नेशनलराजनीतिमनोरंजनखेलहेल्थ & लाइफ स्टाइलधर्म भक्तिटेक्नोलॉजीइंटरनेशनलबिजनेसआईपीएल 2025चुनाव

महाराष्ट्र में सरकार गठन पर बड़ा पेंच, ये 5 मंत्रालय क्यों हैं अहम?

महाराष्ट्र में महायुति (बीजेपी, शिवसेना और अन्य गठबंधन) की नई सरकार बनने में देर हो रही है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के विभागों को लेकर पेंच फंसा हुआ है।
07:36 PM Nov 30, 2024 IST | Vibhav Shukla

महाराष्ट्र में महायुति (बीजेपी, शिवसेना और अन्य गठबंधन) की नई सरकार बनने में देर हो रही है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के विभागों को लेकर पेंच फंसा हुआ है। शिवसेना को लेकर यह आरोप लग रहा है कि उसे विभागों का बंटवारा ठीक से नहीं किया जा रहा, जिससे एकनाथ शिंदे नाराज हो गए हैं और उन्होंने अपना गांव सतारा जाने का फैसला किया। अब बंटवारे को लेकर बात उलझ गई है और 5 महत्वपूर्ण मंत्रालयों पर खास ध्यान केंद्रित है। आइए जानते हैं कि ये 5 मंत्रालय महाराष्ट्र में क्यों इतने अहम हैं।

1. गृह विभाग – जहां सुरक्षा से लेकर कानून व्यवस्था तक का राज

महाराष्ट्र के गृह विभाग को लेकर सबसे ज्यादा पेच फंसा हुआ है। यह विभाग राज्य की कानून-व्यवस्था, पुलिस और इंटेलिजेंस के सभी कामों को देखता है। 2022 में जब एकनाथ शिंदे की सरकार बनी थी, तो बीजेपी के पास यह विभाग गया था और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस इसका जिम्मा संभाल रहे थे। अब जब मुख्यमंत्री की कुर्सी बीजेपी को मिल रही है, तो शिंदे सेना ने इस विभाग पर अपनी दावेदारी जताई है।

गृह विभाग को राज्य में सबसे अहम माना जाता है क्योंकि यही विभाग पुलिस और इंटेलिजेंस को नियंत्रित करता है। महाराष्ट्र पुलिस का सालाना बजट 24,050 करोड़ रुपये है, जो इस विभाग की ताकत को बयां करता है। यहां से जुड़े मंत्री का राज्य में सबसे ज्यादा प्रभाव होता है, क्योंकि पुलिस और इंटेलिजेंस के मामलों का सीधा संबंध गृह मंत्री से होता है।

2. वित्त विभाग – राज्य की अर्थव्यवस्था को सहेजने वाला मंत्रालय

वित्त विभाग भी विवादों में है। पहले यह विभाग अजित पवार के पास था, लेकिन अब बीजेपी और शिवसेना दोनों ही इसे अपने पास रखना चाहती हैं। वित्त विभाग का काम न सिर्फ राज्य के बजट को नियंत्रित करना है, बल्कि यह तय करता है कि कौन सी योजनाओं के लिए फंड जारी किया जाएगा और विधायक निधि किसे मिलेगी।

महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है, क्योंकि राज्य की GSDP (ग्रॉस स्टेट डॉमेस्टिक प्रोडक्ट) 330 मिलियन डॉलर है और पूरे देश में महाराष्ट्र का 40% टैक्स हिस्सा है। वित्त विभाग के मंत्री का राज्य की आर्थिक दिशा में महत्वपूर्ण रोल होता है, इसीलिए इस पर दावेदारी करने के लिए बीजेपी और शिवसेना दोनों की खींचतान चल रही है।

3. राजस्व विभाग – जमीन और संपत्ति मामलों का फैसला

राजस्व विभाग की भी अहम भूमिका है, क्योंकि यह राज्य के भूमि और संपत्ति मामलों को देखता है। महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में जहां शहरी और अर्ध-शहरी इलाके हैं, इस विभाग का काम और भी बढ़ जाता है। राजस्व विभाग के पास जमीन से जुड़े फैसले, रेवेन्यू संग्रह और अन्य प्रशासनिक काम होते हैं।

2019 में जब उद्धव ठाकरे की सरकार बनी थी, तो कांग्रेस को यह विभाग मिला था, लेकिन अब बीजेपी और शिंदे सेना दोनों इस पर अपनी दावेदारी कर रहे हैं। इस विभाग का काम सीधा राज्य के विकास से जुड़ा है, क्योंकि यह जमीन से जुड़ी नीतियों और कानूनों का निर्धारण करता है।

4. सामान्य प्रशासन विभाग – राज्य के प्रशासन का असली दावेदार

सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) महाराष्ट्र में सबसे ताकतवर विभागों में से एक है। यह विभाग राज्य के सभी प्रशासनिक फैसलों को नियंत्रित करता है, जैसे कि ट्रांसफर-पोस्टिंग और नियुक्तियां। मुख्यमंत्री अक्सर इसे अपने पास रखते हैं क्योंकि यह विभाग राज्य के प्रशासनिक ढांचे के कामकाज में बहुत प्रभावी होता है।

महाराष्ट्र में यह विभाग गार्जियन मिनिस्टर की नियुक्ति, आईएएस और पीसीएस अधिकारियों के ट्रांसफर और नियुक्तियों का काम देखता है। इसी विभाग के जरिए मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री प्रशासनिक तंत्र में अपनी पकड़ मजबूत करते हैं। बीजेपी इस विभाग पर भी अपनी दावेदारी कर रही है, क्योंकि इसके जरिये राज्य के तमाम अधिकारी और प्रशासनिक गतिविधियों को प्रभावित किया जा सकता है।

5. शहरी विकास विभाग – महाराष्ट्र के शहरों का भविष्य

शहरी विकास विभाग को लेकर भी विवाद चल रहा है। 2014 में जब बीजेपी की सरकार बनी थी, तो इस विभाग को देवेंद्र फडणवीस ने अपने पास रखा था। 2019 में यह विभाग उद्धव ठाकरे के पास गया, और फिर 2022 में एकनाथ शिंदे ने इसे अपने पास रखा। अब यह विभाग फिर से विवाद का केंद्र बन गया है, क्योंकि राज्य के बड़े शहरों का विकास इसी विभाग के जरिए होता है।

मुंबई, पुणे, नागपुर, नासिक, और औरंगाबाद जैसे बड़े शहरों में विधानसभा की करीब 100 सीटें हैं, जो शहरी मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन शहरों के विकास की जिम्मेदारी शहरी विकास विभाग के पास होती है, और इसी वजह से इसे "मलाईदार" विभाग भी कहा जाता है। 2023 में इस विभाग का रिवाइज्ड बजट 31,082 करोड़ रुपये था, जो इसकी अहमियत को दर्शाता है।

इन पांच विभागों का बंटवारा महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेगा। यही वजह है कि सरकार के गठन में देर हो रही है और महायुति में बंटवारे को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है। इन विभागों के अधिकार पर किसी भी दल का कब्जा राज्य के प्रशासनिक और आर्थिक फैसलों पर बड़ा असर डालने वाला है।

Tags :
bjpeknath shindeFinanceHome DepartmentMaharashtra GovernmentMinistry ShareRevenueshiv senaUrban Developmentगृह विभागमहाराष्ट्र मंत्रालयमहाराष्ट्र सरकार गठनराजस्व विभागवित्त विभागशहरी विकास विभागसामान्य प्रशासन विभाग

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article