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नेशनल हेराल्ड केस: क्या है पूरा मामला, जिसमें सोनिया-राहुल गांधी पर ईडी की चार्जशीट?

नेशनल हेराल्ड केस में ईडी ने गांधी परिवार पर चार्जशीट दायर की, 5,000 करोड़ की संपत्ति कब्जाने का आरोप। सुनवाई 25 अप्रैल को।
12:03 PM Apr 16, 2025 IST | Rohit Agrawal

नेशनल हेराल्ड केस एक बार फिर सुर्खियों में है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 9 अप्रैल 2025 को कांग्रेस की दिग्गज नेत्री सोनिया गांधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, और अन्य के खिलाफ दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। इस मामले की सुनवाई 25 अप्रैल को होगी। बता दें कि बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की 2012 की शिकायत से शुरू हुआ यह केस अब सियासी तूफान बन चुका है। कांग्रेस इसे "बदले की राजनीति" बता रही है, जबकि ED का दावा है कि इसमें 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की मनी लॉन्ड्रिंग हुई। आखिर क्या है यह नेशनल हेराल्ड केस, और क्यों गांधी परिवार की मुश्किलें बढ़ रही हैं? आइए, इसकी कहानी को सरल अंदाज में समझते हैं।

नेशनल हेराल्ड केस क्या है?

नेशनल हेराल्ड एक ऐतिहासिक अखबार है, जिसकी स्थापना 1938 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी। यह अखबार स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा था और इसे एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) चलाती थी। AJL हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज नाम से दो और अखबार भी प्रकाशित करती थी। 1956 में AJL को कंपनी एक्ट की धारा 25 के तहत गैर-लाभकारी कंपनी बनाया गया, जिसे कर में छूट मिली। लेकिन समय के साथ AJL घाटे में डूब गई। 2008 तक इस पर 90.21 करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ गया, और वित्तीय संकट के चलते इसके प्रकाशन बंद हो गए। यहीं से इस केस की जड़ें शुरू होती हैं।

वहीं 2010 में यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) नाम की एक नई कंपनी बनाई गई। इसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38% हिस्सेदारी थी (कुल 76%), बाकी 24% हिस्सा कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस (अब दोनों का निधन हो चुका है) के पास था। कांग्रेस ने AJL पर बकाया 90.21 करोड़ रुपये का कर्ज YIL को मात्र 50 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया। इसके बदले YIL ने AJL की 99% हिस्सेदारी हासिल कर ली। यानी, AJL की संपत्तियाँ—जिनका मूल्य 2,000 से 5,000 करोड़ रुपये बताया जाता है—YIL के नियंत्रण में आ गईं। इनमें दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, भोपाल, और अन्य शहरों में प्रमुख संपत्तियाँ शामिल हैं, जैसे दिल्ली का हेराल्ड हाउस।

बाद में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में आरोप लगाया कि यह सौदा धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा है। उनके मुताबिक, YIL ने "केवल 50 लाख रुपये में 2,000 करोड़ की संपत्तियाँ हथिया लीं," जो गैर-कानूनी है। स्वामी ने इसे कांग्रेस नेताओं की "आपराधिक साजिश" बताया, जिसमें सोनिया और राहुल गांधी मुख्य लाभार्थी थे।

कैसे शुरू हुआ पूरा मामला?

यह मामला 1 नवंबर 2012 को तब शुरू हुआ, जब सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली की अदालत में शिकायत दर्ज की। उन्होंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे, और सैम पित्रोदा पर धोखाधड़ी, विश्वासघात, और आपराधिक साजिश के आरोप लगाए। स्वामी का दावा था कि YIL एक "छद्म कंपनी" थी, जिसे AJL की संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए बनाया गया।

जून 2014 में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी समेत अन्य को समन जारी किया। अगस्त 2014 में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया और जांच शुरू की। 2015 में पटियाला कोर्ट ने सभी आरोपियों को जमानत दे दी, लेकिन मामला रुका नहीं। 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने जांच रोकने से इनकार कर दिया, हालाँकि आरोपियों को व्यक्तिगत पेशी से छूट दी। 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ सोनिया-राहुल की याचिका खारिज की। सुप्रीम कोर्ट ने भी 2019 में हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, जिससे जांच को हरी झंडी मिली। वहीं ED ने 2021 में इस मामले में सक्रिय जांच शुरू की। 2022 में सोनिया और राहुल से कई बार पूछताछ हुई। नवंबर 2023 में ईडी ने AJL की 751 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अटैच किया, और अप्रैल 2025 में इन पर कब्जे की प्रक्रिया शुरू की।

ईडी की चार्जशीट: क्या हैं आरोप?

