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पश्चिम बंगाल चुनाव में जीत के लिए BJP की नई रणनीति बनी ममता बनर्जी के लिए संकट

राम नवमी के दौरान बीजेपी ने पूरे पश्चिम बंगाल में विशाल जुलूसों और शोभायात्राओं का आयोजन किया, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। बीजेपी और उसके सहयोगी संगठन इस अवसर का उपयोग हिंदू वोटरों को एकजुट करने के लिए कर रहे हैं।
07:11 PM Apr 06, 2025 IST | Sunil Sharma

2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार के बाद यह लगा था कि पार्टी इस राज्य पर अपना ध्यान कम कर देगी। लेकिन दिल्ली में अपनी जीत के बाद बीजेपी ने बंगाल में फिर से पूरी ताकत से कूदने की योजना बनाई है। हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था, "दिल्ली जीत लिया, अब बंगाल भी जीतेंगे।" और अब रामनवमी के दौरान बीजेपी ने जो कदम उठाए हैं, वह ममता बनर्जी के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं। बीजेपी नेताओं ने खुलेआम '70% हिंदू राम की सेना' का नारा देना शुरू कर दिया है, और आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) भी अब बंगाल में हिंदू एकता की बात कर रहे हैं। तो, आखिरकार क्या है वो कारण जो बीजेपी को बंगाल में जीत की उम्मीद दे रहे हैं? आइए समझते हैं।

पश्चिम बंगाल में भाजपा ने चलाया हिंदू एकता अभियान

राम नवमी के दौरान बीजेपी ने पूरे पश्चिम बंगाल में विशाल जुलूसों और शोभायात्राओं का आयोजन किया, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। बीजेपी और उसके सहयोगी संगठन इस अवसर का उपयोग हिंदू वोटरों को एकजुट करने के लिए कर रहे हैं। बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष, सुकांता मजूमदार ने दावा किया कि राज्य सरकार हिंदू त्योहारों को दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में 70% हिंदू आबादी है, फिर भी हमें अपने त्योहारों के लिए कोर्ट का सहारा लेना पड़ता है। बीजेपी, आरएसएस और वीएचपी के संयुक्त प्रयासों से 2000 से ज्यादा शोभायात्राएं निकाली गईं, और शुभेंदु अधिकारी ने यह दावा किया कि इस बार एक करोड़ से ज्यादा लोग सड़कों पर उतरे। यह हिंदू वोटरों के ध्रुवीकरण की दिशा में एक अहम कदम है, जो ममता बनर्जी के लिए परेशानी बढ़ा सकता है।

हिंदू वोटरों के सहारे चुनाव जीतने की रणनीति बनाने में जुटी भाजपा

पश्चिम बंगाल की जनसंख्या में हिंदू वोटरों का हिस्सा करीब 70% है, जबकि मुस्लिम आबादी लगभग 27% है। 2021 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 38.15% वोट मिले थे और 77 सीटें जीती थीं। वहीं, ममता की टीएमसी ने 48% वोट के साथ 215 सीटों पर कब्जा जमाया। इस वोट शेयर में करीब 10% का अंतर था। बीजेपी का मानना है कि अगर वह हिंदू वोटरों का अतिरिक्त 5-7% वोट अपने पक्ष में लाती है, तो खेल पलट सकता है।

विश्व हिंदू परिषद और RSS ने भी दिया समर्थन

विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेता आलोक कुमार ने बीजेपी के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि बंगाल और तमिलनाडु जैसी सरकारें हिंदुओं को परेशान कर रही हैं। उन्होंने टीएमसी सरकार पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को वोटर और राशन कार्ड देने का आरोप लगाया, जबकि हिंदुओं के अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। इस बयान से हिंदू वोटरों को बीजेपी के पक्ष में ध्रुवीकृत करने में मदद मिल रही है। आरएसएस ने भी बंगाल में 2026 तक अपनी रणनीति तैयार करने का निर्देश दिया है। आरएसएस के संगठनात्मक ढांचे और जमीनी स्तर पर काम से बीजेपी को वोट जुटाने में मदद मिल सकती है। आरएसएस प्रमुख भी बंगाल में कैंप करने जा रहे हैं, जिससे साफ है कि हिंदुत्व का मुद्दा पार्टी की रणनीति का अहम हिस्सा बनने जा रहा है।

ऐसे बदल सकता है चुनावी खेल

अगर बीजेपी 5-7% अतिरिक्त हिंदू वोट हासिल करने में सफल होती है, तो उसका वोट शेयर 43-45% तक पहुंच सकता है। वहीं, अगर टीएमसी का वोट शेयर घटकर 43% के आसपास आता है, तो बीजेपी बहुमत के करीब पहुंच सकती है। बंगाल की 294 सीटों वाली विधानसभा में 148 सीटों का आंकड़ा पार करना बीजेपी के लिए आसान हो सकता है, लेकिन इसके लिए हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण और टीएमसी के पारंपरिक वोट बैंक में सेंधमारी करना जरूरी होगा।

चुनाव जीतने के लिए भाजपा की ग्रामीण इलाकों पर नजर

बीजेपी इस बार अपने अभियान में आरएसएस और वीएचपी के सहयोग से ग्रामीण इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है। विशेष रूप से उत्तरी बंगाल और जंगलमहल जैसे क्षेत्रों में, जहां पहले से ही उसका प्रभाव है, पार्टी अपनी स्थिति मजबूत करने में लगी है। ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टीकरण और घुसपैठ को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर बीजेपी हिंदू वोटरों में असंतोष फैलाने की कोशिश कर रही है। ममता बनर्जी के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है। टीएमसी का मुख्य आधार मुस्लिम वोट बैंक और ग्रामीण हिंदू वोटर रहे हैं। यदि बीजेपी हिंदू वोटों को एकजुट करने में सफल होती है, तो टीएमसी का वोट बैंक प्रभावित हो सकता है। हालांकि ममता ने हिंदू कार्ड भी खेलने की कोशिश की है, जैसे दुर्गा पूजा समितियों को अनुदान देना, लेकिन बीजेपी इसे नाकाफी मान रही है।

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