गर्म होने लगता है, जिससे मिट्टी नरम पड़ती है और कीड़े-मकोड़े बाहर आने लगते हैं। अमेरिका के कुछ आदिवासी समुदायों का मानना है कि यह नाम प्रकृति में बदलाव को दर्शाता है।

इसके अलावा, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इस पूर्णिमा को और भी कई नामों से जाना जाता है, जैसे ईगल मून, गूज़ मून, क्रो कम्स बैक मून, शुगर मून और विंड स्ट्रॉन्ग मून। हर नाम का अपना अलग मतलब और कहानी होती है, जो उस क्षेत्र की संस्कृति और परंपराओं से जुड़ी होती है।

ब्लड वर्म मून के दौरान ये नजारा भी दिखेगा

अगर आज रात आसमान में हल्की नमी होगी, तो आपको एक अनोखा नज़ारा देखने को मिल सकता है – ‘मूनबो’ (Moonbow)। यह इंद्रधनुष जैसा होता है, लेकिन सूरज की जगह चंद्रमा की रोशनी से बनता है।

इसके अलावा, जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आएगा, तो उसकी रोशनी हल्की हो जाएगी। इससे आसमान और भी गहरा लगेगा, जिससे तारों और ग्रहों को साफ देखने का शानदार मौका मिलेगा। अगर आप पश्चिम की ओर देखें, तो बृहस्पति और मंगल चमकते हुए नज़र आएंगे। साथ ही, कई तारामंडल भी साफ दिखाई देंगे, जो इस रात को और खास बना देंगे।

 

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