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वक्फ बिल पर सरकार का मास्टरस्ट्रोक, अमित शाह बोले...विपक्ष चाहे जो करे, विधेयक इसी सत्र में आएगा!

भारतीय संसद में विधायी प्रक्रियाओं और नीतिगत सुधारों को लेकर हमेशा से तीखी बहस होती रही है। जब कोई विधेयक राष्ट्रीय हितों...
12:45 PM Mar 29, 2025 IST | Rajesh Singhal

Waqf Bill: भारतीय संसद में विधायी प्रक्रियाओं और नीतिगत सुधारों को लेकर हमेशा से तीखी बहस होती रही है। जब कोई विधेयक राष्ट्रीय हितों, सामाजिक संतुलन और राजनीतिक रणनीतियों से जुड़ा होता है, तो उसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इसी कड़ी में वक्फ (संशोधन) विधेयक एक महत्वपूर्ण विधायी प्रस्ताव के रूप में उभर कर सामने आया है, जिस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सियासी संग्राम तेज हो गया है। सरकार इसे तुष्टिकरण की राजनीति से अलग हटकर समान अधिकारों और कानूनी सुधारों की दिशा में एक ठोस कदम बता रही है, जबकि विपक्ष इसे लेकर लगातार विरोध जता रहा है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक को संसद के मौजूदा बजट सत्र में फिर से पेश किया जाएगा। चूंकि यह सत्र 4 अप्रैल तक चलेगा,(Waqf Bill) ऐसे में सरकार के पास सीमित कार्य दिवस बचे हैं, लेकिन अमित शाह के इस बयान से साफ हो गया है कि सरकार इसे जल्द से जल्द सदन में लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस विधेयक को पिछले वर्ष अगस्त 2024 में मानसून सत्र के दौरान संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया था, जिसके बाद अब इसे अंतिम रूप देकर संसद में पेश करने की तैयारी हो चुकी है। सरकार का दावा है कि यह संशोधन कानूनी स्पष्टता और पारदर्शिता लाने के लिए किया जा रहा है, जबकि विपक्ष इसे लेकर अपना विरोध दर्ज कराता आ रहा है।

संविधान के दायरे में रहेगा नया वक्फ विधेयक

एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार संविधान के दायरे में रहकर वक्फ अधिनियम में संशोधन कर रही है, जिससे किसी के अधिकारों का हनन नहीं होगा। उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी ने वक्फ अधिनियम में ऐसे नियम जोड़े, जो संविधान की भावना के अनुरूप नहीं थे। शाह ने स्पष्ट किया कि सरकार विधेयक को पारदर्शी बनाने के लिए आवश्यक संशोधन कर रही है ताकि भविष्य में कोई भी इसे मनमाने तरीके से इस्तेमाल न कर सके।

लेकिन कानूनी प्रक्रिया का पालन करें..

विपक्षी दलों और कुछ संगठनों द्वारा विधेयक के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों को लेकर अमित शाह ने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन अगर किसी को इस विधेयक पर आपत्ति है, तो वे अदालत में इसे चुनौती दे सकते हैं। शाह ने स्पष्ट किया कि किसी भी विवाद को सड़कों पर नहीं, बल्कि कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए।

‘संविधान की भावना से ऊपर नहीं हो सकता कोई विधेयक’

अमित शाह ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कोई भी विधेयक संविधान से ऊपर नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, हम इसे ऐसा बना रहे हैं कि इसके फैसलों को अदालतों में चुनौती दी जा सके। उन्होंने विपक्ष को घेरते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस कानून में ऐसे प्रावधान डाले, जिससे पारदर्शिता खत्म हो गई थी।

वक्फ संपत्तियों की घोषणा पर सरकार सख्त..

अमित शाह ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड ने दिल्ली में 123 प्रमुख स्थानों को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है। उन्होंने प्रयागराज के ऐतिहासिक चंद्रशेखर आजाद पार्क का जिक्र करते हुए कहा कि जिस स्थान पर चंद्रशेखर आजाद ने बलिदान दिया था, उसे भी वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि सरकार इस पर गंभीरता से जांच कर रही है और यह देखा जा रहा है कि किन परिस्थितियों में इन स्थानों को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया। शाह ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में किसी भी तरह की अनियमितता नहीं होने दी जाएगी।

विपक्ष का विरोध और सरकार का जवाब

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विपक्षी दलों ने संसद और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है। कांग्रेस, एआईएमआईएम और कुछ अन्य दल इसे मुसलमानों के खिलाफ बताया जा रहा है। हालांकि, सरकार ने साफ कर दिया है कि इस विधेयक से किसी भी समुदाय के अधिकारों का हनन नहीं होगा।

अमित शाह ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि “कुछ दल इसे गलत तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि इसे लेकर गलतफहमी फैलाई जा सके। लेकिन सच्चाई यह है कि यह विधेयक पारदर्शिता और समानता लाने के लिए लाया जा रहा है।”

क्या है वक्फ (संशोधन) विधेयक और क्यों हो रहा है विरोध?

वक्फ अधिनियम एक ऐसा कानून है जो मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों के प्रबंधन को नियंत्रित करता है। इस अधिनियम के तहत वक्फ बोर्ड को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं, जिससे वह संपत्तियों को अधिग्रहित कर सकता है और उनका प्रबंधन कर सकता है।

संशोधित विधेयक में सरकार ने कुछ ऐसे प्रावधान जोड़े हैं, जिससे...वक्फ बोर्ड की संपत्ति अधिग्रहण की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जा सके। कोई भी संपत्ति मनमाने तरीके से वक्फ घोषित न हो। किसी भी संपत्ति विवाद को न्यायिक समीक्षा के दायरे में लाया जाए। विपक्ष इसे सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताया जा रहा है। हालांकि, शाह ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि यह कानून किसी भी समुदाय के अधिकारों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।

क्या होगा आगे?

सरकार संसद के मौजूदा बजट सत्र में इस विधेयक को दोबारा पेश करने की तैयारी में है। 4 अप्रैल तक चलने वाले इस सत्र में इस विधेयक को पास कराने के लिए सरकार को विपक्ष के कड़े विरोध का सामना करना पड़ेगा। अब देखना यह है कि क्या सरकार अपने मजबूत रुख पर कायम रह पाएगी, या फिर विपक्ष के दबाव में इसमें कोई बदलाव किया जाएगा।

क्या यह विधेयक भारतीय राजनीति में एक नए विवाद की शुरुआत करेगा? या फिर सरकार इसे बिना किसी संशोधन के पास करा लेगी? आने वाले दिनों में इस पर बड़ा फैसला हो सकता है।

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