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मिल्कीपुर उपचुनाव 2025: क्या अयोध्या की हार का बदला लेगी बीजेपी?

अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच कड़ा मुकाबला। क्या योगी आदित्यनाथ फैजाबाद की हार का बदला ले पाएंगे या अखिलेश यादव अपनी बढ़त बनाए रखेंगे?
11:29 AM Feb 05, 2025 IST | Shiwani Singh

अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर आज उपचुनाव के लिए मतदान जारी है। जानकारी के मुताबिक सुबह 9 बजे तक 13.34% वोटिंग हो चुकी है। वैसे तो विधानसभा की इसी एक सीट पर उप चुनाव हो रहा है पर इसे जीतने के लिए योगी आदित्यनाथ और अखिलेश ने आर पार की ठनी है। दोनों नेताओं ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया है। इस चुनाव के नतीजे का यूपी चुनाव पर असर हो सकता है। साल 2027 में यूपी में विधानसभा चुनाव होने थे। दस सालों से सत्ता से बाहर समाजवादी पार्टी वापसी के लिए बेताब है जबकि बीजेपी फैजाबाद की हार का बदला लेने उतरी है।

सीएम योगी और अखिलेश के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बनी मिल्कीपुर सीट

मिल्कीपुर चुनाव योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है। योगी हर हाल में फैजाबाद की हार का बदला लेना चाहते हैं। समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हरा दिया था. इसी फैजाबाद लोकसभा सीट में अयोध्या है। पिछले साल 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन हुआ था। बीजेपी ने इसी उत्साह में चार सौ पार का नारा दिया पर पार्टी फैजाबाद की सीट तक नहीं बचा पाई। अखिलेश यादव ने इस जनरल सीट पर दलित नेता अवधेश प्रसाद को टिकट दिया। वे PDA मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वोट के दम पर चुनाव जीत गए।

सीट से जुड़ा है बड़ा राजनैतिक संकेत

मिल्कीपुर सुरक्षित सीट है। इस उप चुनाव का एक बड़ा राजनैतिक संकेत भी जुड़ा है। अखिलेश यादव खुद कह चुके हैं कि ये देश का चुनाव है। इस चुनाव से तय होगा कि यूपी का दलित अब किधर जाने वाला है। मायावती और उनकी पार्टी बीएसपी लगातार कमजोर हो रही है। बीते लोकसभा चुनाव से ये नैरेटिव बना कि समाजवादी पार्टी की तरफ दलितों का झुकाव बढ़ा है। बीजेपी कहती है कि संविधान बचाने के नाम पर इंडिया गठबंधन ने दलितों को धोखा दिया। मिल्कीपुर का चुनाव तय करेगा कि यूपी के दलित वोटरों के मन में क्या है।

बीजेपी के लिए कठिन रही है मिल्कीपुर सीट की डगर

मिल्कीपुर सीट हमेशा से बीजेपी के लिए कठिन रही है। राम मंदिर का मुद्दा यहां नहीं चलता है। इसीलिए बीजेपी हिंदुत्व के साथ साथ सामाजिक समीकरण के भरोसे है। बीजेपी ने हर वोटर तक पहुंचने की कोशिश की है। अलग अलग जाति के चालीस विधायकों की टीम लगाई गई थी। बीजेपी ने अपने बूथों को तीन कैटेगरी में बांट रखा है। सबसे मज़बूत को ए कैटेगरी बनाया गया है। जिन बूथों पर पार्टी को कम वोट से बढ़त मिली थी, वो बी कैटेगरी में हैं। बीजेपी जिन बूथ पर हार गई थी उसे सी श्रेणी में रखा गया है। इस बार बीजेपी का फोकस बी और सी कैटेगरी पर है।

सपा के सामने ये है यह चुनौती

समाजवादी पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती MY (मुस्लिम यादव) वोट बैंक को बचाए रखने की है। हालही में यूपी में विधानसभा की नौ सीटों पर उप चुनाव हुए। कुंदरकी में मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ दिया। जबकि करहल में यादव वोटों में बंटवारा हो गया था। बीजेपी की नजर समाजवादी पार्टी के यादव वोट पर है। अखिलेश यादव को लगता है कि अवधेश प्रसाद के कारण पासी वोटर उनकी तरफ रहेंगे।इसलिए उन्होंने अवधेश के बेटे को टिकट दिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव मतदान की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। राजनीति के जानकारों ने एक नया मुहावरा गढ़ दिया है। लखनऊ की सत्ता का रास्ता मिल्कीपुर से जाता है।

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