दिव्यांग' डॉक्टर ने नहीं किया स्वागत, मंत्री जी का पारा चढ़ा! बोले..."जंगल में ट्रांसफर कर दो
UP News: उत्तर प्रदेश के मंत्री संजीव गोंड एक अस्पताल के उद्घाटन कार्यक्रम में पहुंचे थे, लेकिन उनका स्वागत न होने से नाराज हो गए। यह नाराजगी उस वक्त भड़की जब एक शारीरिक रूप से दिव्यांग डॉक्टर, जो उस समय एक मरीज का इलाज कर रहे थे, मंत्री के स्वागत के लिए नहीं आए। मंत्री ने डॉक्टर की व्यस्तता की दलील को नजरअंदाज करते हुए इसे "अव्यवहारिकता" बताया और तुरंत आदेश दे दिया कि डॉक्टर को उनके विधानसभा क्षेत्र से बाहर, "किसी जंगल में" ट्रांसफर कर दिया जाए। मंत्री के इस रवैये को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं।
यहां मेन व्यक्ति कौन है?
समाज कल्याण और अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण राज्य मंत्री गोंड अपने निर्वाचन क्षेत्र ओबरा के डिबुलगंज में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सोलर एनर्जी प्लांट का उद्घाटन करने पहुंचे, तो उनके समर्थकों और कुछ दूसरे लोगों ने उनका स्वागत किया, लेकिन चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रवि सिंह ने उनका स्वागत नहीं किया। मंत्री ने अस्पताल में प्रवेश किया, पूछा कि "मेन" आदमी कौन है, और फिर सोनभद्र के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को फोन मिलाया।
वीडियो में गोंड को एक टेबल पर बैठे हुए दिखाया गया है, उनके सामने डॉ. सिंह और उनके आस-पास अन्य लोग बैठे हैं। मंत्री ने डॉक्टर से पूछा कि उन्होंने मास्क क्यों पहना हुआ है, उन्होंने इशारा किया कि आस-पास तो कोई भी मरीज नहीं है। इस पर डॉ. सिंह ने जवाब दिया, "ये आप नहीं बता सकते"।
इसके बाद गोंड को CMO को कॉल करते हुए देखा जा सकता है, उन्होंने कहा, "यहां मेन व्यक्ति कौन है? आपने उसे यहां क्यों रखा है? क्या कोई और नहीं है? उसका व्यवहार ठीक नहीं है, क्योंकि मैं अस्पताल आया था और वह नहीं जानता कि लोगों से कैसे मिलना है।"
डॉ. सिंह बीच में बोलते हैं और कहते हैं कि वे मंत्री से मिलने गए थे, लेकिन गोंड कहते हैं, "उन्हें बाहर भेज दीजिए... किसी जंगल में... आप मेरे निर्वाचन क्षेत्र में ऐसे लोगों को क्यों रखते हैं? उन्हें कहीं और भेज दीजिए... उन्हें लोगों से बात करना नहीं आता। हो सकता है कि वे मरीजों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करते हों।" डॉक्टर फिर से बोलते हैं और जोर देते हैं कि वे किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं करते।
'कर्मचारियों का स्वागत किया गया'
अस्पताल के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए गोंड ने कहा कि डॉक्टर को पता नहीं था कि वे आ रहे हैं। मंत्री ने कहा, "डिबुलगंज में एक पुराना अस्पताल है। डॉक्टर को पता नहीं था कि मैं आ रहा हूं। मुझे नहीं लगता कि उन्हें पता था, क्योंकि अगर उन्हें पता होता तो उनका व्यवहार सही होता... लेकिन मेरे कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया... मैं समय पर पहुंच गया।
मंत्री को बर्खास्त...
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि डॉक्टर सिर्फ अपना काम कर रहे थे और मरीजों को प्राथमिकता दे रहे थे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने लोगों की भलाई से ज्यादा प्रोटोकॉल को तरजीह दी है। कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा, "चिकित्सा अधीक्षक मरीजों को प्राथमिकता दे रहे थे और मंत्री जी नाराज हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार और उसके मंत्री लोगों के स्वास्थ्य से ज्यादा प्रोटोकॉल की परवाह करते हैं। मंत्री जी एक ऐसे डॉक्टर के तबादले की मांग कर रहे हैं, जो अपना काम पूरी लगन से कर रहा है। ऐसे मंत्री को बर्खास्त कर देना चाहिए।"
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