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"मुस्लिम बहुसंख्यक होते तो भारत सेक्युलर न होता" - कौन हैं केके मोहम्मद, जिनका बयान बना चर्चा का केंद्र?

केके मोहम्मद का बयान वायरल! जानिए, उन्होंने ऐसा क्यों कहा, राम मंदिर की खोज में उनकी क्या भूमिका थी, और क्यों हैं वे चर्चाओं में?
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भारत सिर्फ इसलिए धर्मनिरपेक्ष है क्योंकि ये हिंदू बहुल देश है। अगर मुस्लिम बहुसंख्यक होते तो भारत कभी सेक्युलर न होता।" ये बोल हैं मशहूर पुरातत्वविद डॉ. केके मोहम्मद के, जिनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है। उनके इस बयान ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। लेकिन सवाल ये है कि आखिर केके मोहम्मद हैं कौन? राम मंदिर की खोज में उनकी क्या भूमिका रही? और क्यों उनके बोल हर बार चर्चा में छा जाते हैं? आइए, उनकी कहानी को सरल और रोचक अंदाज में जानते हैं।

कौन हैं डॉ. केके मोहम्मद?

केरल के कोझिकोड में जन्मे करिंगमन्नू कुझियिल मोहम्मद, यानी केके मोहम्मद, एक ऐसे पुरातत्वविद हैं जिन्होंने इतिहास के पन्नों को सचमुच जिंदा कर दिखाया। 70 साल से ऊपर की उम्र में भी उनका जोश कम नहीं हुआ। वो एक मुस्लिम परिवार से हैं, लेकिन उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा योगदान हिंदुओं के पवित्र राम मंदिर से जुड़ा है। 2019 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया। उनकी किताब "मैं भारतीय हूं" में उन्होंने अपनी जिंदगी और राम जन्मभूमि की खोज की पूरी कहानी बयां की है।

वायरल बयान ने सोशल मीडिया पर मचाया तहलका

हाल ही में उनका एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वो कहते हैं, "भारत हिंदू बहुल होने की वजह से ही सेक्युलर है। मुस्लिम बहुसंख्यक होते तो ऐसा न होता। इसके साथ ही उन्होंने कहा, "अगर राम और कृष्ण आपके नायक नहीं हैं, तो आप आदर्श मुसलमान नहीं हैं।" लेखक आनंद रंगनाथन ने इसे शेयर करते हुए उनकी तारीफ की।

सोशल मीडिया पर लोगों ने खूब रिएक्शन दिए। एक यूजर ने लिखा, "यही सनातन की खूबी है," तो दूसरे ने कहा, "कांग्रेस को सच बर्दाश्त नहीं हुआ, इसलिए उन्हें सस्पेंड किया गया।" ये बयान चर्चा का बड़ा मुद्दा बन गया।

राम मंदिर की खोज में अहम रोल

केके मोहम्मद की जिंदगी उस वक्त बदल गई जब 1976-77 में वो अयोध्या में राम जन्मभूमि की खुदाई का हिस्सा बने। उस वक्त वो सिर्फ 24 साल के थे और प्रोफेसर बीबी लाल की टीम में शामिल थे। खुदाई में मंदिर के अवशेष मिले, जिसकी बात उन्होंने 1990 में एक अखबार में खुलकर कही। उन्होंने बताया कि बाबरी मस्जिद के नीचे राम मंदिर के साक्ष्य थे। इस सच को सामने लाने की वजह से उनकी नौकरी खतरे में पड़ गई थी। फिर भी, वो डटकर सच के साथ खड़े रहे और आज उनकी ये खोज राम मंदिर आंदोलन का बड़ा आधार बनी।

पहले भी रहे हैं बेबाक बयानों में आगे

केके मोहम्मद इससे पहले भी अपने बयानों से सुर्खियां बटोर चुके हैं। उन्होंने सुझाव दिया था कि मुस्लिम समुदाय को मथुरा और ज्ञानवापी मस्जिद की जगह हिंदुओं को सौंप देनी चाहिए। उनका मानना था कि मस्जिद को सम्मान के साथ दूसरी जगह शिफ्ट करना चाहिए। इस बात पर भी खूब बहस हुई थी। वो हमेशा खुलकर अपनी राय रखते हैं और देश की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए जुनूनी बने रहते हैं। उनके इस जज्बे की वजह से लोग उन्हें सम्मान की नजर से देखते हैं।

कहां जॉब कर रहे हैं केके मोहम्मद?

70 साल की उम्र पार कर चुके केके मोहम्मद अब भी रिटायर नहीं हुए हैं। वो इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च के सदस्य हैं और देश की विरासत को सहेजने का सपना देखते हैं। हाल के इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार से उन्हें बड़ी उम्मीदें हैं, लेकिन अभी इंतजार करना पड़ रहा है। वो ऐतिहासिक मंदिरों और इमारतों को बचाने के लिए काम करना चाहते हैं। उनकी बातें और वीडियो अक्सर वायरल होते रहते हैं, क्योंकि वो जो कहते हैं, दिल से कहते हैं।

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