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New Delhi Railway Station Stampede: हादसा नहीं नरसंहार ?..NDLS भगदड़ पर कांग्रेस का तीखा प्रहार

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा, सुप्रिया श्रीनेत ने इसे 'नरसंहार' बताया, प्रियंका चतुर्वेदी ने रेलवे को ठहराया जिम्मेदार।
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New Delhi Railway Station Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुई भगदड़ में अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 12 लोग गंभीर रूप से घायल हैं। इस घटना के बाद से ही राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने मोदी सरकार और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इसे हादसा नहीं, बल्कि "नरसंहार" करार देते हुए सरकार पर आंकड़े छिपाने का आरोप लगाया है।

रेल मंत्री के इस्तीफे की मांग  

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि जब लोग भगदड़ में मर रहे थे, तब रेल मंत्री मौत के आंकड़े छिपाने में लगे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि रेल मंत्री रील बनाने में व्यस्त रहते हैं और हादसों को नजरअंदाज करते हैं। कांग्रेस ने मांग की है कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए।

"यात्री मवेशियों की तरह घूम रहे हैं" : प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना UBT)

शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी सरकार को घेरते हुए कहा कि भारतीय रेलवे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल हो रहा है। उन्होंने कहा, "हम किराए में वृद्धि और बुनियादी ट्रेनों में कमी देख रहे हैं, यात्री मवेशियों की तरह घूम रहे हैं। सरकार कब जवाबदेही लेगी?"

भगदड़ की जांच के लिए दो सदस्यीय समिति गठित

रेलवे ने इस हादसे की जांच के लिए उत्तर रेलवे के प्रधान मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक नरसिंह देव और प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त पंकज गंगवार की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति का गठन किया है। यह समिति सभी वीडियो फुटेज की समीक्षा कर रही है और यात्रियों से भी जानकारी जुटा रही है।

क्या भीड़ नियंत्रण में हो गई बड़ी चूक?

रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, देर रात प्लेटफॉर्म नंबर 14 और 15 पर यात्रियों की भारी भीड़ जमा हो गई थी। वहीं प्रयाग जा रही ट्रेनों के प्लेटफॉर्म परिवर्तन की सूचना के बाद स्टेशन पर अफरातफरी मच गई। फुटओवर ब्रिज पर कुछ यात्री फिसल गए, जिससे भगदड़ की स्थिति बनी।

रेलवे टिकट बेचता रहा यात्री कुचले जा रहे?

वहीं सूत्रों के अनुसार, रेलवे की टिकट विंडो से हर घंटे करीब 1,500 जनरल टिकटों की बिक्री हो रही थी। इस दौरान ट्रेनें लेट थीं, जिससे यात्रियों की संख्या और बढ़ गई। अब सवाल यह उठता है कि जब रेलवे अधिकारी टिकट बेचने में व्यस्त थे तब उनका मैनेजमेंट क्या कर रहा था। जब रेलवे को पता था कि अनियंत्रित भीड़ की स्थिति बनने जा रही है, तब ऐसे हालात में अतिरिक्त सुरक्षा कर्मियों की तैनाती क्यों नहीं की गई।

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