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महाराष्ट्र के मुस्लिम वोटर्स किस पार्टी के साथ?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मुस्लिम मतदाता का महत्व बढ़ गया है। ओवैसी और अखिलेश यादव के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने से कांग्रेस और एनसीपी की चिंता बढ़ गई है।
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की तैयारी में राजनीतिक दल अपनी-अपनी बिसात बिछाने में जुट गए हैं। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन अपनी सियासी पकड़ मजबूत करने के प्रयास में है, जबकि कांग्रेस-शिवसेना (यूबीटी)-एनसीपी (एस) गठबंधन सत्ता में वापसी के लिए बेताब है। इस सियासी खेल में कई छोटे दल भी शामिल हो गए हैं, जिनमें असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM और समाजवादी पार्टी (सपा) जैसे प्रमुख नाम हैं। दोनों दल मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, जिससे महा विकास आघाड़ी की राजनीतिक चुनौती बढ़ सकती है।

मुस्लिम मतदाता की ताकत

महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय की आबादी करीब 12 फीसदी है, जो राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह समुदाय राज्य के उत्तरी कोंकण, खानदेश, मराठवाड़ा, मुंबई और पश्चिमी विदर्भ जैसे क्षेत्रों में सशक्त है। मुस्लिम मतदाता राजनीतिक दलों के भविष्य को बनाने और बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में 10 मुस्लिम विधायक सफल रहे थे, जिनमें से 3 कांग्रेस, 2 एनसीपी, 2 सपा, 2 AIMIM और 1 शिवसेना से थे।

राजनीतिक दलमुख्य लक्ष्यपिछले प्रदर्शन (2019)
भाजपा-शिवसेना-एनसीपी (शिंदे)सत्तारूढ़ स्थिति बनाए रखना105 सीटें
कांग्रेस-शिवसेना (यूबीटी)-एनसीपी (एस)सत्ता में वापसी44 सीटें
समाजवादी पार्टी (सपा)मुस्लिम मतदाता को आकर्षित करना2 सीटें
एआईएमआईएम (ओवैसी)मुस्लिम वोट बैंक पर कब्जा2 सीटें (मालेगांव, धुले)
छोटे क्षेत्रीय दलस्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना-

अखिलेश यादव का महाराष्ट्र दौरा

सपा प्रमुख अखिलेश यादव 18 अक्टूबर को दो दिवसीय दौरे पर महाराष्ट्र पहुंच रहे हैं। उनका यह दौरा मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में रखा गया है, जिसमें मालेगांव और धुले शामिल हैं। मालेगांव में वे एक जनसभा को संबोधित करेंगे और अगले दिन धुले में एक राजनीतिक कार्यक्रम में भाग लेंगे।

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सपा का इस बार का फोकस मुस्लिम मतदाताओं को अपने साथ लाना है, जो उनकी सियासी रणनीति को दर्शाता है। 2009 में सपा ने महाराष्ट्र में चार सीटें जीती थीं, लेकिन 2014 में यह संख्या घटकर एक रह गई और 2019 में दो विधायक ही जीत सके।

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मुस्लिम बहुल सीटों पर ध्यान

सपा ने आगामी चुनाव में मुस्लिम बहुल सीटों पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बनाई है। मुंबई क्षेत्र की कुछ महत्वपूर्ण सीटें जैसे शिवाजी नगर, भायखला, वर्सोवा, और ठाणे की भिवंडी पूर्व और भिवंडी पश्चिम पर सपा उम्मीदवार उतारने की योजना है। इसके अलावा, धूलिया और औरंगाबाद जैसी मुस्लिम बहुल सीटों पर भी अपनी ताकत दिखाने की पूरी तैयारी की जा रही है। अबू आसिम आजमी, सपा के महाराष्ट्र अध्यक्ष, ने यह स्पष्ट किया है कि वे महाविकास आघाड़ी गठबंधन के साथ बिना सीट शेयरिंग के चुनाव लड़ने का इरादा रखते हैं।

राजनीतिक दलमुख्य आकर्षण2019 में मुस्लिम विधायक
कांग्रेसपहला मुस्लिम मुख्यमंत्री (अब्दुल रहमान अंतुले)3
एनसीपीमुस्लिम मतदाता की स्वाभाविक पसंद2
बीजेपीपरंपरागत रूप से मुस्लिम मतदाता नहीं0
समाजवादी पार्टी (सपा)विपक्षी गठबंधन में विश्वास2
एआईएमआईएम (ओवैसी)वैकल्पिक राजनीतिक विकल्प1
वंचित बहुजन अघाड़ीनए विकल्प की तलाश0

ओवैसी की नजर मुस्लिम वोटों पर

अखिलेश यादव का कार्यक्रम मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में रखा गया है, जहां असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM की गहरी पैठ है। 2019 के विधानसभा चुनाव में मालेगांव और धुले सीटों पर AIMIM ने जीत हासिल की थी, जो उनके लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही। ओवैसी अक्सर मुस्लिम समुदाय के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते हैं और उन्हें वैकल्पिक नेतृत्व देने की कोशिश कर रहे हैं। AIMIM ने लगभग 30 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई है, खासकर उन सीटों पर जहां मुस्लिम मतदाता 30 फीसदी से अधिक हैं।

कांग्रेस और एनसीपी की बढ़ी टेंशन

ओवैसी और सपा की बढ़ती सक्रियता कांग्रेस और एनसीपी के लिए चिंता का विषय बन सकती है। ऐतिहासिक रूप से, मुस्लिम वोटर कांग्रेस को प्राथमिकता देते रहे हैं, और कांग्रेस ने महाराष्ट्र में 1980 में पहला मुस्लिम मुख्यमंत्री अब्दुल रहमान अंतुले को बनाया था। हालांकि, मौजूदा राजनीतिक स्थिति में मुस्लिम समुदाय अन्य विकल्पों की ओर झुकता दिख रहा है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और एनसीपी प्रमुख अजित पवार भी मुस्लिम वोट बैंक पर नजर गड़ाए हुए हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में मुस्लिम वोटर किस पार्टी को अपना समर्थन देते हैं।

मुस्लिम विधायकों की संख्या में गिरावट

महाराष्ट्र की सियासत में मुस्लिम विधायकों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है, जो इस समुदाय के लिए चिंता का विषय है। 1990 के बाद से मुस्लिम उम्मीदवार को तभी टिकट दिया जाता है जब वह मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र से खड़ा होता है। उदाहरण के लिए, 2019 के विधानसभा चुनावों में 10 मुस्लिम विधायकों में से 9 ने मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों से जीत हासिल की। इस संदर्भ में, यह महत्वपूर्ण है कि मुस्लिम मतदाता अपनी राजनीतिक पहचान और प्रतिनिधित्व को लेकर किस दिशा में जाते हैं।

विधानसभा चुनाव का वर्षमुस्लिम विधायकों की संख्या
196211
19679
197213
197811
198013
198510
19907
19958
199913
200411
200911
20149
201910

महाराष्ट्र में मुस्लिम वोट बैंक को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। ओवैसी और अखिलेश यादव की सक्रियता से कांग्रेस की चिंता बढ़ रही है। आगामी चुनावों में यह देखना होगा कि मुस्लिम समुदाय किस दल को प्राथमिकता देता है और इसका प्रभाव महाराष्ट्र की सियासत पर क्या पड़ता है।

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