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मुर्शिदाबाद में दंगा या डिजाइन? क्या वाकई बंगाल को 'बांग्लादेश' बनाने की चल रही है साजिश ?

वक्फ संशोधन बिल 2025 पर मुर्शिदाबाद में हिंसा, ममता पर तुष्टिकरण के आरोप, बीजेपी का बांग्लादेशीकरण का दावा—मुस्लिम वोटबैंक की जंग तेज़।
01:27 PM Apr 13, 2025 IST | Rohit Agrawal

पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद जिला एक बार फिर हिंसा की आग में झुलस रहा है। वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के विरोध में शुरू हुआ प्रदर्शन जल्दी ही हिंसक दंगों में बदल गया, जिसमें तीन लोगों की मौत और 15 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए। जबकि पुलिस इसे "पूर्व-नियोजित साजिश" बता रही है, राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोपों की बौछार करने में लगे हुए हैं। बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि "ममता बनर्जी बंगाल को बांग्लादेश बनाना चाहती हैं", जबकि TMC इस हिंसा के लिए केंद्र सरकार की "सांप्रदायिक नीतियों" को जिम्मेदार ठहरा रही है। आइए जानते हैं कि आखिर इस हिंसा के पीछे की सच्चाई क्या है और क्या वाकई यह बंगाल को बांग्लादेश बनाने की कोई साजिश है?

जानिए कैसे हिंसा की शुरुआत हुई?

दरअसल मुर्शिदाबाद के जंगीपुर, सुती और शमशेरगंज जैसे मुस्लिम-बहुल इलाकों में 8 अप्रैल को वक्फ बिल के विरोध में प्रदर्शन शुरू हुआ। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि यह बिल "मुस्लिम विरोधी" है और इससे वक्फ संपत्तियों पर सरकार का कब्जा हो जाएगा। स्थिति तब और बिगड़ी जब एक अफवाह फैली कि पुलिस कार्रवाई में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई है। इसके बाद भीड़ ने दो पुलिस वाहनों और एक BDO कार्यालय की गाड़ी को आग लगा दी। रेलवे ट्रैक को निशाना बनाया गया, जिससे कई ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं। पुलिस ने हालात काबू करने के लिए आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया, जबकि DGP राजीव कुमार के अनुसार आखिरी उपाय के तौर पर चार राउंड फायरिंग की गई थी।

क्या बंगाल बन रहा बांग्लादेश?

BJL ने इस हिंसा को ममता बनर्जी की "तुष्टिकरण नीति" का नतीजा बताया। आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने X पर लिखा कि ममता बंगाल को दूसरा बांग्लादेश बनाना चाहती हैं। मुर्शिदाबाद की हिंसा सांप्रदायिक ताकतों को शह देने का परिणाम है।" बीजेपी नेता Suvendru Adhikari ने इसे "जिहादी साजिश" करार देते हुए दावा किया कि हिंदू परिवारों को निशाना बनाया जा रहा है।

वहीं प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि TMC की गुंडागर्दी बंगाल को अराजकता की ओर ले जा रही है।" बीजेपी ने मुर्शिदाबाद की भौगोलिक स्थिति—बांग्लादेश की खुली सीमा और 66% मुस्लिम आबादी को हथियार बनाया। कुछ नेताओं ने X पर "ISI की साजिश" तक का जिक्र किया, हालाँकि इसके कोई ठोस सबूत नहीं मिले।कुमार के अनुसार "आखिरी उपाय के तौर पर" चार राउंड फायरिंग भी की गई।

ममता की सियासत: मुस्लिम वोटबैंक साधने या शांति की कोशिश?

ममता बनर्जी की रणनीति इस हिंसा के बाद चर्चा का केंद्र बन गई है। बंगाल की 30% मुस्लिम आबादी TMC का मजबूत वोटबैंक रही है, खासकर मुर्शिदाबाद जैसे इलाकों में, जहाँ 66% आबादी मुस्लिम है। ममता ने मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक कर और सार्वजनिक मंचों पर एकता की बात कर इस वोटबैंक को मजबूत करने की कोशिश की। कोलकाता में 'नवकार महामंत्र दिवस' पर उन्होंने कहा, "मुझे गोली मार दो, लेकिन मैं बंगाल को बँटने नहीं दूँगी।"

लेकिन BJP इसे "तुष्टिकरण की सियासत" बता रही है। विश्लेषकों का कहना है कि ममता का यह रुख 2026 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर है, जहाँ मुस्लिम वोट उनकी जीत की कुंजी होंगे। दूसरी ओर, ममता ने हिंसा की निंदा की और शांति की अपील की, लेकिन केंद्र के कानून को जिम्मेदार ठहराकर खुद को विवाद से अलग करने की कोशिश की। यह दोहरी रणनीति—मुस्लिम समुदाय को भरोसा देना और हिंसा से दूरी बनाना—उनके सियासी कौशल को दर्शाती है, लेकिन यह कितना कारगर होगा, यह सवाल बना हुआ हैमुर्शिदाबाद हिंसा: क्या वाकई बंगाल को 'बांग्लादेश' बनाने की चल रही है साजिश?

सियासी भँवर में फंसे बंगाल का क्या होगा अंजाम?

बता दें कि मुर्शिदाबाद की हिंसा ने बंगाल की सियासत को धार्मिक ध्रुवीकरण के कगार पर ला खड़ा किया है। BJP इसे अवैध घुसपैठ और "बांग्लादेशीकरण" से जोड़कर हिंदू वोटों को लामबंद करना चाहती है, जबकि TMC इसे केंद्र की नीतियों का नतीजा बताकर अपने मुस्लिम गढ़ को बचाने में जुटी है। विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद 2026 के विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनेगा। ममता के सामने चुनौती है—कानून-व्यवस्था को बहाल करना और सांप्रदायिक तनाव को रोकना।

 

 

 

हालाँकि BSF की तैनाती और कोर्ट की सख्ती से स्थिति नियंत्रण में आ रही है, लेकिन सवाल अनुत्तरित हैं। क्या यह हिंसा वक्फ बिल पर गलतफहमी का नतीजा थी, या इसके पीछे गहरी सियासी साजिश थी? ममता की शांति की अपील और बीजेपी की आक्रामकता ने इस जंग को सड़कों से सोशल मीडिया तक पहुँचा दिया है। बंगाल की सियासत अब एक तलवार की धार पर चल रही है—क्या ममता अपने गढ़ को बचा पाएँगी, या बीजेपी इस आग में अपनी जगह बनाएगी? जवाब का इंतज़ार बंगाल की गलियों से लेकर कोलकाता की गलियारों तक है।

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