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ममता के लिए चुनावी संकट! शिक्षा घोटाला, टीएमसी अंदरूनी कलह और बंगाल में हिंसा का माहौल

पश्चिम बंगाल की राजनीति में हमेशा ही उलटफेर और बदलते मोड़ देखने को मिलते हैं। यहां ध्रुवीकरण की राजनीति होती है, भ्रष्टाचार से जुड़े विवादों की कोई कमी नहीं...
12:23 PM Apr 16, 2025 IST | Rajesh Singhal

West Bengal Election: : पश्चिम बंगाल की राजनीति में हमेशा ही उलटफेर और बदलते मोड़ देखने को मिलते हैं। यहां ध्रुवीकरण की राजनीति होती है, भ्रष्टाचार से जुड़े विवादों की कोई कमी नहीं, और हिंसा तो राज्य की राजनीतिक संस्कृति का हिस्सा बन चुकी है। हालांकि, बंगाल की जनता यह साबित कर चुकी है कि जब किसी चीज की सीमा पार हो जाती है, तब परिवर्तन आता है, सत्ता का संतुलन बदलता है और एक नया युग शुरू होता है। लेफ्ट के वजूद का अंत भी बंगाल की धरती पर इसी तरह हुआ था, जब सत्ता में ममता बनर्जी थीं।

ममता बनर्जी के शासन में अब पश्चिम बंगाल में हालात ठीक नहीं दिख रहे हैं। अगर हालिया घटनाओं की बात करें तो शिक्षा भर्ती घोटाला, टीएमसी के भीतर चल रही अंदरूनी कलह( West Bengal Election) और अब सड़कों पर कानून के खिलाफ बढ़ती हिंसा, ये सब संकेत दे रहे हैं कि ममता की पकड़ कमजोर हो रही है। बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले ही उनके खिलाफ एक माहौल बनता हुआ दिखाई दे रहा है, और आक्रोश की लहर बड़े वर्ग में साफ झलक रही है।

ममता सरकार की बढ़ती मुश्किलें

शिक्षा भर्ती घोटाले में ममता सरकार की जो किरकिरी हुई है, वह उनकी मुश्किलें और बढ़ाने वाली है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लोकप्रियता को करारा झटका दे रही हैं। जिस तरीके से सीधे-सीधे 26 हजार शिक्षकों की नौकरी चली गई, उससे बंगाल में टीएमसी सरकार पर दबाव और बढ़ा है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यह विवाद सिर्फ इन 26 हजार शिक्षकों तक सीमित नहीं है, क्योंकि इन शिक्षकों के परिवार भी उनकी आजीविका पर निर्भर हैं।

ऐसे में बंगाल का एक बड़ा वर्ग इस समय आक्रोशित है। SSC स्कैम की बात करें तो यह केस पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की ओर से आयोजित 2016 की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता से जुड़ा हुआ है। ऐसे आरोप लगे हैं कि बड़े मामले नियुक्तियों के दौरान धांधली हुई। ऊपर से लेकर नीचे तक कई स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ, पक्षपात के जरिए करीबियों को नौकरी दी गई। यहां भी सबड़े बड़ा खेल मेरिट लिस्ट में हुआ जिसमें कम अंक वालों को नौकरी मिली और ज्यादा अंक वालों को नहीं। साल 2022 में इस केस में सीबीआई की एंट्री हुई और ममता के करीबी पार्थ चटर्जी से पूछताछ शुरू हुई।

टीएमसी में बढ़ती अंदरूनी कलह

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी की प्रमुख के लिए एक चुनौती अपनी खुद की पार्टी को संभालना भी बन गया है। पहले ऐसा कहा जाता था कि ममता का अपनी पार्टी पर पूरा कंट्रोल है, उनका सख्त अंदाज ऐसा रहता कि कार्यकर्ता भी उनसे सहम जाते थे। कई बार तो पब्लिक में जिस तरह से उन्होंने अपने ही पार्टी कार्यकर्ताओं को फटकार लगाई, वो देखते ही बनता था। लेकिन ये सारी बातें अब पुरानी हो चुकी हैं, अब की टीएमसी अंदरूनी झगड़ों से जूझ रही है, खुद ममता बनर्जी स्थिति को कंट्रोल में नहीं कर पा रही हैं। कई मामलों में उनकी चुप्पी ने भी ऐसे विवादों को और ज्यादा हवा देने का काम किया है।

बीजेपी के लिए आपदा में अवसर

अभी के लिए इस हिंसा को कोई रोकना नहीं चाहता है, प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी को भी आपदा में अवसर दिखाई दे रहा है। ममता के खिलाफ पैदा हो रहा यह आक्रोश ही बीजेपी को अपनी सत्ता वापसी का एक मौका दिखाई देता है। इसी वजह से पार्टी हिंदुत्व की लाइन पर और ज्यादा मजबूती से आगे बढ़ रही है, संघ का साथ भी उसे पूरा मिला रहा है। इसके ऊपर तुष्टीकरण के आरोप लगा बड़े स्तर पर ध्रुवीकरण का प्रयास भी दिखाई दे रहा है। यानी कि बंगाल में कितनी भी हिंसा हो, भ्रष्टाचार हो, लेकिन असल समाधान से ज्यादा उन पर सियासी रोटियां सेकने का काम होने वाला है। वैसे सियासी रोटियां तो बीजेपी की तरफ से सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी सेकी हैं। ममता बनर्जी को घेरते हुए उन्होंने जोरदार भाषण दिया है।

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