राहुल गांधी का मिशन गुजरात: कांग्रेस में फूंकेंगे नई जान, 'संगठन सृजन अभियान' का होगा आगाज़
कांग्रेस गुजरात की सत्ता से तीन दशक से बाहर है, जोकि अब नए जोश के साथ मैदान में उतरने को तैयार है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी 15 अप्रैल 2025 को गुजरात के मोडासा से 'संगठन सृजन अभियान' की शुरुआत करने जा रहे हैं। उनका मकसद है कि पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करना, कार्यकर्ताओं में जान फूँकना और 2027 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के गढ़ को चुनौती देना। वहीं राहुल का ये दौरा सिर्फ़ एक मुलाकात नहीं, बल्कि कांग्रेस को नई शक्ल देने का ब्लूप्रिंट है। आखिर क्या है उनका प्लान? क्यों चुना गया गुजरात? और कैसे बदलेगी कांग्रेस की तस्वीर? आइए, इस कहानी को सरल अंदाज़ में समझते हैं।
क्या है 'संगठन सृजन अभियान'?
दरअसल राहुल गांधी का ये अभियान कांग्रेस को जड़ों से मजबूत करने की कोशिश है। गुजरात में पार्टी की हालत काफ़ी पतली है। 2022 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ़ 17 सीटें और 2024 के लोकसभा चुनाव में केवल एक सीट! राहुल मानते हैं कि कमज़ोर संगठन इस हार की सबसे बड़ी वजह है। इसलिए, अब फोकस जिला कांग्रेस कमेटियों (DCC) को ताकतवर बनाने पर है।
15 अप्रैल को मोडासा में राहुल एक खास बैठक से इसकी शुरुआत करेंगे। यहाँ वे 43 AICC और 183 PCC पर्यवेक्षकों से मुलाकात करेंगे, जिन्हें DCC अध्यक्षों के चयन का ज़िम्मा दिया गया है। इन अध्यक्षों को न सिर्फ़ सशक्त किया जाएगा, बल्कि उन्हें उम्मीदवारों के चयन में भी बड़ी भूमिका दी जाएगी। AICC महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, "हमारा पहला लक्ष्य DCC को मज़बूत करना और जवाबदेही की नई व्यवस्था लाना है। ये सिर्फ़ शुरुआत है!"
गुजरात ही क्यों चुना?
दअरसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की कर्मभूमि होने के साथ ही गुजरात बीजेपी का गढ़ है। यहाँ कांग्रेस का पुनर्जनम आसान नहीं, लेकिन राहुल इसे चुनौती के तौर पर देख रहे हैं। मार्च 2025 में अपने दौरे के दौरान उन्होंने कहा था कि गुजरात में बीजेपी को हराएँगे, ये लिख लीजिए।" अब अप्रैल में उनका दोबारा दौरा इस बात का सबूत है कि वे इसे गंभीरता से ले रहे हैं।
बता दें कि 8-9 अप्रैल को अहमदाबाद में हुए AICC अधिवेशन में पार्टी ने गुजरात को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना। इस अधिवेशन में मल्लिकार्जुन खड़गे ने 2025 को 'संगठन सुधार का साल' घोषित किया। राहुल ने वहाँ साफ कहा, "DCC हमारे संगठन की रीढ़ होगी।" गुजरात में अगर ये प्रयोग कामयाब रहा, तो इसे मध्य प्रदेश और बाकी राज्यों में भी लागू किया जाएगा।
राहुल का मास्टरप्लान: कांग्रेस में क्या-क्या बदलेगा?
