पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा पर गरजे सुवेंदु अधिकारी, बोले– 'अब योगी मॉडल की जरूरत है'
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में हुए प्रदर्शन ने देखते ही देखते हिंसक रूप ले लिया। इस घटना ने राज्य की कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। इसी मुद्दे पर बीजेपी नेता और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने ममता सरकार को घेरते हुए बड़ा बयान दिया है।
सुवेंदु ने कहा, "बंगाल को योगी जैसे मुख्यमंत्री की जरूरत है"
सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि बंगाल अब उस मोड़ पर आ गया है जहां उसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। उनका कहना है कि अगर बंगाल में बीजेपी की सरकार बनती है, तो यहां भी 'योगी मॉडल' लागू किया जाएगा – मतलब दंगाई, उपद्रवी और अपराधियों को सीधे-सीधे जवाब मिलेगा।
हर दंगाई को देंगे योगी वाली दवा
कोलकाता में बीजेपी के प्रदर्शन के दौरान सुवेंदु अधिकारी ने तीखे शब्दों में कहा, "पश्चिम बंगाल की मौजूदा सरकार के दिन अब गिने-चुने बचे हैं। हिंदू समाज एकजुट होकर बदलाव लाएगा। जब राज्य में बीजेपी की सरकार आएगी, तब हर दंगे की FIR दोबारा खोली जाएगी और हर दोषी को वही दवा दी जाएगी जो यूपी में योगी जी ने दी थी।" सुवेंदु ने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वे खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आमंत्रित करेंगे ताकि बंगाल में भी कानून का राज स्थापित हो सके।
ममता बनर्जी और मुस्लिम मौलवियों की बैठक पर तंज
ममता बनर्जी की मुस्लिम मौलवियों के साथ बैठक पर भी सुवेंदु अधिकारी ने निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह बैठक नहीं, एक साजिश थी। ममता बनर्जी इन मौलवियों को दिल्ली चलो का नारा दे रही हैं, लेकिन उन्हें ये समझना चाहिए कि दिल्ली पहुंचने के लिए उत्तर प्रदेश से गुजरना पड़ेगा – और वहां योगी आदित्यनाथ हैं। वहां बंगाल जैसी ढील नहीं मिलेगी। सुवेंदु का आरोप है कि ममता सरकार दंगाइयों को राजनीतिक संरक्षण दे रही है, जबकि बीएसएफ और केंद्रीय एजेंसियां राज्य में गोरक्षा और मानव तस्करी रोकने में लगी हुई हैं।
क्यों बार-बार 'योगी मॉडल' की बात कर रहे हैं बीजेपी नेता?
दरअसल, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जिस तरह अपराधियों पर शिकंजा कसा है, वह अब बीजेपी के लिए एक 'लॉ एंड ऑर्डर' ब्रांड बन चुका है। सुवेंदु अधिकारी इसी मॉडल को बंगाल में लागू करने की बात कहकर न सिर्फ ममता सरकार की विफलता को उजागर कर रहे हैं, बल्कि चुनावी रणनीति भी साफ कर रहे हैं – सख्त प्रशासन और हिंदू वोट बैंक की गोलबंदी।
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