9 अप्रैल 2025 को ED ने राउज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की, जिसमें सोनिया गांधी को आरोपी नंबर 1 और राहुल गांधी को आरोपी नंबर 2 बनाया गया। अन्य आरोपियों में सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, यंग इंडियन कंपनी, कोलकाता की डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड, और इसके अधिकारी सुनील भंडारी शामिल हैं। ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 3, 4, 44, 45, और 70 के तहत चार्जशीट दाखिल की है। प्रमुख आरोप इस प्रकार हैं:

1.आपराधिक साजिश: ईडी का दावा है कि सोनिया और राहुल ने YIL के जरिए AJL की 2,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों को 50 लाख रुपये में हासिल करने की साजिश रची। अब इन संपत्तियों का मूल्य 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है।

2.मनी लॉन्ड्रिंग: ईडी का कहना है कि YIL ने AJL की संपत्तियों से 988 करोड़ रुपये के "अपराध की आय" (proceeds of crime) का इस्तेमाल किया। इसमें 18 करोड़ रुपये के फर्जी दान, 38 करोड़ रुपये का अग्रिम किराया, और 29 करोड़ रुपये के फर्जी विज्ञापन शामिल हैं।

3.कंपनी का दुरुपयोग: YIL को गैर-लाभकारी कंपनी के तौर पर पंजीकृत किया गया, लेकिन ईडी का आरोप है कि इसका कोई धर्मार्थ कार्य नहीं हुआ। यह केवल AJL की संपत्तियों पर कब्जा करने का जरिया थी।

4.लाभार्थी स्वामित्व: सोनिया और राहुल की YIL में 76% हिस्सेदारी थी। मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के निधन के बाद कोई और हिस्सेदार सामने नहीं आया, जिससे सोनिया-राहुल "100% लाभार्थी" बन गए।

साथ ही Ed ने यह भी कहा कि उसने दस्तावेजी सबूत और पूछताछ के आधार पर यह चार्जशीट तैयार की है। अगर दोष सिद्ध हुआ, तो PMLA के तहत 7 साल तक की सजा हो सकती है।

जानिए मामले का अब तक का घटनाक्रम कैसा रहा?

वर्षघटनाक्रम
2012सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली कोर्ट में शिकायत दर्ज की।
2014पटियाला हाउस कोर्ट ने समन जारी किया; ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की।
2015सोनिया, राहुल समेत आरोपियों को जमानत मिली।
2016सुप्रीम कोर्ट ने जांच रोकने से इनकार किया।
2018दिल्ली हाई कोर्ट ने आयकर नोटिस के खिलाफ याचिका खारिज की।
2021ईडी ने सक्रिय जांच शुरू की।
2022सोनिया और राहुल से पूछताछ हुई।
2023ईडी ने ₹751 करोड़ की संपत्तियाँ अटैच कीं।
20259 अप्रैल: ईडी ने चार्जशीट दाखिल की।
11 अप्रैल: 661 करोड़ की संपत्तियों पर कब्ज़े की प्रक्रिया शुरू।

क्या कह रहीं हैं राजनीतिक पार्टियां?

बीजेपी का पक्ष: बीजेपी और सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि यह केस भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का स्पष्ट मामला है। स्वामी ने दावा किया कि गांधी परिवार ने "कानून का दुरुपयोग कर AJL की संपत्तियों को हड़पा।" बीजेपी इसे "कांग्रेस की लूट" का सबूत बताती है और कहती है कि ईडी की कार्रवाई कानून के दायरे में है।

कांग्रेस का जवाब: कांग्रेस ने इसे "सियासी प्रतिशोध" करार दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, "नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर कब्जा और चार्जशीट बदले की राजनीति है। यह पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह की साजिश है।" कांग्रेस का दावा है कि YIL एक गैर-लाभकारी कंपनी थी, और कोई संपत्ति ट्रांसफर नहीं हुई। पार्टी ने पूरे देश में ईडी दफ्तरों के बाहर 16 अप्रैल को प्रदर्शन का ऐलान किया है।

क्या सियासत का मसला है ये केस?

नेशनल हेराल्ड केस अब सिर्फ कानूनी मसला नहीं, बल्कि सियासी जंग का मैदान बन चुका है। एक तरफ ईडी का दावा है कि यह 5,000 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है, जिसमें गांधी परिवार ने AJL की संपत्तियों को गलत तरीके से हासिल किया। दूसरी तरफ, कांग्रेस इसे "राजनीतिक उत्पीड़न" बता रही है, जिसमें कोई पैसा या संपत्ति का हस्तांतरण नहीं हुआ। 25 अप्रैल को राउज एवेन्यू कोर्ट में होने वाली सुनवाई इस केस की दिशा तय कर सकती है। सवाल यह है—क्या यह केस भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करेगा, या सियासी स्कोर सेटल करने का हथियार बनकर रह जाएगा? जवाब कोर्ट और समय बताएगा, लेकिन तब तक यह मामला देश की सियासत को गर्माए रखेगा।

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