जमीनी नेताओं को ताकत: DCC अध्यक्षों को अब सिर्फ़ नाम का पद नहीं मिलेगा। वे उम्मीदवार चुनने, स्थानीय मुद्दे उठाने और संगठन चलाने में अहम भूमिका निभाएँगे। खड़गे ने कहा, "DCC अध्यक्ष जवाबदेह होंगे, लेकिन उनके पास अधिकार भी होंगे।"
'बीजेपी की बी-टीम' पर नकेल: राहुल ने मार्च में गुजरात के नेताओं को चेतावनी दी थी कि जो लोग बीजेपी से साँठ-गाँठ रखते हैं, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। उन्होंने कहा, "चाहे 30-40 लोगों को निकालना पड़े, हम तैयार हैं।" मोडासा में वे इस 'सफाई अभियान' को और तेज़ करेंगे।
युवा और विचारधारा पर ज़ोर: नए DCC अध्यक्षों के चयन में युवा चेहरों और कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े लोगों को तरजीह दी जाएगी। राहुल चाहते हैं कि कार्यकर्ता सड़कों पर उतरें और जनता के मुद्दों को उठाएँ।
स्थानीय मुद्दों का हथियार: बेरोज़गारी, महँगाई, और किसानों की समस्याएँ—राहुल ने गुजरात में इन्हें आक्रामक तरीके से उठाने का प्लान बनाया है। वे चाहते हैं कि कांग्रेस गुजरातियों को एक नया 'विज़न' दे।
मोडासा से शुरूआत क्यों की?
बता दें कि मोडासा, अरावली ज़िले का एक छोटा-सा शहर, इस अभियान का पहला पड़ाव है। ये इलाका आदिवासी और ग्रामीण आबादी का गढ़ है, जहाँ कांग्रेस को मज़बूत आधार चाहिए। राहुल यहाँ कार्यकर्ताओं और पर्यवेक्षकों से सीधा संवाद करेंगे। X पर एक यूज़र ने लिखा, "मोडासा से शुरूआत साफ़ बताती है कि राहुल गाँव-गाँव तक कांग्रेस को ले जाना चाहते हैं।"
Hon’ble INC President Shri Mallikarjun @kharge ji has said that 2025 is the year of organisational reforms.
Today and tomorrow, Shri Rahul Gandhi will be in Gujarat to kick start this process. He will be launching the INC’s संगठन सृजन अभियान in Modasa, Aravalli district. The…
— K C Venugopal (@kcvenugopalmp) April 15, 2025
लेकिन...मुश्किलें अब भी कम नहीं
राहुल का ये प्लान जितना जोशीला है, उतना ही मुश्किल भी। गुजरात में बीजेपी की मज़बूत पकड़, स्थानीय नेताओं की आपसी फूट, और कार्यकर्ताओं का हतोत्साह—ये सब राहुल के सामने दीवार की तरह हैं। मार्च में उन्होंने कहा था, "गुजरात में 40% वोट हमारे पास है। बस 5% और चाहिए।" लेकिन ये 5% हासिल करना आसान नहीं। X पर कुछ लोगों का मानना है कि "राहुल के बयान तो बड़े हैं, लेकिन ज़मीन पर कितना असर होगा, ये देखना बाकी है।"
क्या कांग्रेस के संगठन को नई धार मिलेगी?
मोडासा की बैठक कांग्रेस के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हो सकती है। अगर DCC को सही ताकत मिली, तो पार्टी गाँव-शहर तक अपनी आवाज़ पहुँचा सकती है। बता दें कि राहुल का बार-बार गुजरात आना कार्यकर्ताओं में जोश भर रहा है। लेकिन सवाल ये है—क्या ये जोश 2027 में वोटों में बदलेगा? बीजेपी ने इसे हल्के में लिया है। एक बीजेपी नेता ने X पर तंज कसा, "राहुल कितने भी दौरे कर लें, गुजरात का दिल बीजेपी के साथ है।"
फिर भी, राहुल का 'संगठन सृजन अभियान' एक नई शुरुआत है। गुजरात में अगर ये कामयाब रहा, तो कांग्रेस को न सिर्फ़ यहाँ, बल्कि पूरे देश में नई ताकत मिल सकती है। क्या राहुल का ये दाँव चलेगा, या ये सिर्फ़ एक और कोशिश बनकर रह जाएगा? जवाब के लिए नज़रें मोडासा पर टिकी हैं।
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