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कब और कैसे बिगड़े भारत-कनाडा के रिश्ते? आसान भाषा में समझें सबकुछ

भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों में तल्खी तब बढ़ गई जब कनाडा ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया और छह भारतीय डिप्लोमैट्स को निष्कासित कर दिया. भारत ने भी कनाडा के छह डिप्लोमैट्स को निष्कासित कर दिया और अपने राजदूत को वापस बुला लिया.
04:23 PM Oct 15, 2024 IST | Vibhav Shukla

india and canada expel diplomats: भारत और कनाडा के बीच हाल ही में राजनयिक तनाव चरम पर पहुंच गया है। खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के शामिल होने के आरोपों के चलते कनाडा ने छह भारतीय डिप्लोमैट्स और दूतावास के अधिकारियों को निष्कासित कर दिया है। इससे पहले भारत ने भी कनाडा के छह डिप्लोमैट्स को निष्कासित करने का निर्णय लिया था और उन्हें 19 अक्टूबर तक भारत छोड़ने को कहा है।

भारत ने कनाडा में अपने राजदूत संजय कुमार वर्मा को भी वापस बुलाने का फैसला किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कनाडा के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि उन्हें कनाडा की सरकार पर अपने राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भरोसा नहीं है, इसलिए यह निर्णय लिया गया।

जस्टिन ट्रूडो का गंभीर आरोप

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया है कि भारत के छह एजेंटों के आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के सबूत उनके पास हैं। ट्रूडो ने यह भी कहा कि भारत सरकार ने बार-बार सहयोग का आग्रह करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कोई भी कदम उठाने से नहीं हिचकेंगे।

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सोमवार को रॉयल कनाडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) के कमिश्नर माइकल ड्यूहेम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कनाडा और भारत में हिंसक और चरमपंथी खतरा बढ़ता जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कनाडा में हालिया हत्याओं, एक्सटॉर्शन और अन्य आपराधिक गतिविधियों में भारतीय एजेंटों की सीधी भूमिका रही है।

ड्यूहेम ने कहा कि इस हफ्ते आरसीएमपी के डिप्टी कमिश्नर ने भारतीय अधिकारियों के साथ बैठक करने की कोशिश की थी, जिसमें कनाडा में आपराधिक गतिविधियों में भारतीय एजेंटों की भूमिका पर चर्चा की जानी थी, लेकिन यह बैठक नहीं हो सकी।

ड्यूहेम ने यह भी कहा कि जांच में पाया गया है कि कनाडा में भारतीय राजनयिक और कौंसलर अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करते हुए भारत सरकार के लिए जानकारी जुटाते हैं। उन्होंने दावा किया कि कई कनाडाई संस्थाएं भारतीय एजेंटों के लिए काम कर रही हैं और भारत सरकार को सूचनाएं प्रदान कर रही हैं।

भारत-कनाडा में अब तक क्या-क्या हुआ?

तरीखघटना
जून 2023कनाडा के सर्रे में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या।
सितंबर 2023कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर निज्जर की हत्या का आरोप लगाया।
अक्टूबर 2023भारत ने कनाडा से 41 राजनयिकों को वापस बुलाने का आदेश दिया और राजनयिक छूट रद्द की।
मई 2024सीबीसी न्यूज की रिपोर्ट में कनाडाई पुलिस ने एक गैंग के सदस्यों की गिरफ्तारी की।
अक्टूबर 2024आरसीएमपी कमिश्नर ने भारतीय एजेंटों के आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया। कनाडा ने छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित किया। भारत ने भी छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित किया।

आखिर कनाडा की भारत से संबंध क्यों नहीं बनते?

कनाडा और भारत के रिश्तों में बढ़ती दूरियों के पीछे की कहानी कोई एक घटना नहीं है, बल्कि अतीत में घटित कई महत्वपूर्ण घटनाओं का परिणाम है। हाल ही में हुई घटनाओं ने पुराने जख्मों को फिर से ताजा कर दिया है, जिससे यह सवाल उठता है कि आखिर कनाडा की भारत से संबंध क्यों नहीं बनते? क्या कनाडा भारत जैसे बड़े देश से चिढ़ता है या फिर वह संबंधों को मधुर बनाए रखने में दिलचस्पी नहीं रखता? इस रिपोर्ट में हम पांपॉइंट के माध्यम से जानेंगे कि रिश्तों में कड़वाहट की शुरुआत कहां से हुई और इसके पीछे के कारण क्या हैं।

