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कर्नाटक विधानसभा ने ग्रेटर बेंगलुरु गवर्नेंस बिल पारित किया, बीजेपी ने किया विरोध

कर्नाटक विधानसभा ने ग्रेटर बेंगलुरु गवर्नेंस बिल पारित किया। बीजेपी ने किया विरोध। जानिए बिल के प्रावधान और बहस की पूरी जानकारी।
02:11 PM Mar 11, 2025 IST | Girijansh Gopalan

कर्नाटक विधानसभा ने सोमवार को ग्रेटर बेंगलुरु गवर्नेंस बिल पारित कर दिया। इस बिल का उद्देश्य ग्रेटर बेंगलुरु क्षेत्र में बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) का पुनर्गठन करना है। इसके तहत बेंगलुरु को अधिकतम 7 नगर निगमों में विभाजित किया जाएगा। इस बिल में ग्रेटर बेंगलुरु प्राधिकरण के गठन, महापौर और डिप्टी मेयर के लिए 30 महीने के कार्यकाल का भी प्रावधान है।

बीजेपी ने किया विरोध

बीजेपी ने इस बिल का जोरदार विरोध किया। विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि यह बिल पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का अपमान है, जो स्थानीय निकायों को मजबूत करना चाहते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस अन्य स्थानीय निकायों को भी इसी तरह विभाजित करने का रास्ता तैयार कर रही है।

डिप्टी सीएम शिवकुमार ने क्या कहा?

उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार, जिनके पास बेंगलुरु विकास विभाग है, ने इस बिल को विधानसभा में पेश किया। उन्होंने कहा, "हम सत्ता और प्रशासन का विकेंद्रीकरण चाहते हैं। हम बेंगलुरु को नष्ट नहीं कर रहे हैं, जैसा कि विपक्ष के सदस्यों ने कहा है। इसके बजाय हम इसे मजबूत कर रहे हैं। हम बेंगलुरु को मजबूत बनाना चाहते हैं। यह बिल बेंगलुरु को नई दिशा देने के लिए लाया गया है।"

बीजेपी विधायकों ने क्या कहा?

येलहंका के बीजेपी विधायक एसआर विश्वनाथ ने सवाल उठाया कि जब मुख्य आयुक्त पिछले कई साल से बिना निर्वाचित निकाय के बीबीएमपी चला रहे हैं, तो अब विभाजन क्यों किया जा रहा है? उन्होंने कहा, "अगर आप अभी भी बीबीएमपी के प्रशासन का विकेंद्रीकरण चाहते हैं, तो चुनाव कराएं। एक निर्वाचित निकाय बनाएं जो शहर को अच्छी तरह से मैनेज करे।" विश्वनाथ ने यह भी कहा कि अगर सरकार ग्रेटर बेंगलुरु बनाने की इच्छुक है, तो इसे लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के बाद किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "हम इसके प्रशासन को मजबूत करने में आपका समर्थन करेंगे, लेकिन बेंगलुरु को विभाजित न करें।"

बिल के मुख्य प्रावधान

बीबीएमपी का पुनर्गठन: बेंगलुरु को अधिकतम 7 नगर निगमों में विभाजित किया जाएगा।
ग्रेटर बेंगलुरु प्राधिकरण: पर्यवेक्षण के लिए एक नया प्राधिकरण बनाया जाएगा।
महापौर और डिप्टी मेयर का कार्यकाल: महापौर और डिप्टी मेयर का कार्यकाल 30 महीने का होगा।
स्थानीय निकायों का विकेंद्रीकरण: सत्ता और प्रशासन का विकेंद्रीकरण किया जाएगा।

बिल पर बहस

बिल पर हुई बहस में बीजेपी नेता आर अशोक ने कहा कि यह बिल पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सिद्धांतों के खिलाफ है, जो स्थानीय निकायों को मजबूत करना चाहते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस अन्य स्थानीय निकायों को भी इसी तरह विभाजित करने का रास्ता तैयार कर रही है।

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