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क्रिकेटर नहीं, जंग जीतकर लौटा सिपाही...वैभव सूर्यवंशी ने सुनाई मां-पिता के संघर्ष की दास्तां

वह क्रिकेट नहीं, जीवन की जंग जीत रहे थे। पापा की नौकरी और मां की नींद के बलिदान ने किया वैभव को महान
02:33 PM Apr 29, 2025 IST | Rajesh Singhal

Vaibhav suryavanshi family: राजस्थान रॉयल्स के 14 साल के धुरंधर वैभव सूर्यवंशी सोमवार को जयपुर की गुलाबी शाम में बल्ले से ऐसा तूफान मचाया कि न सिर्फ गुजरात टाइटंस की गेंदबाजी ढह गई बल्कि आईपीएल इतिहास के पन्नों में उनका नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया।राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलते हुए, वैभव ने गुजरात के खिलाफ 35 गेंदों में शतक लगाकर सबसे तेज भारतीय शतक का रिकॉर्ड अपने नाम किया। यह पारी न सिर्फ उनकी प्रतिभा का नमूना थी, बल्कि उनके संघर्षों और परिवार के समर्पण की भी कहानी है।

मैच के बाद आईपीएल द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो में, वैभव ने कहा, 'आज जो कुछ भी हूं, वो अपने माता-पिता की वजह से हूं। मेरी मां रोज़ सुबह जल्दी उठकर मेरा टिफिन तैयार करती थीं ताकि मैं प्रैक्टिस करने जा सकूं।(Vaibhav suryavanshi family) वो मेरे लिए सिर्फ तीन घंटे सोती थीं। मेरे पापा ने अपना काम छोड़ दिया ताकि मेरा करियर बन सके। अब मेरा बड़ा भाई उनका काम संभाल रहा है। हम काफी मुश्किल दौर से गुज़रे हैं। जो भी और जितनी भी सफलता आज हासिल हुई है, वो सब माता-पिता के त्याग के कारण ही हुई है।

टूर्नामेंट का दूसरा सबसे तेज शतक बनाया

वैभव ने 35 गेंद में टूर्नामेंट का दूसरा सबसे तेज शतक लगाया है। बता दें कि क्रिस गेल ने आईपीएल में 30 गेंद पर शतक लगाने का कमाल किया था। किसी भारतीय द्वारा बनाया गया सबसे तेज शतक है, जिसने यूसुफ पठान के 37 गेंदों में शतक बनाने के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।

भगवान मेहनत करने वालों को कभी निराश...

मैच के बाद वैभव ने बताया कि मैं जो भी हूं अपने माता-पिता की वजह से हूं। मुझे प्रैक्टिस के लिए जाना होता था तो मेरी मम्मी दो बजे सुबह उठ जाती थीं। जबकि वो 11 बजे सोती थीं यानि केवल तीन ही घंटे की नींद लेती थीं। फिर मेरे लिए खाना बनाती थीं, मेरे पापा ने काम छोड़ दिया...मेरे बड़े भाई ने पापा का काम संभाला। बहुत मुश्किल से घर चल रहा था, पर पापा मेरे पीछे लगे रहे। उन्हें भरोसा था कि मैं कुछ करूंगा। भगवान मेहनत करने वालों को कभी निराश नहीं करते। जो भी रिजल्ट दिख रहा है मैं सफल हो पा रहा हूं तो वो मेरे पेरेंट्स की वजह से ही है।”

5 साल की कड़ी ट्रेनिंग

पटना के उनके कोच मनीष ओझा ने बताया कि आप लोगों ने उसके शॉट में ताकत देखी होगी। बल्ले की स्विंग और सही टाइमिंग देखी होगी। अगर छक्का मारने के लिए ताकत ही एकमात्र मानदंड होता तो पहलवान क्रिकेट खेलते। यह पांच साल की ट्रेनिंग है जिसमें वैभव हर दिन 600 सौ गेंदें खेलते थे।

बेटे के सपने के लिए बेच दी जमीन

ऐसी प्रतिभा रातों-रात नहीं बनीं, इस अविश्वसनीय कहानी की नींव तब पड़ी जब उनके पिता संजीव सूर्यवंशी ने अपने बेटे के क्रिकेट सपनों को पूरा करने के लिए अपनी खेती की जमीन बेच दी। बिहार क्रिकेट संघ ने वैभव का समर्थन किया और उसे रणजी ट्रॉफी में जगह दिलाई। तिलक नायडू की अध्यक्षता में अंडर-19 राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने उसे कोल्ट टेस्ट क्रिकेट में पहुंचाया।

अंत में राजस्थान रॉयल्स के राहुल द्रविड़ और जुबिन भरूचा ने आईपीएल की शुरुआत से पहले उसे 150 से अधिक की गति से साइड-आर्म थ्रोडाउन का सामना करवाकर इस अनगढ़े हीरे को चमकाने में अपना योगदान दिया। ओझा वैभव के पिता और उनके बलिदान की प्रशंसा करते हैं। उसके पिता मैच दिखाने के लिए हर दूसरे दिन 100 किलोमीटर की यात्रा करते थे। मां उसके खान-पान को लेकर बहुत सजग रहती थीं। अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन 600 गेंदें खेलता है तो उसे प्रोटीन के मामले में ज्यादा पोषण की जरूरत होगी।

वैभव के गांव में जश्न का माहौल

समस्तीपुर के ताजपुर के रहने वाले राजस्थान रॉयल्स के खिलाड़ी वैभव सूर्यवंशी T20 फॉर्मेट में सबसे तेज शतक लगाने वाले बैट्समैन बन गए हैं। शतक लगाने पर समस्तीपुर सहित पूरे बिहार में जश्न का माहौल है समस्तीपुर जिला के ताजपुर में भी वैभव सूर्यवंशी के घर से लेकर पूरे गांव में जश्न का माहौल है। गांव के लोगों ने इस खुशी के मौके पर केक काटा और जमकर आतिशबाजी की और जमकर वैभव के समर्थन में नारेबाजी की गई। उनके गांव के लोग वैभव सूर्यवंशी के इस शानदार प्रदर्शन से काफी खुश नजर आ रहे हैं।

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