1. ऑपरेशन ब्लू स्टार और एयर इंडिया हादसा

1984 में भारत सरकार ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया, जिसका उद्देश्य सिख चरमपंथियों को खत्म करना था, जो अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छिपे थे। इस ऑपरेशन के परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई। इस घटना ने खालिस्तानी आतंकवाद को एक नई दिशा दी। उसके बाद, 23 जून 1985 को एयर इंडिया का एक विमान, जो नई दिल्ली के लिए उड़ान भर रहा था, में बम धमाका हुआ। इस हादसे में 329 लोग मारे गए, जिसमें अधिकांश भारतीय थे। जांच में पता चला कि इस घटना में खालिस्तानी आतंकवादियों का हाथ था, लेकिन कनाडा की सरकार ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इसने भारतीयों में गहरा आक्रोश पैदा किया, क्योंकि उन्हें लगा कि कनाडा आतंकवादियों के प्रति नरम रुख अपनाए हुए है।

2. खालिस्तानियों का समर्थन

कनाडा में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। ये समूह न केवल भारत के खिलाफ नारे लगाते हैं, बल्कि भारतीय उच्चायुक्तों और दूतावासों पर धरना-प्रदर्शन भी करते हैं। 2023 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या ने इस तनाव को और बढ़ा दिया। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने इस हत्या के लिए भारतीय उच्चायुक्तों को जिम्मेदार ठहराया। इस आरोप ने भारतीय सरकार को उग्र प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर किया, जिसने कनाडा सरकार से खालिस्तानियों के खिलाफ ठोस कदम उठाने की अपील की।

3. राजनीतिक वोट बैंक

कनाडा में कई राजनेता खालिस्तान समर्थकों के समर्थन में खड़े होते हैं, जो कि चुनावी राजनीति का हिस्सा है। इस तरह की गतिविधियों के चलते भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कनाडा सरकार को चेतावनी दी कि इस तरह के बैनरों और प्रदर्शनों से भारत में गुस्सा बढ़ेगा। इसके बावजूद, कनाडाई सरकार ने इन गतिविधियों पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इसके चलते भारत में यह धारणा बनी कि कनाडा केवल वोटों के लिए ऐसे समूहों का समर्थन कर रहा है, जिससे भारत के प्रति उनकी गंभीरता पर सवाल उठता है।

4. जस्टिन ट्रूडो का भारत दौरा

2023 में कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस दौरान, भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का प्रस्ताव रखा। लेकिन ट्रूडो ने इस प्रस्ताव को नकारते हुए भारत सरकार पर आरोप लगाना जारी रखा। जब भारतीय सरकार ने उन्हें सुरक्षित लौटने का प्रस्ताव दिया, तब भी उन्होंने उसे ठुकरा दिया। इसके बाद, लौटने पर ट्रूडो ने कनाडा की संसद में भारत के खिलाफ बयानबाजी की, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में और तल्खी आई।

5. वीजा सेवाओं का निलंबन

कनाडा के द्वारा भारतीय इंटेलिजेंस के एक अधिकारी पर आरोप लगाने के बाद, भारत ने कनाडा के लिए वीजा सेवाएं निलंबित कर दीं। यह एक महत्वपूर्ण कदम था, जिससे भारत ने अपनी नाराजगी जाहिर की। इसके अलावा, कनाडा ने भारत को विदेशी खतरा बताते हुए और भी गंभीर आरोप लगाए, जिसमें कहा गया कि भारत कनाडा के चुनावों में हस्तक्षेप कर सकता है। इस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि कनाडा हमारे आंतरिक मामलों में दखल दे रहा है।

इस प्रकार, कनाडा और भारत के बीच का यह तनाव केवल एक या दो घटनाओं का परिणाम नहीं है, बल्कि वर्षों से चल रही घटनाओं का नतीजा है। कनाडा की धरती पर खालिस्तानियों को मिलने वाले समर्थन ने रिश्तों को और कड़वा बना दिया है। आने वाले समय में इन रिश्तों में क्या सुधार होगा या स्थिति और बिगड़ेगी, यह देखना दिलचस्प होगा।

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