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पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की गूंज…क्या आप जानते हैं सबसे पहले कहां लगा था अनुच्छेद 356? जानिए पूरी कहानी!

पश्चिम बंगाल हिंसा के बाद राष्ट्रपति शासन की मांग फिर चर्चा में। जानिए अनुच्छेद-356 का इतिहास, राज्यवार आंकड़े और इसका राजनीतिक महत्व।
05:22 PM Apr 22, 2025 IST | Rohit Agrawal

पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद राष्ट्रपति शासन की मांग जोर पकड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट में 22 अप्रैल 2025 को इस पर सुनवाई होनी है। दरअसल अनुच्छेद-356 के तहत केंद्र किसी राज्य सरकार को बर्खास्त कर शासन अपने हाथ में ले सकता है। इस बीच क्या आप जानते हैं, भारत में पहली बार राष्ट्रपति शासन कहां लागू हुआ? आइए, इस राष्ट्रपति शासन की पूरी कहानी को टटोलने का काम करते हैं।

पहली बार कहां लागू हुआ राष्ट्रपति शासन?

देश में संविधान लागू होने के 17 महीने बाद 20 जून 1951 को पहली बार पंजाब में अनुच्छेद-356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पंजाब की कम्युनिस्ट सरकार को बर्खास्त किया, क्योंकि कांग्रेस में अंदरूनी कलह और प्रशासनिक अस्थिरता बढ़ गई थी। यह शासन 17 अप्रैल 1952 तक 302 दिन चला। कुछ स्रोतों के मुताबिक, पंजाब सरकार ने खुद इसकी मांग की थी।

 

प. बंगाल में क्यों उठी मांग?

मुर्शिदाबाद में हाल की हिंसा के बाद याचिकाकर्ता विष्णु शंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग की। याचिका में अनुच्छेद-355 के तहत राज्यपाल से कानून-व्यवस्था पर रिपोर्ट मांगने की बात कही गई। अनुच्छेद-355 केंद्र को आंतरिक अशांति या बाहरी खतरे में हस्तक्षेप का अधिकार देता है। सुप्रीम कोर्ट आज इस पर सुनवाई करेगा, जो ममता बनर्जी सरकार के लिए चुनौती बन सकता है।

अनुच्छेद-356: कब और क्यों लगता है?

अनुच्छेद-356 केंद्र को राज्य सरकार को हटाकर शासन अपने हाथ में लेने का अधिकार देता है, अगर राज्य सरकार संविधान के मुताबिक काम न करे या केंद्र के निर्देशों का पालन न हो तो राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कार सकता है।

बता दें कि राष्ट्रपति शासन लागू होने पर राज्य की सारी शक्तियां राष्ट्रपति के पास चली जाती हैं, जो राज्यपाल के जरिए शासन चलाता है। यह अधिकतम 6 महीने तक लागू रहता है, जिसे संसद की मंजूरी से 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

भारत मैं राष्ट्रपति शासन का क्या रहा है इतिहास

1950 से 2025 तक 29 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 134 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है। मणिपुर में सबसे ज्यादा 11 बार, उत्तर प्रदेश में 10 बार, और पंजाब-जम्मू-कश्मीर में 9-9 बार यह लागू हुआ। सबसे लंबा राष्ट्रपति शासन जम्मू-कश्मीर में 6 साल 264 दिन (1990-1996) रहा। छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में कभी नहीं लगा। इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 51 बार इसका इस्तेमाल हुआ, जिस पर दुरुपयोग के आरोप लगे।

राष्ट्रपति शासन में प्रशासन कैसे चलता है?

राष्ट्रपति शासन लागू होने पर मुख्यमंत्री और कैबिनेट की शक्तियां खत्म हो जाती हैं। राज्यपाल केंद्र के निर्देश पर शासन चलाता है। सभी प्रशासनिक फैसले, योजनाएं और कार्यक्रम केंद्र की मंजूरी से लागू होते हैं। राज्य के अधिकारी राज्यपाल को रिपोर्ट करते हैं। हाल ही में मणिपुर में बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति शासन लागू हुआ, क्योंकि BJP नए नेता पर फैसला नहीं ले सकी।

क्यों अहम है यह मुद्दा?

प. बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग ने केंद्र-राज्य संबंधों पर बहस छेड़ दी है। अनुच्छेद-356 को संघवाद की रक्षा के लिए बनाया गया, लेकिन इसके दुरुपयोग की आलोचना होती रही। 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने SR बोम्मई केस में इसके लिए सख्त दिशानिर्देश दिए, जिसमें कहा गया कि अनुच्छेद-355 का पूरा इस्तेमाल बिना 356 लागू नहीं हो सकता।

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