Bengal violence: वक्फ कानून पर यूपी–बिहार का मुसलमान बेफिक्र तो बंगाल को कौन सुलगा रहा?
Bengal violence: पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद इन दिनों हिंसा की चपेट में है। वक्फ (संशोधन) कानून 2025 के खिलाफ शुरू हुआ विरोध अब खूनखराबे का रूप ले चुका है। तीन लोगों की मौत, सैकड़ों की गिरफ्तारी और हिंदू परिवारों का पलायन—यह सब उस कानून की आड़ में हो रहा है, जिसे लेकर यूपी, बिहार और महाराष्ट्र जैसे मुस्लिम बहुल राज्यों में सन्नाटा है। मुर्शिदाबाद के धुलियान, सूती और जंगीपुर जैसे इलाकों में आगजनी और पथराव ने सवाल खड़े किए हैं कि आखिर बंगाल में ही यह बवाल क्यों? क्या यह सिर्फ वक्फ कानून का विरोध है, या इसके पीछे कोई सियासी साजिश? बीजेपी का आरोप है कि TMC लोगों को भड़का रही है, तो ममता बनर्जी इसे केंद्र का खेल बता रही हैं। आइए, इस जटिल कहानी को सरल अंदाज में समझते हैं।
मुर्शिदाबाद हिंसा: क्या है पूरा मामला?
दरअसल 8 अप्रैल 2025 को वक्फ (संशोधन) कानून लागू होने के बाद से मुर्शिदाबाद में तनाव शुरू हुआ। मुस्लिम बहुल इलाकों जैसे धुलियान, शमशेरगंज, सूती, जंगीपुर और निमतिता में प्रदर्शन हिंसक हो गए। वहीं शुक्रवार को हिंसा चरम पर पहुँची, जब भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया, वाहन जलाए और दुकानों में तोड़फोड़ की। इस बवाल में एक पिता-पुत्र और एक नाबालिग समेत कुल तीन लोग मारे गए। वहीं बीजेपी का दावा है कि 400 से ज्यादा हिंदू परिवारों को घर छोड़कर मालदा भागना पड़ा।
पुलिस ने 210 लोगों को गिरफ्तार किया है, और कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया। 14 अप्रैल को साउथ 24 परगना के भांगर में भी इंडियन सेकुलर फ्रंट (ISF) के प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से भिड़ंत की, जिसमें 8 पुलिसकर्मी घायल हुए। माहौल अब धीरे-धीरे शांत हो रहा है, लेकिन सवाल बरकरार है कि यह हिंसा क्यों और किसके इशारे पर?
यूपी-बिहार-महाराष्ट्र में सन्नाटा तो बंगाल में ही हंगामा क्यों?
2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र और असम हैं। फिर भी, वक्फ कानून को लेकर यूपी, बिहार और महाराष्ट्र में कोई बड़ा प्रदर्शन नहीं हुआ। इन राज्यों के मुस्लिम समुदाय ने कानून का विरोध सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं तक सीमित रखा। मिसाल के तौर पर, यूपी में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कानूनी रास्ता चुना, न कि सड़कों पर उतरना।
लेकिन बंगाल में हालात अलग हैं। 66.3% मुस्लिम आबादी वाले मुर्शिदाबाद ने सांप्रदायिक रंग ले लिया है। बीजेपी का आरोप है कि TMC और स्थानीय नेता लोगों को भड़का रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, टीएमसी का कहना है कि बीजेपी धार्मिक भावनाओं को भुनाने की कोशिश कर रही है। सवाल यह है—क्या यह सिर्फ कानून का विरोध है, या 2026 के विधानसभा चुनाव की जमीन तैयार हो रही है?
भारत में सर्वाधिक मुस्लिम बहुल राज्य:
राज्य | मुस्लिम आबादी | कुल आबादी में प्रतिशत |
---|---|---|
उत्तर प्रदेश | 3.84 करोड़ | 19.26% |
पश्चिम बंगाल | 2.46 करोड़ | 27.01% |
बिहार | 1.75 करोड़ | 16.87% |
महाराष्ट्र | 1.29 करोड़ | 11.54% |
असम | 1.06 करोड़ | 34.22% |
📌 नोट: ये सभी आंकड़े जनगणना 2011 पर आधारित हैं।
हिंसा को लेकर टूलकिट आया सामने
खुफिया एजेंसियों की मानें तो मुर्शिदाबाद की हिंसा में 2019 के सीएए विरोध जैसा पैटर्न दिखता है। टेलीग्राम, व्हाट्सऐप और सिग्नल जैसे प्लेटफॉर्म्स पर टूलकिट्स के जरिए प्रदर्शन की योजना बनाई गई। पुलिस का दावा है कि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI), जो बैन हो चुके पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़ी है, ने युवाओं को उकसाया। इनका नारा था कि वक्फ कानून मुस्लिमों की संपत्ति छीन लेगा। ममता बनर्जी ने कहा कि वह बंगाल में इस कानून को लागू नहीं होने देंगी, जिसे बीजेपी "असंवैधानिक बयान" बता रही है। ममता ने शांति की अपील की, लेकिन बीजेपी का कहना है कि टीएमसी ने पहले आग भड़काई और अब मगरमच्छ के आँसू बहा रही है। सुप्रीम कोर्ट में इस हिंसा की SIT जाँच की माँग भी हो चुकी है।
वक्फ़ कानून पर भड़काया क्यों जा रहा है?
वक्फ (संशोधन) कानून का मकसद वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता लाना और भ्रष्टाचार रोकना बताया गया है। इसमें वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड, महिलाओं को बोर्ड में हिस्सेदारी और गैर-मुस्लिमों की भागीदारी जैसे प्रावधान हैं। केंद्र का कहना है कि यह कानून गरीब मुस्लिमों के हित में है। फिर भी, बंगाल में इसे "मुस्लिम विरोधी" बताकर माहौल गरमाया गया। कुछ नेताओं ने दावा किया कि यह कानून मस्जिदों और कब्रिस्तानों पर कब्जे की साजिश है।
बीजेपी का जवाब है कि अगर कानून गलत है, तो सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दो, सड़कों पर हिंसा क्यों? दूसरी ओर, यूपी-बिहार जैसे राज्यों में मुस्लिम संगठनों ने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखी। सवाल उठता है—क्या बंगाल में यह हिंसा सिर्फ गलतफहमी का नतीजा है, या सुनियोजित सियासी खेल?
बंगाल को जलाने की साजिश?
2026 में बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं, और वक्फ कानून इसका ट्रेलर बन गया है। टीएमसी और बीजेपी दोनों एक-दूसरे पर वोट बैंक की सियासत का आरोप लगा रहे हैं। ममता बनर्जी ने कहा, "मैंने यह कानून नहीं बनाया, केंद्र से सवाल करो।" लेकिन उनके बयान कि "बंगाल में यह लागू नहीं होगा" ने आग में घी डाला। बीजेपी का कहना है कि टीएमसी मुस्लिम वोटों के लिए हिंसा को हवा दे रही है। दूसरी ओर, बीजेपी पर भी हिंदू वोटों को एकजुट करने का आरोप है। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने दोनों को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा, "हिंसा वहाँ होती है, जहाँ सरकार चाहती है।" खुफिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ मैसेज और टूलकिट्स ने हिंसा को बढ़ाया। क्या यह सिर्फ वक्फ कानून का विरोध है, या बंगाल को सांप्रदायिक आग में झोंकने की कोशिश?
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