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हरियाणा: बीजेपी को बड़ी जीत के बावजूद झटका, CM सैनी के 10 में से 8 मंत्री हारे

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में, बीजेपी ने 10 में से 8 मंत्रियों की हार के साथ चुनाव लड़ा है, जो पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है।
12:29 PM Oct 09, 2024 IST | Vibhav Shukla
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 ने राजनीतिक परिदृश्य को एक नई दिशा दी है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने एक बार फिर से सत्ता में वापसी की है, लेकिन इस बार उनके लिए यह जीत पूरी तरह से संतोषजनक नहीं रही। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में, बीजेपी ने 10 में से 8 मंत्रियों की हार के साथ चुनाव लड़ा है, जो पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है। यह चुनाव परिणाम यह दर्शाता है कि जबकि बीजेपी ने सरकार बनाने में सफलता पाई है, लेकिन स्थानीय नेतृत्व में खामियां और जनसमर्थन की कमी एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है।

सीएम सैनी के सैनी के 10 में से 8 मंत्री हारे

बीजेपी के लिए यह चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण था। पार्टी ने बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की, लेकिन उनके दो तिहाई मंत्री चुनाव हार गए। जिन आठ मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा, उनमें प्रमुख नामों की लिस्ट निम्नलिखित है:

स.नं.मंत्री का नामसीट का नामपराजित करने वाले उम्मीदवारपार्टीमतों का अंतर
1ज्ञानचंद गुप्तापंचकूलाचंदर मोहनकांग्रेस-
2सुभाष सुधाथानेसरअशोक अरोड़ाकांग्रेस3,000
3संजय सिंहनूंहआफताब अहदमकांग्रेस46,000
4असीम गोयलअंबाला सिटीनिर्मल सिंह मोहराकांग्रेस11,131
5कमल गुप्ताहिसारसावित्री जिंदल (निर्दलीय)निर्दलीय-
6कंवर पालजगाधरीअकरम खानकांग्रेस-
7जेपी दलाललोहारूराजबीर फरटियाकांग्रेस792
8अभे सिंह यादवनांगल चौधरीमंजू चौधरीकांग्रेस-

 

हरियाणा में हाल ही हुए विधानसभा चुनावों में नायब सैनी सरकार के कई मंत्री चुनावी मैदान में हार का सामना कर गए हैं। इस चुनाव में जिन मंत्रियों ने हार का सामना किया, उनमें संजय सिंह, कंवरपाल गुर्जर, डॉ. कमल गुप्ता, सुभाष सुधा, जयप्रकाश दलाल, रणजीत चौटाला, असीम गोयल और अभय सिंह यादव शामिल हैं। इनमें से कई मंत्री तो तीसरे स्थान पर भी रहे।

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कंवरपाल गुर्जर की हार

जगाधरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़े कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर को कांग्रेस के उम्मीदवार चौधरी अकरम खान ने 6,868 वोट से मात दी। अकरम खान को कुल 67,403 वोट मिले, जबकि कंवरपाल गुर्जर को 60,535 वोट मिले। कंवरपाल गुर्जर पहले मनोहर लाल खट्टर की सरकार में स्पीकर रह चुके थे और बाद में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।

जेपी दलाल का प्रदर्शन

लोहारू विधानसभा क्षेत्र में मंत्री जेपी दलाल को कांग्रेस के राजबीर फरटिया ने 792 वोटों से हराया। जेपी दलाल को 80,544 वोट मिले, वहीं राजबीर फरटिया ने 81,336 वोट प्राप्त किए। जेपी दलाल पहले कृषि मंत्री रहे थे और बाद में वित्त मंत्री बनाए गए थे।

रणजीत चौटाला का निराशाजनक परिणाम

हरियाणा के बिजली मंत्री रहे रणजीत सिंह, जो रानियां से आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में थे, तीसरे स्थान पर रहे। इनेलो-बसपा के अर्जुन चौटाला ने उन्हें 4,191 वोट से हराया। रणजीत चौटाला के लिए यह चुनाव निराशाजनक रहा।

डॉ. कमल गुप्ता की बुरी स्थिति

हिसार से चुनाव लड़े डॉ. कमल गुप्ता को भी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस उम्मीदवार सावित्री जिंदल ने रामनिवास राड़ा को 18,941 वोटों से हराया। जिंदल को 49,231, रामनिवास को 30,290 और डॉ. कमल गुप्ता को मात्र 17,385 वोट मिले। डॉ. कमल गुप्ता नायब सैनी की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे थे।

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असीम गोयल का भी पतन

अंबाला सिटी में नायब सैनी सरकार के परिवहन मंत्री असीम गोयल को कांग्रेस के निर्मल सिंह मोहड़ा ने 11,131 वोटों से हराया। निर्मल को 84,475 वोट मिले, जबकि असीम गोयल को 73,344 वोट मिले।

सुभाष सुधा की हार

थानेसर में स्थानीय निकाय मंत्री सुभाष सुधा को कांग्रेस के अशोक अरोड़ा ने 3,243 वोटों से मात दी। अरोड़ा को 70,076 और सुभाष सुधा को 66,833 वोट मिले।

संजय सिंह का निराशाजनक प्रदर्शन

नूंह से चुनाव लड़े मंत्री संजय सिंह तीसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस के आफताब अहमद ने 46,963 वोटों से जीत दर्ज की, जबकि इनेलो-बसपा के उम्मीदवार को 44,870 वोट मिले। संजय सिंह को केवल 15,902 वोट मिले। यह चुनाव उनके लिए कठिनाई भरा रहा, जबकि उन्होंने 2019 में सोहना सीट से जीत हासिल की थी।

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अभय सिंह यादव की हार

नायब सैनी सरकार के मंत्री अभय सिंह यादव भी नांगल चौधरी विधानसभा से चुनाव नहीं जीत सके। कांग्रेस की मंजू चौधरी ने उन्हें 6,930 वोटों से हराया। मंजू को 61,989 वोट मिले, जबकि अभय सिंह को 55,059 वोट मिले।

जीतने वाले मंत्री

हालांकि, कुछ मंत्री जीतने में सफल रहे। पानीपत ग्रामीण सीट से राज्यमंत्री महिपाल ढांडा और बल्लभगढ़ सीट से कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा ने जीत दर्ज की। लेकिन उनकी जीत के पीछे भी सवाल उठते हैं कि क्या ये जीत पार्टी की समग्र स्थिति को मजबूत कर पाएंगी या नहीं।

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