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सीताराम येचुरी: कहानी उस कॉमरेड नेता की जिसने इंदिरा गांधी को दे दिया था इस्तीफे का अल्टीमेटम

sitaram yechury death: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी (sitaram yechury ) का निधन हो गया। वे 72 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका इलाज...
06:28 PM Sep 12, 2024 IST | Vibhav Shukla

sitaram yechury death: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी (sitaram yechury ) का निधन हो गया। वे 72 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहां कृत्रिम श्वसन प्रणाली पर होने के बावजूद उनकी सेहत में सुधार नहीं हुआ। सीताराम येचुरी को एक्यूट रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के कारण 19 अगस्त को एम्स में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत गंभीर होने के कारण वे अस्पताल में ही अपना अंतिम समय बिताते रहे और गुरुवार को उनकी मौत हो गई।

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के प्रमुख के रूप में येचुरी ने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तेलंगाना आंदोलन के माध्यम से राजनीति में कदम रखने वाले येचुरी को आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी के खिलाफ उनकी सक्रिय भूमिका के लिए जाना जाता है।

इंदिरा गांधी को दे दिया था इस्तीफे का अल्टीमेटम

1952 में आंध्र प्रदेश के काकानीडा में जन्मे सीताराम येचुरी का पालन-पोषण चेन्नई में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद में हुई और छात्र जीवन में ही वे तेलंगाना आंदोलन से जुड़ गए। 1969 तक वे इस आंदोलन में सक्रिय रहे, हालांकि 1970 में दिल्ली आकर उन्होंने इस आंदोलन से अलग हो गए। तेलंगाना आंदोलन का उद्देश्य आंध्र प्रदेश से तेलंगाना को अलग करना था, जो 2013 में सफल हुआ।

25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की। उस समय येचुरी जेएनयू में पढ़ाई कर रहे थे और आपातकाल का विरोध करने के लिए उन्होंने संयुक्त स्टूडेंट्स फेडरेशन का गठन किया। इसके तहत, येचुरी ने इंदिरा गांधी के घर तक मोर्चा निकाला और इंदिरा गांधी को जेएनयू के कुलाधिपति पद से इस्तीफा देने का अल्टीमेटम दिया।

एक इंटरव्यू में येचुरी ने कहा था कि वह प्रधानमंत्री के आवास के गेट पर उनके इस्तीफे की मांग करते हुए ज्ञापन चिपकाने के इरादे से गए थे और जब उन्हें अंदर बुलाया गया तथा इंदिरा गांधी स्वयं उनसे मिलने आईं तो वह आश्चर्यचकित रह गए।

इंदिरा ने जब विरोध का कारण पूछा तो येचुरी ज्ञापन पढ़ने लगे। उन्होंने अपने ज्ञापन में लिखा था कि एक तानाशाह को यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति के पद पर नहीं रहना चाहिए। आपातकाल के दौरान इंदिरा जेएनयू में एक कार्यक्रम करना चाहती थी, लेकिन मामला इतना बढ़ गया कि इंदिरा को अपने कदम पीछे खिचने पड़े।

इस विरोध के कारण इंदिरा गांधी ने जेएनयू के कुलाधिपति पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद, येचुरी को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें उसी जेल में रखा गया जहाँ अरुण जेटली भी थे।

सीपीएम में अहम भूमिका

1978 में सीताराम येचुरी को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की छात्र इकाई स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) का संयुक्त सचिव बनाया गया और 1984 में उन्हें इस संगठन का अध्यक्ष चुना गया। येचुरी एसएफआई के पहले अध्यक्ष थे जो बंगाल और केरल के बाहर से थे। उन्होंने एसएफआई का विस्तार बंगाल और केरल के बाहर किया और 1992 में सीपीएम के पोलित ब्यूरो में शामिल हुए।

Sitaram Yechury Death

यूपीए के गठन में योगदान

2004 में एनडीए के खिलाफ संयुक्त विपक्षी मोर्चा बनाने में सीताराम येचुरी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने तत्कालीन सीपीएम महासचिव एबी बर्धन के साथ मिलकर विभिन्न दलों को एक साथ लाने का काम किया। यूपीए के गठन और इसके कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की तैयारी में भी येचुरी ने अहम भूमिका अदा की।

2015  में बने सीपीएम के महासचिव

2015 में सीताराम येचुरी को सीपीएम का महासचिव बनाया गया। हालांकि, उनकी अगुवाई में सीपीएम को खास सफलता नहीं मिली। उनके द्वारा किए गए प्रयोग जैसे कांग्रेस के साथ गठबंधन और जाति व धर्म की राजनीति को नजरअंदाज करना, पार्टी को ज्यादा फायदा नहीं पहुंचा। 2019 के लोकसभा चुनाव में सीपीएम को केवल 4 सीटें मिलीं और पार्टी को देशभर में सिर्फ 1.76 प्रतिशत वोट मिले।

सीताराम येचुरी और उनका बेटा आशीष येचुरी

कोरोना काल में खो दिया बेटा

सीताराम येचुरी का बेटा आशीष येचुरी का 2021 में कोरोना वायरस से निधन हो गया। उनके परिवार में पत्नी सीमा चिश्ती और बेटी अखिला येचुरी शामिल हैं। सीमा चिश्ती भारत की वरिष्ठ पत्रकार हैं और सीताराम येचुरी से उनकी दूसरी शादी हुई थी। पहली शादी इंद्राणी मजूमदार से हुई थी, जिनसे बाद में तलाक हो गया था।

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