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निशिकांत दुबे के ‘कोर्ट बनाम धर्म’ बयान से सियासी हलचल तेज, BJP ने झाड़ा पल्ला – जानिए कौन क्या बोला?

BJP सांसद निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट पर बयान से विवाद, कांग्रेस-AAP-AIMIM ने किया विरोध, नड्डा बोले—पार्टी न्यायपालिका का करती है सम्मान।
10:47 AM Apr 20, 2025 IST | Rohit Agrawal

Nishikant Dubey Supreme Court statement controversy: झारखंड के गोड्डा से BJP सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर गंभीर आरोप लगाकर सियासी तूफान खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट “धार्मिक युद्ध भड़काने” और देश को “अराजकता” की ओर ले जाने का जिम्मेदार है। बता दें कि यह बयान वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच आया। वहीं मामले को बढ़ता देख BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बयान से किनारा कर लिया, जबकि कांग्रेस, AAP, और AIMIM ने इसे न्यायपालिका पर हमला बताते हुए दुबे को आड़े हाथ लिया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बाद दुबे का यह बयान न्यायपालिका-विधायिका टकराव को और हवा दे रहा है। आइए, इसे सरल भाषा में विस्तार से समझते हैं...

निशिकांत दुबे ने क्या कहा?

दरअसल 19 अप्रैल 2025 को निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट को “धार्मिक युद्ध” भड़काने का जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यह संसद के बनाए कानूनों को रद्द कर अपनी सीमा लाँघ रहा है। X पर उन्होंने लिखा कि कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए। वहीं ANI से बातचीत में उन्होंने CJI संजीव खन्ना को “सिविल वॉर” का जिम्मेदार बताया और वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर कोर्ट के रुख को पक्षपातपूर्ण करार दिया। उन्होंने समलैंगिकता (धारा 377) और IT एक्ट की धारा 66A रद्द करने को सामाजिक मूल्यों के खिलाफ बताया।

 

BJP ने दुबे के बयान से झाड़ा पल्ला

BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 19 अप्रैल को X पर स्पष्ट किया कि निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा के बयान व्यक्तिगत हैं, जिनसे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं। उन्होंने कहा कि BJP न्यायपालिका का सम्मान करती है और इसके आदेशों को स्वीकार करती है। नड्डा ने नेताओं को ऐसे बयान देने से मना किया।

 

विपक्ष के एक के बाद एक तीखे प्रहार

दुबे के बयान ने विपक्ष को हमलावर होने का मौका दे दिया। जिसपर एक के बाद सियासी विस्फोट सामने आ रहे हैं। जानिए कुछ प्रमुख प्रतिक्रियाएँ:

कांग्रेस: कांग्रेस से सबसे पहले जयराम रमेश ने कहा कि BJP सुप्रीम कोर्ट को कमजोर कर रही है। वहीं सलमान खुर्शीद ने इसे “दुखद” करार देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंतिम होता है। मनीकम टैगोर ने बयान को “मानहानिकारक” करार दिया, सुप्रीम कोर्ट से संज्ञान लेने की माँग की।

AIMIM: असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि “BJP इतनी कट्टर हो गई है कि न्यायपालिका को धार्मिक युद्ध की धमकी दे रही है।” उन्होंने अनुच्छेद 142 का हवाला देकर कोर्ट की शक्ति का बचाव किया।

AAP: आप नेत्री प्रियंका कक्कड़ ने सुप्रीम कोर्ट से स्वत: संज्ञान लेकर दुबे के खिलाफ अवमानना कार्यवाही और जेल की माँग की। उन्होंने कहा कि BJP अनुकूल फैसले पर जज को राज्यसभा भेजती है, लेकिन असहमति पर कोर्ट को बदनाम करती है।

पूर्व जज: पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज अशोक गांगुली ने कहा, “भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, सुप्रीम कोर्ट संविधान की रक्षा करता है।

दुबे के बयान पर क्यों मचा हंगामा?

दुबे का बयान न्यायपालिका और विधायिका के बीच तनाव को उजागर करता है। BJP समर्थक कोर्ट के फैसलों को “मुस्लिम तुष्टिकरण” से जोड़ रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे संविधान की रक्षा मानता है। विपक्ष का कहना है कि BJP इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे मामलों में कोर्ट की रोक से बौखलाई है।

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